जयपुर. मकर संक्रांति पर्व पर दान करने का विशेष महत्व होता है. राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी मकर संक्रांति पर्व पर गुरुवार को शिव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की. साथ ही गाय को गुड़ और चारा भी खिलाया.
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मकर संक्रांति पर प्रातः राजभवन स्थित शिव मंदिर में सपत्नीक पूजा अर्चना की। तत्पश्चात राजभवन स्थित गौशाला में गायों को चारा-गुड़ खिलाया और कंबल ओढाया।
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मकर संक्रांति से दिन बड़े और रातें छोटी होनी प्रारंभ हो जाएगी। उजास के पावन पर्व पर देश-प्रदेश वासियों के सुख की कामना करता हूँ। pic.twitter.com/DhJLBAzCVd
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मकर संक्रांति से दिन बड़े और रातें छोटी होनी प्रारंभ हो जाएगी। उजास के पावन पर्व पर देश-प्रदेश वासियों के सुख की कामना करता हूँ। pic.twitter.com/DhJLBAzCVdमकर संक्रांति पर प्रातः राजभवन स्थित शिव मंदिर में सपत्नीक पूजा अर्चना की। तत्पश्चात राजभवन स्थित गौशाला में गायों को चारा-गुड़ खिलाया और कंबल ओढाया।
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मकर संक्रांति से दिन बड़े और रातें छोटी होनी प्रारंभ हो जाएगी। उजास के पावन पर्व पर देश-प्रदेश वासियों के सुख की कामना करता हूँ। pic.twitter.com/DhJLBAzCVd
राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजभवन स्थित शिव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की. इसके बाद उन्होंने राजभवन स्थित गौशाला में गायों को स्वयं चारा और गुड़ भी खिलाया और कंबल ओढ़ाई. राज्यपाल ने कहा कि मकर संक्रांति से दिन बड़ी और रात छोटी होनी प्रारंभ हो जाएगी. इसी पावन दिन से धरती पर उजास में वृद्धि शुरू होती है.
कलराज मिश्र ने उजास के पावन पर्व पर देश और प्रदेश वासियों के सुख, समृद्धि और सम्पन्नता की कामना की है. उन्होंने कहा कि इस पवित्र दिन पर गौ सेवा करने और दान करने से पुण्य में वृद्धि होती है. इसलिए हम सभी को गरीब व असहाय लोगों की मदद करते हुए इस पर्व को मनाना चाहिए.
बता दें कि मकर संक्रांति भारत का प्रमुख पर्व है. मकर संक्रांति पूरे भारत और नेपाल में किसी ना किसी रूप में मनाया जाता है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है. वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी महीने के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है. मकर संक्रांति से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है