जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि पशुधन संरक्षण के लिए समाज में जागरूकता लाने की आवश्यकता है. आखिरी छोर पर बैठे पशुपालकों को भी पशुपालन के आधुनिक ज्ञान का लाभ मिलना चाहिए. वे गुरुवार को राजभवन में राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञानं विश्वविद्यालय, बीकानेर के चौथे दीक्षांत समारोह को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि पशुओं को परिवार के सदस्य के रूप में मानते हुए उन्हें पालना शुरूआत से ही हमारी संस्कृति का अंग रहा है. यहां तक कि देवी-देवताओं का वाहन पशु-पक्षियों को माना गया है. इसके पीछे उद्देश्य यही है कि प्रकृति और उसमें रहने वाले जीवों के प्रति हिंसा नहीं की जाए. राज्यपाल मिश्र ने कहा कि पशुपालन के उन्नत तरीकों, उन्नत पोषाहार की नवीनतम तकनीकों, पशु चिकित्सा से संबंधित आधुनिक ज्ञान-विज्ञान, पशुधन संरक्षण और चिकित्सा से जुड़े नए आयामों की सार्थकता तभी है. जब इनका लाभ राज्य के आखिरी छोर पर बैठे पशुपालकों को मिल सके.
साथ ही कहा कि पशु विज्ञान केंद्रों को गांव-ढाणी तक किसानों और पशुपालकों को पशुपालन से जुड़ी नवीनतम जानकारी उनकी अपनी भाषा और समझ के अनुरूप उन तक पहुंचाने की पहल करनी चाहिए. इससे पशुपालकों की समस्याओं के स्थानीय स्तर पर समाधान और अनुसंधान की नई दृष्टि विकसित होगी. राज्यपाल मिश्र ने स्वदेशी गौवंश की नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन, जैविक पशु उत्पाद व प्रमाणीकरण, पेटेन्ट हासिल करने की दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की.
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राज्यपाल कलराज मिश्र ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से निर्मित विश्वविद्यालय के तीन मंजिला नवीन परीक्षा भवन का लोकार्पण किया. उन्होंने विश्वविद्यालय के जनसंपर्क प्रकोष्ठ द्वारा तैयार विश्वविद्यालय के नियमों एवं परिनियमों की पुस्तिका का भी विमोचन किया. इस मौके पर कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. त्रिलोचल महापात्र, कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया. समारोह के दौरान राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी गोविंदराम जायसवाल भी वर्चुअली मौजूद थे.