जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने ज्ञान आधारित जीवन्त समाज के निर्माण के लिए शिक्षण संस्थाओं में आधारभूत सुविधाओं के विकास के साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षण का बेहतर वातावरण भी बनाने का आह्वान किया है. उन्होंने शिक्षण को बोझिल होने से बचाने के लिए कला, विज्ञान और खेलकूद गतिविधियों के बेहतर समन्वय की जरूरत बताते हुए शिक्षण संस्थाओं को इस और विशेष ध्यान देने पर भी जोर दिया.
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राज्यपाल गुरुवार को राजभवन से मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में भारत सरकार की परियोजना रूसा एवं स्थानीय निधि द्वारा अनुदानित राशि से नवनिर्मित दृश्य कला विभाग भवन, आर्ट गैलरी, भूगोल भवन, अन्तर्राष्ट्रीय मानकों पर आधारित सिंथेटिक लोन टेनिस ग्राउंड, स्पोर्ट्स बोर्ड ऑफिस भवन, वूमन फेकल्टी रूम एवं स्टोर आदि के ऑनलाइन लोकार्पण के बाद सम्बोधित कर रहे थे.
बेहतर शोध और अनुसंधान पर जोर...
इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय में बने नए भवनों को विश्वविद्यालय के भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के अकोर्डिंग बेहतर शोध और अनुसंधान पर भी शिक्षण संस्थान विशेष रूप से ध्यान दें. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति डिजिटल और आत्मनिर्भर भारत केन्द्रित है. इसके अनुरूप प्रदेश के विश्वविद्यालय अपने यहां रोजगारोन्मुख व्यावसायिक पाठ्यक्रम बनाकर उनके प्रभावी शिक्षण की भी व्यवस्था करें.
राज्यपाल ने कहा कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का विकास होता है. इसलिए यह जरूरी है कि शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद गतिविधियों को भी निरंतर बढ़ावा दिया जाए. उन्होंने सुखाड़िया विश्वविद्यालय में उच्च स्तर का तरणताल बनाए जाने और वहां पर तैराकी के प्रशिक्षण की व्यवस्था किए जाने का भी सुझाव दिया.
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उन्होंने कहा कि उदयपुर और आस-पास के क्षेत्रों में झीलों और पानी के स्त्रोतों की कमी नहीं है. आदिवासी और ग्रामीण समुदाय के विद्यार्थियों को विधिवत यदि तैराकी का प्रशिक्षण विश्वविद्यालय स्तर पर मिलता है तो देश को अन्तर्राष्टीय स्तर के तैराक मिल सकते हैं. उन्होंने विश्वविद्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय मानकों पर आधारित लॉनटेनिस ग्राउण्ड बनाए जाने की भी सराहना की और कहा कि इससे विद्यार्थियों को अपनी खेल प्रतिभा में आगे बढ़ने के बेहतरीन अवसर मिल सकेंगें.
समय के अनुरूप नई पीढ़ी का शिक्षण प्रशिक्षण जरूरी...
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी ने इस अवसर पर कहा कि यह ऐसा समय है जब एक व्यक्ति एक ज्ञान को लेकर आगे नहीं बढ़ सकता. शिक्षण संस्थानों में आधारभूत सुविधाओं के विकास के साथ ही नौजवान पीढ़ी के भविष्य की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए भी सभी स्तरों पर कार्य किए जाने की जरूरत है. जोशी ने कहा कि ज्ञान की संभावनाएं तेज गति से आगे बढ़ रही है. इसे देखते हुए समय और चुनौतियों के अनुरूप नई पीढ़ी का शिक्षण प्रशिक्षण जरूरी है.
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री भंवरसिंह भाटी ने कहा कि उच्च शिक्षा के विकास के लिए प्रभावी रणनीति के तहत कार्य किया जाना जरूरी हैं. उच्च शिक्षा में वैश्विक संभावनाओं के दृष्टिगत शिक्षण प्रशिक्षण के लिए कार्य करने पर जोर दिया. इससे पहले विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह ने सुखाड़िया विश्वविद्यालय में नव निर्मित भवनों की उपयोगिता और शिक्षण के लिए किए गए नवाचारों के बारे में विस्तार से बताया. रूसा की नोडल अधिकारी कनिका शर्मा ने सभी का आभार जताया.