जयपुर. राजभवन से राज्यपाल कलराज मिश्र ने जम्मू के भारतीय प्रबन्ध संस्थान की ओर से आयोजित 2 दिवसीय लीडरशिप समिट के समापन कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित किया. इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि युवा औद्योगिक और व्यापारिक प्रबंधन के गुर सीखने के साथ ही अपने जीवन में प्रबंधन के गुणों का भी विकास करें, तभी वो एक सफल नेतृत्वकर्ता के रूप में खुद को साबित कर पाएंगे.
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राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि युवाओं में भरपूर साहस, शक्ति और ऊर्जा होती है, जिसका सुनियोजित प्रबंधन जरूरी है. उन्होंने भगवद्ग गीता को जीवन प्रबंधन का महान ग्रन्थ बताया. उन्होंने कहा कि इसमें निष्काम कर्म के संदेश के साथ ही प्रबंधन का व्यावहारिक ज्ञान भी श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद में संजोया गया है. गीता को इस कसौटी पर रखकर प्रबंधन किया जाए तो उद्योगपति, श्रमिक तथा आम उपभोक्ता सभी के समान हित को सुनिश्चित किया जा सकता है.
राज्यपाल मिश्र ने युवाओं से कहा कि वो अपने कौशल और क्षमताओं का उपयोग करते हुए रोजगार सर्जनकर्ता बनें. इसके लिए प्रबंधन के सभी आवश्यक गुणों (जैसे-नियोजन, संगठन, समन्वय, निर्देशन और नियंत्रण) का खुद में विकास करें. वहीं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भुवनेश्वर के शाषी मंडल के अध्यक्ष डॉ. आरपी सिंह ने कहा कि सही नेतृत्वकर्ता को जोखिम लेने को तैयार रहना चाहिए और सामने रहकर अपनी टीम का नेतृत्व करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वही व्यक्ति सफल नेतृत्वकर्ता बनता है, जो कोई भी वादा करे, लेकिन उसे समय से पहले पूरा करे.
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राज्यपाल मिश्र ने विद्यार्थियों को अच्छे एवं प्रभावी नेतृत्व गुण विकसित करने पर जोर देते हुए कहा कि नेतृत्व के लिए पहल करना, पहल के लिए अपने आप पर विश्वास होना और विश्वास के लिए अपने कार्य में श्रद्धा होना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि श्रद्धावान व्यक्ति ही अपने विवेक का देश और समाज के हित में सही उपयोग कर सकता है. राज्यापाल मिश्र ने कहा कि योग्य प्रबंधक के लिए आवश्यक गुणों का विकास तो प्रशिक्षण के जरिए किया जा सकता है, लेकिन नेतृत्व कौशल का विकास नैसर्गिक रूप से ही संभव है. उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में शिखर तक पहुंचने के अपने सफर में सामने आई चुनौतियों और सफलता के सूत्र उपस्थित विद्यार्थियों से साझा किए. भारतीय प्रबन्ध संस्थान जम्मू के निदेशक डॉ. बीएस सहाय ने सभी उपस्थित अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया. कार्यक्रम के शुरू में राज्यपाल मिश्र ने संविधान की उद्देश्यिका तथा मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया.