जयपुर. किसानों और केंद्र सरकार के बीच कृषि कानूनों को लेकर 4 जनवरी को वार्ता का सातवां चरण शुरू हो गया है. गोविंद सिंह डोटासरा ने किसानों की सरकार से वार्ता को लेकर कोई ठोस परिणाम निकलने की संभावना से इनकार किया है. डोटासरा ने कहा कि आज किसानों के साथ सरकार की वार्ता से साफ हो जाएगा कि मोदी सरकार अपने उद्योगपति मित्रों का साथ देगी या जिनके वोट से जीत कर आए हैं उन किसानों का.
उन्होंने कहा कि आज मोदी सरकार को यह तय करना होगा कि उन्हें चुनाव के लिए वोट चाहिए या फिर नोट. अगर लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी ने अपने उद्योगपति साथियों के नोट की ताकत से जीता है तो वह आज भी उद्योगपतियों की ही सुनेंगे और अगर उन्होंने किसानों के वोट से चुनाव जीता है तो वह किसानों के साथ खड़े होंगे. डोटासरा ने आगे कहा कि किसानों और सरकार के बीच वार्ता में कोई ठोस नतीजा निकलेगा उसको लेकर संशय है.
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डोटासरा ने कांग्रेस पार्टी की कृषि कानून को लेकर आगे की रणनीति पर बात करते हुए कहा कि पार्टी किसानों के साथ खड़ी है. जो किसान का बेटा है उसे किसानों पर इतनी बड़ी चोट करने पर दर्द हो रहा है. उद्योगपतियों के लिए काम कर रही मोदी सरकार को जगाने और चेताने के लिए यह क्रांति है. डोटासरा ने 5 जनवरी से कांग्रेस के मंत्री, विधायकों के गांव-गांव जाकर किसानों को कृषि कानून के बारे में समझाने की बात कही.
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि केंद्र के कृषि कानून से किसानों को राहत देने के लिए गहलोत सरकार ने विधानसभा में बिल पास किए थे लेकिन राज्यपाल उन्हें रोके हुए हैं. हम उनपर दवाब बनाएंगे कि वो किसानों के हित में विधानसभा से पास बिल को राष्ट्रपति के पास भेजें, जिससे की किसानों को राहत मिल सके.