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जयपुर विकास प्राधिकरण के सालों से अटके प्रोजेक्ट पकड़ेंगे गति, राज्य सरकार से मिली मंजूरी

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Published : Mar 10, 2021, 6:05 PM IST

14 फरवरी को हुई एंपावर्ड कमेटी की मीटिंग में लिए गए फैसलों पर नगरीय विकास विभाग ने मुहर लगा दी है. राज्य सरकार ने जेडीए के 5 प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी है. इनमें वेस्टवे हाइट्स, लोहामंडी, गोपालपुरा बायपास और न्यू ट्रांसपोर्ट नगर योजना के रिजर्व प्राइस तय करने के साथ सेंट्रल स्पाइन योजना के विवाद को दूर करना शामिल है.

empowered committee meeting, jaipur news
जयपुर विकास प्राधिकरण...

जयपुर. 14 फरवरी को हुई एंपावर्ड कमेटी की मीटिंग में लिए गए फैसलों पर नगरीय विकास विभाग ने मुहर लगा दी है. राज्य सरकार ने जेडीए के 5 प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी है. इनमें वेस्टवे हाइट्स, लोहामंडी, गोपालपुरा बायपास और न्यू ट्रांसपोर्ट नगर योजना के रिजर्व प्राइस तय करने के साथ सेंट्रल स्पाइन योजना के विवाद को दूर करना शामिल है. जयपुर विकास प्राधिकरण की वर्षों से लंबित चल रही योजनाओं का एंपावर्ड कमेटी की बैठक में समाधान निकाले जाने के बाद, अब यूडीएच विभाग ने भी इस पर मुहर लगा दी है. हालांकि, अभी भी सेंट्रल स्पाइन और ट्रांसपोर्ट नगर योजना को लेकर इंतजार करना होगा. लेकिन, जेडीए के लिए राहत की बात ये है कि गोपालपुरा बायपास योजना, वेस्टवे हाइट्स और लोहामंडी योजना के रास्ते खुले हैं, इससे जेडीए के खजाने में 1800 करोड़ से ज्यादा का राजस्व आएगा.

जयपुर विकास प्राधिकरण के 5 प्रोजेक्ट को सरकार से मिली अनुमति...

वेस्ट वे हाइट्स योजना...

1989 में अजमेर रोड पर ट्रक टर्मिनल योजना के तहत लैंड एक्विजिशन की कार्रवाई शुरू की गई थी. इसके बाद सेकंड फेज में 2002 में लैंड एक्विजिशन की गई. लेकिन, काश्तकार-किसान और जेडीए के बीच मुआवजे को लेकर विवाद चल रहे थे, जिसमें तकरीबन 25 याचिका उच्च न्यायालय में दर्ज हैं. कुछ में स्थगन आदेश भी थे. उनमें काश्तकारों के साथ बैठ समझौता बनाया गया, जिस पर एंपावर्ड कमेटी की बैठक में अनुमति दी गई. मुख्य रूप से ऐसे किसान जिनके न्यायालय से स्थगन हैं और कब्जा अब तक जेडीए को नहीं मिला है. उन जमीनों पर 20% आवासीय और 5% व्यवसायिक जमीन नकद मुआवजे के विकल्प के तौर पर उपलब्ध करवाई जाएगी. साथ ही, जो किसानों के पट्टे होंगे, उनमें लीज राशि में 40% माफी की अनुमति दी गई है. इससे वेस्ट वे हाइट्स योजना का विवाद लगभग खत्म हो जाएगा. बहुत जल्द जेडीए यहां आवासीय, व्यवसायिक और एजुकेशन प्लॉट उपलब्ध कराएगा.

लोहा मंडी योजना...

ग्राम माचड़ा में ये योजना तकरीबन 19 साल से लंबित थी. इसमें अवाप्ति से जुड़े हुए विवाद थे, जिसके कारण पूर्व के आवंटियों को भी जेडीए कब्जा नहीं दे पा रहा था और योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रही थी. लगभग 130 हेक्टेयर जमीन पर बनने वाली इस योजना का जो मुख्य विवाद था, उसे एंपावर्ड कमेटी ने नीतिगत निर्णय लेकर उसका हल निकाल दिया है. इस योजना में कैंप लगाकर इनका हल किया जाएगा. इसमें चार बाजार लोहा मंडी, इलेक्ट्रिक मंडी, सैनिटरी वेयर और हार्डवेयर विकसित होंगे, जिससे रोजगार के अवसर भी विकसित होंगे. जेडीए को राजस्व मिलेगा और सीकर रोड पर एक बड़ी योजना विकसित हो पाएगी.

पढ़ें: सांसद भागीरथ चौधरी ने की अजमेर में FCI गोदाम स्थापित करने की मांग

गोपालपुरा बायपास योजना...

गोपालपुरा बाईपास पर जेडीए का पायलट प्रोजेक्ट का एंपावर्ड कमेटी ने अनुमोदन कर दिया है. अब इसका सर्वे कराकर कमर्शियल हाई स्ट्रीट बनाई जाएगी. सड़क के दोनों तरफ आवासीय भूखंडों पर चल रही गैर आवासीय गतिविधियों का नियमन किया जाएगा. यहां कमर्शियल और मिक्स लैंड यूज का प्रावधान होगा, जिसे विकसित किया जाएगा और इसी तर्ज पर शहर की प्रमुख 20 सड़कों को विकसित किया जाएगा. इसके लिए एंपावर्ड कमेटी ने सहमति दे दी है. ये सभी काम मास्टर प्लान 2025 के तहत शहर भर में किए जाएंगे. इसमें पार्किंग और दूसरी सुविधाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा.

सेंट्रल स्पाइन योजना...

190 हेक्टेयर में बनने वाली योजना लंबे समय से अटकी पड़ी है. रीको और जेडीए के बीच 2003 में इसे लेकर एमओयू हुआ और 2005 में से रिवाइज किया गया, लेकिन उसके बाद की परिस्थितियां बदल गई. काफी काश्तकार कोर्ट में चले गए, उन्हें मुआवजे के तौर पर लैंड उपलब्ध नहीं हो पा रही है. अब उन एमओयू की शर्तों को दोबारा रिवाइज करने के लिए निर्देश दिए गए हैं, ताकि जेडीए और रीको के अपने-अपने हिस्से की योजनाएं जमीन पर उतर सके. ऐसे में कुछ शर्तों में भी संशोधन किया जाएगा.

न्यू ट्रांसपोर्ट नगर योजना...

योजना के तहत 2007 में पहले चरण में जिन आवंटियों की आवंटन किए जा चुके हैं. उन्हें नोटिस दिए गए हैं. यदि वो निर्माण नहीं करते तो उनके आवंटन निरस्त किए जाएंगे. फिलहाल करीब 200 कंस्ट्रक्शन शुरू हो गए हैं. वहीं, दूसरे चरण के आवंटियों की राशि कम करने की मांग थी. इस पर एंपावर्ड कमेटी को अवगत कराया गया, जिस पर नीतिगत निर्णय लेकर एक सब कमेटी बनाई गई है, जो ग्राउंड रियलिटी को जांच कर 30 दिन के अंदर एंपावर्ड कमेटी को रिपोर्ट पेश करेगी. जेडीसी के अनुसार, इन सभी विवादों को जल्द निपटाया जाएगा. बता दें कि जयपुर विकास प्राधिकरण को सरकार को इन सभी प्रोजेक्ट की जानकारी 30 दिन में भेजनी है.

जयपुर. 14 फरवरी को हुई एंपावर्ड कमेटी की मीटिंग में लिए गए फैसलों पर नगरीय विकास विभाग ने मुहर लगा दी है. राज्य सरकार ने जेडीए के 5 प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी है. इनमें वेस्टवे हाइट्स, लोहामंडी, गोपालपुरा बायपास और न्यू ट्रांसपोर्ट नगर योजना के रिजर्व प्राइस तय करने के साथ सेंट्रल स्पाइन योजना के विवाद को दूर करना शामिल है. जयपुर विकास प्राधिकरण की वर्षों से लंबित चल रही योजनाओं का एंपावर्ड कमेटी की बैठक में समाधान निकाले जाने के बाद, अब यूडीएच विभाग ने भी इस पर मुहर लगा दी है. हालांकि, अभी भी सेंट्रल स्पाइन और ट्रांसपोर्ट नगर योजना को लेकर इंतजार करना होगा. लेकिन, जेडीए के लिए राहत की बात ये है कि गोपालपुरा बायपास योजना, वेस्टवे हाइट्स और लोहामंडी योजना के रास्ते खुले हैं, इससे जेडीए के खजाने में 1800 करोड़ से ज्यादा का राजस्व आएगा.

जयपुर विकास प्राधिकरण के 5 प्रोजेक्ट को सरकार से मिली अनुमति...

वेस्ट वे हाइट्स योजना...

1989 में अजमेर रोड पर ट्रक टर्मिनल योजना के तहत लैंड एक्विजिशन की कार्रवाई शुरू की गई थी. इसके बाद सेकंड फेज में 2002 में लैंड एक्विजिशन की गई. लेकिन, काश्तकार-किसान और जेडीए के बीच मुआवजे को लेकर विवाद चल रहे थे, जिसमें तकरीबन 25 याचिका उच्च न्यायालय में दर्ज हैं. कुछ में स्थगन आदेश भी थे. उनमें काश्तकारों के साथ बैठ समझौता बनाया गया, जिस पर एंपावर्ड कमेटी की बैठक में अनुमति दी गई. मुख्य रूप से ऐसे किसान जिनके न्यायालय से स्थगन हैं और कब्जा अब तक जेडीए को नहीं मिला है. उन जमीनों पर 20% आवासीय और 5% व्यवसायिक जमीन नकद मुआवजे के विकल्प के तौर पर उपलब्ध करवाई जाएगी. साथ ही, जो किसानों के पट्टे होंगे, उनमें लीज राशि में 40% माफी की अनुमति दी गई है. इससे वेस्ट वे हाइट्स योजना का विवाद लगभग खत्म हो जाएगा. बहुत जल्द जेडीए यहां आवासीय, व्यवसायिक और एजुकेशन प्लॉट उपलब्ध कराएगा.

लोहा मंडी योजना...

ग्राम माचड़ा में ये योजना तकरीबन 19 साल से लंबित थी. इसमें अवाप्ति से जुड़े हुए विवाद थे, जिसके कारण पूर्व के आवंटियों को भी जेडीए कब्जा नहीं दे पा रहा था और योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रही थी. लगभग 130 हेक्टेयर जमीन पर बनने वाली इस योजना का जो मुख्य विवाद था, उसे एंपावर्ड कमेटी ने नीतिगत निर्णय लेकर उसका हल निकाल दिया है. इस योजना में कैंप लगाकर इनका हल किया जाएगा. इसमें चार बाजार लोहा मंडी, इलेक्ट्रिक मंडी, सैनिटरी वेयर और हार्डवेयर विकसित होंगे, जिससे रोजगार के अवसर भी विकसित होंगे. जेडीए को राजस्व मिलेगा और सीकर रोड पर एक बड़ी योजना विकसित हो पाएगी.

पढ़ें: सांसद भागीरथ चौधरी ने की अजमेर में FCI गोदाम स्थापित करने की मांग

गोपालपुरा बायपास योजना...

गोपालपुरा बाईपास पर जेडीए का पायलट प्रोजेक्ट का एंपावर्ड कमेटी ने अनुमोदन कर दिया है. अब इसका सर्वे कराकर कमर्शियल हाई स्ट्रीट बनाई जाएगी. सड़क के दोनों तरफ आवासीय भूखंडों पर चल रही गैर आवासीय गतिविधियों का नियमन किया जाएगा. यहां कमर्शियल और मिक्स लैंड यूज का प्रावधान होगा, जिसे विकसित किया जाएगा और इसी तर्ज पर शहर की प्रमुख 20 सड़कों को विकसित किया जाएगा. इसके लिए एंपावर्ड कमेटी ने सहमति दे दी है. ये सभी काम मास्टर प्लान 2025 के तहत शहर भर में किए जाएंगे. इसमें पार्किंग और दूसरी सुविधाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा.

सेंट्रल स्पाइन योजना...

190 हेक्टेयर में बनने वाली योजना लंबे समय से अटकी पड़ी है. रीको और जेडीए के बीच 2003 में इसे लेकर एमओयू हुआ और 2005 में से रिवाइज किया गया, लेकिन उसके बाद की परिस्थितियां बदल गई. काफी काश्तकार कोर्ट में चले गए, उन्हें मुआवजे के तौर पर लैंड उपलब्ध नहीं हो पा रही है. अब उन एमओयू की शर्तों को दोबारा रिवाइज करने के लिए निर्देश दिए गए हैं, ताकि जेडीए और रीको के अपने-अपने हिस्से की योजनाएं जमीन पर उतर सके. ऐसे में कुछ शर्तों में भी संशोधन किया जाएगा.

न्यू ट्रांसपोर्ट नगर योजना...

योजना के तहत 2007 में पहले चरण में जिन आवंटियों की आवंटन किए जा चुके हैं. उन्हें नोटिस दिए गए हैं. यदि वो निर्माण नहीं करते तो उनके आवंटन निरस्त किए जाएंगे. फिलहाल करीब 200 कंस्ट्रक्शन शुरू हो गए हैं. वहीं, दूसरे चरण के आवंटियों की राशि कम करने की मांग थी. इस पर एंपावर्ड कमेटी को अवगत कराया गया, जिस पर नीतिगत निर्णय लेकर एक सब कमेटी बनाई गई है, जो ग्राउंड रियलिटी को जांच कर 30 दिन के अंदर एंपावर्ड कमेटी को रिपोर्ट पेश करेगी. जेडीसी के अनुसार, इन सभी विवादों को जल्द निपटाया जाएगा. बता दें कि जयपुर विकास प्राधिकरण को सरकार को इन सभी प्रोजेक्ट की जानकारी 30 दिन में भेजनी है.

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