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vacant posts in Rajasthan Universities : राज्यपाल ने रिक्त पदों की स्वीकृतियां व नियुक्तियां समयबद्ध किए जाने के दिए निर्देश - Governor Kalraj Mishra in Raj Bhawan Jaipur

राजस्थान राज्यपाल ने कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए इन्हें भरने की कार्यवाही जल्द करने के निर्देश दिए हैं. राज्यपाल सोमवार को राजभवन में कुलपति समन्वय समिति की बैठक (Vice Chancellor Coordination Committee Meet Jaipur) के आरम्भिक सत्र को सम्बोधित कर रहे थे.

Governor kalraj mishra
राज्यपाल कलराज मिश्र
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Published : Dec 27, 2021, 5:36 PM IST

Updated : Dec 27, 2021, 10:27 PM IST

जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों (vacant posts in Rajasthan Universities ) की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए इन्हें भरने की कार्यवाही जल्द करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने इस संबंध में वित्त विभाग से आवश्यकतानुसार पदों को भरने की स्वीकृतियां जारी करने और विश्वविद्यालयों को भी स्वीकृत पदों पर नियुक्तियों की कार्यवाही समयबद्ध किए जाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में किसी स्तर पर लापरवाही नहीं होनी चाहिए.

राज्यपाल सोमवार को राजभवन (Governor Kalraj Mishra in Raj Bhawan Jaipur) में कुलपति समन्वय समिति की बैठक के आरम्भिक सत्र को सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को परस्पर समन्वय रखते हुए कार्य करने और राजस्थान को शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने का आह्वान किया.

राज्यपाल ने कहा कि बीते दो वर्ष में कोविड की चुनौती के बावजूद विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और नवीन संदर्भों में उच्च शिक्षा के विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रयास हुए हैं. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण से जुड़ी महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों में आपसी विचार-विनिमय और विश्वविद्यालय स्तर पर भी शिक्षकों एवं छात्रों से निरंतर संवाद जरूरी है.

कुलाधिपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों की स्वीकृति, संचालन और संकाय से जुड़ी नियुक्तियों और अन्य सभी व्यवस्थाओं में एकरूपता की नीति अपनाए जाने की आवश्यकता है. विश्वविद्यालयों में हो रहे नवाचारों, विद्यार्थी हित से जुड़े मुद्दों और शोध कार्यों की गुणवत्ता के लिए भी सभी को मिलकर कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि नए स्वीकृत पदों को भरते समय पारदर्शिता पर विशेष जोर दिया जाए.

पढ़ें: Rajasthan Year Ender 2021: किसान आंदोलन खत्म फिर भी जीत अधूरी...कृषि कानून वापस लेकिन MSP के लिए कानून बनाने को जंग जारी- रामपाल जाट

राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति समग्रता और तत्परता से लागू करने पर बल देते हुए कहा कि विद्यार्थियों में कौशल विकास और रोजगारोन्मुखी शिक्षा के सबंध में भी विश्वविद्यालय गंभीर होकर प्रयास करें. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को हमारी सांस्कृतिक विरासत और लोकतंत्र की भावना के प्रति विद्यार्थियों में आस्था पैदा करने का महती कार्य भी करना चाहिए.

पढ़ें: Congress MLA demand on Mining lease: कांग्रेस विधायक ने खोला मोर्चा, स्थानीय लोगों को खनन के पट्टे दिलाने के लिए पायलट से की मुलाकात

मिश्र ने पाठ्यक्रमों को अपडेट करने की आवश्यकता (Need of updating courses in education) व्यक्त करते हुए कहा कि बदलते समय के अनुसार उपयोगिता और नवीनतम ज्ञान के हिसाब से पुस्तकों के संशोधित संस्करणों को लागू किया जाए. आरम्भिक सत्र में विश्वविद्यालयों के सामाजिक दायित्व, गोद लिए गांवों के विकास, विशेष योग्य विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम और सुविधाओं के विकास, वित्तीय प्रबंध, समान विषय में समान पाठ्यक्रम, अंतर्विश्वविद्यालय खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन, संसाधनों के सृजन एवं उपयोग, कैम्पस प्लेसमेंट, राज्य विश्वविद्यालय प्रबंध प्रणाली सहित विभिन्न विषयों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया.

पढ़ें: अन्य सेवाओं से IAS चयन को लेकर UPSC में बैठक आज, 2 पदों पर चयन के लिए 10 नामों पर होगा विचार

बैठक में स्कूल शिक्षा व संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला, चिकित्सा और स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह यादव, कौशल, रोजगार एवं उद्यमिता राज्य मंत्री अशोक चांदना, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्कूल शिक्षा पवन कुमार गोयल, उच्च और तकनीकी शिक्षा के शासन सचिव नारायण लाल मीणा, श्रम और कौशल विभाग के सचिव भानु प्रकाश येतुरु, कॉलेज शिक्षा आयुक्त शुचि त्यागी, वित्त (व्यय) के विशिष्ट सचिव नरेश कुमार ठकराल, वित्त (बजट) के विशिष्ट सचिव सुधीर कुमार शर्मा, राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द राम जायसवाल, सहित प्रदेश के सभी राज्य पोषित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और राजभवन के अधिकारियों ने भाग लिया.

विश्वविद्यालयों का मास्टर प्लान तैयार करने का सुझाव

स्कूल शिक्षा व संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने सभी विश्वविद्यालयों को 25 वर्ष का क्रमबद्ध मास्टर प्लान तैयार करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय अपने पास उपलब्ध विस्तृत भूमि पर कृषि नवाचार कर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर सकते हैं. उन्होंने नैतिक शिक्षा, रोजगारोन्मुखी शिक्षा तथा व्यवसायपरक शिक्षा का विश्वविद्यालयी शिक्षा में समावेश किए जाने की बात कही. उन्होंने आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालयों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है.

समन्वय समिति बैठक में आए महत्वपूर्ण सुझाव

विश्वविद्यालयों में बिना व्यय भार के पदों के लिए समयबद्ध स्वीकृति मिले, शेष पदों को भी शीघ्र भरा जाए. आठ विश्वविद्यालयों में रिक्त कुल सचिव और वित्त नियंत्रकों के पद पर भी शीघ्र नियुक्त हो, लेखा सम्बंधित कोई पद खाली नहीं रहे. प्लेसमेंट सेल, स्टूडेन्ट एक्सचेंज कार्यक्रम, जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए. शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक पदों के सेवा नियमों में सभी विश्वविद्यालयों में एकरूपता लाई जाए. विश्वविद्यालयों में पेंशनर्स को लम्बित पेंशन देने में आ रही समस्या के निराकरण पर चर्चा करने का सुझाव दिया गया.

इसके अलावा विश्वविद्यालय अपने यहां जल संरक्षण और सौर उर्जा से संबंधित संयंत्र स्थापित करने के लिए कार्य करें. विश्वविद्यालयों को आगामी 10 साल का रोड मैप बनाकर विकास के लिए कार्य किए जाने पर जोर दें. विश्वविद्यालयों में खेल सुविधाओं के विस्तार के साथ ऐसे पाठ्यक्रम प्रारंभ हों जिनसे विद्यार्थियों को भविष्य में रोजगार के लिए न भटकना पड़े. विश्वविद्यालय सीएसआर गतिविधियों के तहत उद्यमियों को अपने यहां आमंत्रित कर उनसे सहयोग लेने का सुझाव दिया गया.

इसके अलावा विश्वविद्यालयों को अपने यहां 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' स्थापित करने और विश्वविद्यालय में कुलसचिव का कार्यकाल न्यूनतम 2 वर्ष करने का सुझाव भी दिया गया.य

जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों (vacant posts in Rajasthan Universities ) की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए इन्हें भरने की कार्यवाही जल्द करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने इस संबंध में वित्त विभाग से आवश्यकतानुसार पदों को भरने की स्वीकृतियां जारी करने और विश्वविद्यालयों को भी स्वीकृत पदों पर नियुक्तियों की कार्यवाही समयबद्ध किए जाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में किसी स्तर पर लापरवाही नहीं होनी चाहिए.

राज्यपाल सोमवार को राजभवन (Governor Kalraj Mishra in Raj Bhawan Jaipur) में कुलपति समन्वय समिति की बैठक के आरम्भिक सत्र को सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को परस्पर समन्वय रखते हुए कार्य करने और राजस्थान को शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने का आह्वान किया.

राज्यपाल ने कहा कि बीते दो वर्ष में कोविड की चुनौती के बावजूद विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और नवीन संदर्भों में उच्च शिक्षा के विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रयास हुए हैं. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण से जुड़ी महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों में आपसी विचार-विनिमय और विश्वविद्यालय स्तर पर भी शिक्षकों एवं छात्रों से निरंतर संवाद जरूरी है.

कुलाधिपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों की स्वीकृति, संचालन और संकाय से जुड़ी नियुक्तियों और अन्य सभी व्यवस्थाओं में एकरूपता की नीति अपनाए जाने की आवश्यकता है. विश्वविद्यालयों में हो रहे नवाचारों, विद्यार्थी हित से जुड़े मुद्दों और शोध कार्यों की गुणवत्ता के लिए भी सभी को मिलकर कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि नए स्वीकृत पदों को भरते समय पारदर्शिता पर विशेष जोर दिया जाए.

पढ़ें: Rajasthan Year Ender 2021: किसान आंदोलन खत्म फिर भी जीत अधूरी...कृषि कानून वापस लेकिन MSP के लिए कानून बनाने को जंग जारी- रामपाल जाट

राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति समग्रता और तत्परता से लागू करने पर बल देते हुए कहा कि विद्यार्थियों में कौशल विकास और रोजगारोन्मुखी शिक्षा के सबंध में भी विश्वविद्यालय गंभीर होकर प्रयास करें. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को हमारी सांस्कृतिक विरासत और लोकतंत्र की भावना के प्रति विद्यार्थियों में आस्था पैदा करने का महती कार्य भी करना चाहिए.

पढ़ें: Congress MLA demand on Mining lease: कांग्रेस विधायक ने खोला मोर्चा, स्थानीय लोगों को खनन के पट्टे दिलाने के लिए पायलट से की मुलाकात

मिश्र ने पाठ्यक्रमों को अपडेट करने की आवश्यकता (Need of updating courses in education) व्यक्त करते हुए कहा कि बदलते समय के अनुसार उपयोगिता और नवीनतम ज्ञान के हिसाब से पुस्तकों के संशोधित संस्करणों को लागू किया जाए. आरम्भिक सत्र में विश्वविद्यालयों के सामाजिक दायित्व, गोद लिए गांवों के विकास, विशेष योग्य विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम और सुविधाओं के विकास, वित्तीय प्रबंध, समान विषय में समान पाठ्यक्रम, अंतर्विश्वविद्यालय खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन, संसाधनों के सृजन एवं उपयोग, कैम्पस प्लेसमेंट, राज्य विश्वविद्यालय प्रबंध प्रणाली सहित विभिन्न विषयों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया.

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बैठक में स्कूल शिक्षा व संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला, चिकित्सा और स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह यादव, कौशल, रोजगार एवं उद्यमिता राज्य मंत्री अशोक चांदना, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्कूल शिक्षा पवन कुमार गोयल, उच्च और तकनीकी शिक्षा के शासन सचिव नारायण लाल मीणा, श्रम और कौशल विभाग के सचिव भानु प्रकाश येतुरु, कॉलेज शिक्षा आयुक्त शुचि त्यागी, वित्त (व्यय) के विशिष्ट सचिव नरेश कुमार ठकराल, वित्त (बजट) के विशिष्ट सचिव सुधीर कुमार शर्मा, राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द राम जायसवाल, सहित प्रदेश के सभी राज्य पोषित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और राजभवन के अधिकारियों ने भाग लिया.

विश्वविद्यालयों का मास्टर प्लान तैयार करने का सुझाव

स्कूल शिक्षा व संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने सभी विश्वविद्यालयों को 25 वर्ष का क्रमबद्ध मास्टर प्लान तैयार करने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय अपने पास उपलब्ध विस्तृत भूमि पर कृषि नवाचार कर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर सकते हैं. उन्होंने नैतिक शिक्षा, रोजगारोन्मुखी शिक्षा तथा व्यवसायपरक शिक्षा का विश्वविद्यालयी शिक्षा में समावेश किए जाने की बात कही. उन्होंने आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालयों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है.

समन्वय समिति बैठक में आए महत्वपूर्ण सुझाव

विश्वविद्यालयों में बिना व्यय भार के पदों के लिए समयबद्ध स्वीकृति मिले, शेष पदों को भी शीघ्र भरा जाए. आठ विश्वविद्यालयों में रिक्त कुल सचिव और वित्त नियंत्रकों के पद पर भी शीघ्र नियुक्त हो, लेखा सम्बंधित कोई पद खाली नहीं रहे. प्लेसमेंट सेल, स्टूडेन्ट एक्सचेंज कार्यक्रम, जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए. शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक पदों के सेवा नियमों में सभी विश्वविद्यालयों में एकरूपता लाई जाए. विश्वविद्यालयों में पेंशनर्स को लम्बित पेंशन देने में आ रही समस्या के निराकरण पर चर्चा करने का सुझाव दिया गया.

इसके अलावा विश्वविद्यालय अपने यहां जल संरक्षण और सौर उर्जा से संबंधित संयंत्र स्थापित करने के लिए कार्य करें. विश्वविद्यालयों को आगामी 10 साल का रोड मैप बनाकर विकास के लिए कार्य किए जाने पर जोर दें. विश्वविद्यालयों में खेल सुविधाओं के विस्तार के साथ ऐसे पाठ्यक्रम प्रारंभ हों जिनसे विद्यार्थियों को भविष्य में रोजगार के लिए न भटकना पड़े. विश्वविद्यालय सीएसआर गतिविधियों के तहत उद्यमियों को अपने यहां आमंत्रित कर उनसे सहयोग लेने का सुझाव दिया गया.

इसके अलावा विश्वविद्यालयों को अपने यहां 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' स्थापित करने और विश्वविद्यालय में कुलसचिव का कार्यकाल न्यूनतम 2 वर्ष करने का सुझाव भी दिया गया.य

Last Updated : Dec 27, 2021, 10:27 PM IST
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