जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि भाषा, रहन-सहन, खान-पान में विविधता होते हुए भी भीतर से हम सभी एक हैं. यही विविधता में एकता भारतीय संस्कृति की विशेषता है. राज्यपाल मिश्र मंगलवार को भट्टारकजी की नसियां में भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) के राष्ट्रीय 'लर्न टू लिव टूगेदर' शिविर के समापन अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे. इस दौरान सिक्किम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, केरल, मेघालय, झारखण्ड सहित 16 राज्यों से आए बच्चों से राज्यपाल ने संवाद कर (iKalraj Mishra interacted with the children) उन्हें जीवन से जुड़े सूत्र भी बताए.
राज्यपाल ने कहा कि भाषा-बोली, रीति-रिवाज, त्यौहार आदि में भिन्नता होने के बावजूद हमारी संस्कृति में आरम्भ से ही मिल-जुलकर रहने को महत्व दिया गया है. एक दूसरे की भावनाओं, परम्पराओं का सम्मान करने की शिक्षा से ही भारत विश्वभर में अपनी अलग पहचान रखता है. उन्होंने कहा कि 'विविधता में एकता’ की इस भावना को व्यवहार रूप में नई पीढ़ी को समझाया जाना चाहिए. राज्यपाल मिश्र ने गुजरात के महान शिक्षाविद रहे गिजू भाई का उदाहरण देते हुए कहा कि किस्से-कहानियों, नाटकों, गायन, नृत्य और चित्रों के जरिए खेल-खेल में बच्चों को जीवन मूल्यों की शिक्षा दी जानी चाहिए. इससे उनके जीवन को मजबूत नींव और सही दिशा प्रदान की जा सकती है.
उन्होंने कहा कि बच्चे घर के परिवेश से बाहर की दुनिया को जान सकें, यह भी बहुत जरूरी है. शिविर में साथ रहकर बच्चे एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखते हैं. इससे उनमें सामूहिकता, दल भावना, कार्य कुशलता और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का विकास होता है. जीवन में आगे चलकर यह सीख बहुत काम आती है. शिविर में भाग लेने वालों सभी बच्चों को राज्यपाल मिश्र ने बधाई और आशीष देते हुए उनके पढ़कर लिखकर जीवन में तरक्की करने की कामना की.
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मिश्र ने कहा कि उन्हें स्वयं बचपन में अलग- अलग शिविरों में भाग लेकर व्यक्तित्व विकास सहित कई अच्छी बातें सीखने का अवसर मिला. तेलंगाना की श्रीवर्षा ने सफलता के मायने पूछे तो मिश्र ने कहा कि जिस कार्य को करने का संकल्प करें और कठिनाई का मुकाबला करते हुए उसे पूरा करने में जो प्रसन्नता होती है, वह अनुभूति ही सफलता है. एक अन्य प्रश्न के जवाब में उन्होंने नशे की बुराई को मिटाने के लिए बचपन से ही जागरूकता पैदा करने का सुझाव दिया.
कार्यक्रम में बच्चों ने राज्यपाल के समक्ष मनोहरी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी. त्रिपुरा से आई बलिकाओं ने पारम्परिक जनजातीय नृत्य, सिक्किम के दल ने लेपचा लोक नृत्य, मेघालय के बच्चों ने खासी नृत्य प्रस्तुत किया. राजस्थान के बच्चों ने गेर, घूमर और कालबेलिया नृत्य की मिश्रित प्रस्तुति दी.
झारखण्ड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के दलों ने भी अपनी आंचलिक विशेषताओं से परिपूर्ण सुन्दर नृत्य किए. राज्यपाल ने कार्यक्रम में 'महामारी के दौरान जयपुर में पोषण सुरक्षा' विषय पर डॉ. राज भण्डारी की ओर से तैयार पुस्तिका का विमोचन किया. भारतीय बाल कल्याण परिषद राजस्थान शाखा की अध्यक्ष डॉ. जयश्री सिद्धा और सचिव एल.एन. बांगड़ ने परिषद की बाल कल्याण सम्बन्धी गतिविधियों के बारे में जानकारी दी.