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नई शिक्षा नीति: इंटरव्यू को लेकर डोटासरा ने जताई आपत्ति, केंद्र से की अधिक अनुदान की मांग - नई शिक्षा नीति

राजस्थान सरकार में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने केंद्र सरकार की ओर से नई शिक्षा नीति को लेकर अपनी बात रखी है. उन्होंने केंद्र सरकार और केंद्रीय मंत्री का आभार जताया. साथ ही उन्होंने इंटरव्यू को लेकर आपत्ति जताई और केंद्र से शिक्षा के लिए बजट बढ़ाने की मांग की.

New Education Policy in Rajasthan, Govind Singh Dotasara
इंटरव्यू को लेकर डोटासरा ने जताई आपत्ति
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Published : Jul 31, 2020, 3:17 AM IST

जयपुर. केंद्र सरकार की ओर से नई शिक्षा नीति की घोषणा कर दी गई है. इसे लेकर नेताओं के अलग-अलग बयान भी सामने आ रहे हैं. पीसीसी अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने भी नई शिक्षा नीति को लेकर अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि 1986 में राजीव गांधी जो शिक्षा नीति लेकर आए थे, नई शिक्षा नीति भी वैसी ही है. समय के अनुसार थोड़ा बहुत बदलाव जरूर किया गया है.

इंटरव्यू को लेकर डोटासरा ने जताई आपत्ति

डोटासरा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में इंटरव्यू को लेकर हमें आपत्ति है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इंटरव्यू पहले ही बंद कर चुके हैं, क्योंकि इसमें भाई भतीजावाद होता है. जो बच्चे शहर में पढ़ते हैं, अच्छी एजुकेशन लेते हैं. उनका लैंग्वेज पर कमांड होता है और वह इंटरव्यू में पास हो जाते हैं, लेकिन गरीब का बेटा और गांव में पढ़ने वाले इसमें पिछड़ जाते हैं. इसमें भ्रष्टाचार सहित कई आरोप भी लगते हैं.

पढ़ें- विधायक खरीद-फरोख्त प्रकरण: एसीबी की टीम विधायकों को नोटिस देने शुक्रवार को होगी मानेसर रवाना

डोटासरा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक कमेटी बनाकर मानव संसाधन विभाग को भेजा था कि शिक्षकों की ड्यूटी चुनाव के अलावा किसी अन्य गैर शैक्षणिक काम में नहीं लगाई जाए. जिसे मानव संसाधन विभाग ने मान लिया है. इसके लिए डोटासरा ने केंद्र सरकार और केंद्रीय मंत्री का आभार भी जताया है. डोटासरा ने कहा कि हमारे समय में टेट का एग्जाम होता था. ये लोग टेट को खत्म कर रीट लेकर आए थे. रीट को लेकर हम लोगों ने आपत्ति भी जताई थी और नई शिक्षा नीति में फिर से टेट लाने की तैयारी की जा रही है, जो यह साबित करता है कि टेट को खत्म करने का निर्णय कितना गलत था.

डोटासरा ने सेकेंड ग्रेड टीचर के लिए टेट के एग्जाम को लेकर भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि सेकेंड ग्रेड के लिए विषय का एग्जाम होता है. वह अपने विषय में पास होता है, तो उसी में उसकी विशेषज्ञता होती है. इसीलिए प्रदेश सरकार समीक्षा करेगी और मुमकिन हुआ तो सुझाव भी केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने घोषणा की थी कि आंगनवाड़ी केंद्रों को प्री प्राइमरी स्कूल मानने की घोषणा की थी. जिस पर भी नई शिक्षा नीति में मुहर लगाई गई है.

अधिक अनुदान की मांग

डोटासरा ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक स्थिति अलग है. शिक्षा को लेकर जो अनुदान मिलता है, वह 60: 40 में मिलता है. यानी 60 प्रतिशत केंद्र सरकार देती है और 40 प्रतिशत प्रदेश सरकार को वहन करना होता है. डोटासरा ने मांग की कि केंद्र सरकार को राजस्थान की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए में शिक्षा के लिए 90:10 के अनुपात में मदद करनी चाहिए, ताकि हम बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दे सकें. इसके लिए मुख्यमंत्री से भी पत्र लिखवाया जाएगा.

पढ़ें- राजस्थान सियासी संग्राम: कांग्रेस विधायकों को किया जा सकता है दूसरी जगह शिफ्ट

डोटासरा ने बजट को लेकर भी अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में केंद्र सरकार ने फैसले तो कर दिए, लेकिन बजट को लेकर कुछ भी नहीं कहा. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति अभी आई है, उसका अध्ययन किया जाएगा. प्रदेश में किस तरह का इन्फ्राट्रक्चर है, जिससे की नई शिक्षा नीति को लागू किया जाए. बजट की भी स्थिति देखी जाएगी. उसके बाद ही इसे लागू करने के बारे में सोचा जाएगा.

जयपुर. केंद्र सरकार की ओर से नई शिक्षा नीति की घोषणा कर दी गई है. इसे लेकर नेताओं के अलग-अलग बयान भी सामने आ रहे हैं. पीसीसी अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने भी नई शिक्षा नीति को लेकर अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि 1986 में राजीव गांधी जो शिक्षा नीति लेकर आए थे, नई शिक्षा नीति भी वैसी ही है. समय के अनुसार थोड़ा बहुत बदलाव जरूर किया गया है.

इंटरव्यू को लेकर डोटासरा ने जताई आपत्ति

डोटासरा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में इंटरव्यू को लेकर हमें आपत्ति है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इंटरव्यू पहले ही बंद कर चुके हैं, क्योंकि इसमें भाई भतीजावाद होता है. जो बच्चे शहर में पढ़ते हैं, अच्छी एजुकेशन लेते हैं. उनका लैंग्वेज पर कमांड होता है और वह इंटरव्यू में पास हो जाते हैं, लेकिन गरीब का बेटा और गांव में पढ़ने वाले इसमें पिछड़ जाते हैं. इसमें भ्रष्टाचार सहित कई आरोप भी लगते हैं.

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डोटासरा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक कमेटी बनाकर मानव संसाधन विभाग को भेजा था कि शिक्षकों की ड्यूटी चुनाव के अलावा किसी अन्य गैर शैक्षणिक काम में नहीं लगाई जाए. जिसे मानव संसाधन विभाग ने मान लिया है. इसके लिए डोटासरा ने केंद्र सरकार और केंद्रीय मंत्री का आभार भी जताया है. डोटासरा ने कहा कि हमारे समय में टेट का एग्जाम होता था. ये लोग टेट को खत्म कर रीट लेकर आए थे. रीट को लेकर हम लोगों ने आपत्ति भी जताई थी और नई शिक्षा नीति में फिर से टेट लाने की तैयारी की जा रही है, जो यह साबित करता है कि टेट को खत्म करने का निर्णय कितना गलत था.

डोटासरा ने सेकेंड ग्रेड टीचर के लिए टेट के एग्जाम को लेकर भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि सेकेंड ग्रेड के लिए विषय का एग्जाम होता है. वह अपने विषय में पास होता है, तो उसी में उसकी विशेषज्ञता होती है. इसीलिए प्रदेश सरकार समीक्षा करेगी और मुमकिन हुआ तो सुझाव भी केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने घोषणा की थी कि आंगनवाड़ी केंद्रों को प्री प्राइमरी स्कूल मानने की घोषणा की थी. जिस पर भी नई शिक्षा नीति में मुहर लगाई गई है.

अधिक अनुदान की मांग

डोटासरा ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक स्थिति अलग है. शिक्षा को लेकर जो अनुदान मिलता है, वह 60: 40 में मिलता है. यानी 60 प्रतिशत केंद्र सरकार देती है और 40 प्रतिशत प्रदेश सरकार को वहन करना होता है. डोटासरा ने मांग की कि केंद्र सरकार को राजस्थान की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए में शिक्षा के लिए 90:10 के अनुपात में मदद करनी चाहिए, ताकि हम बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दे सकें. इसके लिए मुख्यमंत्री से भी पत्र लिखवाया जाएगा.

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डोटासरा ने बजट को लेकर भी अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में केंद्र सरकार ने फैसले तो कर दिए, लेकिन बजट को लेकर कुछ भी नहीं कहा. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति अभी आई है, उसका अध्ययन किया जाएगा. प्रदेश में किस तरह का इन्फ्राट्रक्चर है, जिससे की नई शिक्षा नीति को लागू किया जाए. बजट की भी स्थिति देखी जाएगी. उसके बाद ही इसे लागू करने के बारे में सोचा जाएगा.

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