जयपुर. मातृभाषा का स्थान सर्वोच्च होता है क्योंकि स्वाभिमान होती है 'स्वभाषा'. यह कहना है राज्यपाल कलराज मिश्र का. मिश्र बुधवार को राजभवन से नई शिक्षा नीति का भाषिक संदर्भ और हिंदी के वैश्विक परिदृश्य पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास में स्वभाषा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
मिश्र ने अपने संबोधन की शुरुआत में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक भी व्यक्त किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि मुखर्जी राजनीति के अजात शत्रु थे. मिश्र ने कहा कि शिकागो में स्वामी विवेकानंद की ओर से दिया गया हिंदी में भाषण और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से विदेशों में दिए गए हिंदी भाषा में भाषण का प्रभाव से सभी लोग परिचित हैं. मिश्र ने कहा कि मातृभाषा का स्थान सर्वोच्च होता है.
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वेबिनार को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिल रहा है क्योंकि यह सशक्त भाषा है. 21वीं शताब्दी का योग तकनीकी और सूचना प्रौद्योगिकी का युग है. आज विश्व में संस्कृत सहित सभी भाषाओं में सॉफ्टवेयर विकसित हो रहे हैं और भाषा विज्ञान के नए सिद्धांत भी विकसित हो रहे हैं.
मिश्र ने कहा कि प्रौद्योगिकी से एक सर्व भौमिक भाषा के जन्म लेने की संभावना भी बनती है. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में हिंदी भाषा बोलने वालों की संख्या 50 करोड़ से अधिक है जो सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषाओं में विश्व में दूसरे स्थान पर है. वेबिनार का आयोजन वाराणसी के राजघाट स्थित बसंत महाविद्यालय की ओर से किया गया.