जयपुर. राजस्थान में सड़क हादसों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. रोड एक्सीडेंट और हादसों में होने वाली मौत में प्रदेश क्रमश: 5वें और 7वें स्थान पर हैं. केंद्रीय परिवहन मंत्रालय की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक साल भर में राजस्थान में करीब 25 हजार से ज्यादा रोड एक्सिडेंट हुए हैं. इन हादसों में करीब 28 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं तो 10500 से ज्यादा लोग मौत के मुंह में चले गए हैं. चिंता की बात यह है कि प्रदेश में नेशनल स्टेट हाईवे से जुडी सड़कें 10 प्रतिशत ही हैं, लेकिन इन पर होने वाले रोड एक्सीडेंट 56 प्रतिशत हैं. राज्य सरकार के तमाम दावों के बाद भी सड़क दुर्घटना नहीं रुक रही.
राजस्थान में पिछले कुछ सालों में सड़क निर्माण कर शहर से कस्बे और कस्बे से गांव-ढाणी को जोड़ा गया है. अब ना गांव से कस्बा दूर लगता है और ना कस्बे से शहर की दूरी पता चलती है. सड़कों का जाल बिछा तो परिवहन के संसाधन भी बढ़े, लेकिन बढ़ते संसाधनों के बीच सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हुई. राजस्थान में हर साल 10500 से ज्यादा लोग सड़क हादसों में जान गवा रहे हैं. भारत सरकार के परिवहन मंत्रालय की 2019 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो राजस्थान सड़क दुर्घटनाओं में 5वें स्थान पर है, जबकि सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में प्रदेश 7वें स्थान पर है.
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साइन मार्क बनाएं और स्पीड कंट्रोल की व्यवस्था हो
सड़क दुर्घटनाओं पर काम कर रही नेहा खुल्लर बताती हैं कि सड़क बना देने से जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती है. सुरक्षित यातायात के लिए जरुरी है कि आवश्यक कदम भी उठाए जाएं. गांव से शहर की और आने वाले लोग या तो दो पहिया वाहन का उपयोग करते हैं या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का. इनमें सड़क हादसों के शिकार होने वाले ज्यादातर 18 से 40 वर्ष के लोग होते हैं, जो रोजगार के लिए गांव से शहरों की ओर आते-जाते हैं या पढ़ाई के लिए सफर करते हैं. सरकार की ओर से सड़कें बनाई गईं कि कनेक्टिविटी बने, लेकिन सुरक्षित कनेक्टिविटी हो इस और ध्यान नहीं जा रहा है. सड़कों पर ना साइन मार्क बनाए गए ना स्पीड कंट्रोल के लिए कोई व्यवस्था की गई है. यही वजह है कि सड़क हादसों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.
राजस्थान के सड़क हादसों का ग्राफ
वर्ष 2016 में एक्सीडेंट्स का आंकड़ा 23066 था
वर्ष 2017 में यह आंकड़ा घट कर 22112 हो गया
मतलब हादसों में 4.14% की कमी आई
वर्ष 2018 में यह आंकड़ा घट कर 21741 हो गया
मतलब हादसों में 1.68% की और गिरावट आई
लेकिन वर्ष 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 23561 हो गया
मतलब हादसों में 8.37% का इजाफा हो गया
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देश में होने वाले रोड एक्सीडेंट और उनमें होने वाली मौतों के आंकड़ों पर नजर डालें तो राजस्थान क्रमश: 5वां और 7वां स्थान है. रोड एक्सीडेंट में डेथ में राजस्थान वर्ष 2019 में 7वें स्थान पर है. प्रदेश में 2019 में 10563 मौतें सड़क हादसों में हुई हैं. हालांकि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटका में रोड एक्सीडेंट का डेथ रेट और अधिक है.
पांच जिलों में हादसे अधिक
राजस्थान के 5 जिले ऐसे हैं जिनमें सबसे ज्यादा सड़क हादसे और मौतें हुई हैं. राजस्थान में सबसे ज्यादा सड़क हादसे जयपुर में होते हैं. इसके बाद अलवर, जोधपुर, अजमेर और उदयपुर का नंबर आता है. इन शहरों में सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौत के आंकड़ों पर नजर डालें तो जयपुर में 2019 में 4269 सड़क हादसे हुए, जिनमें 1283 लोगों की मौत हुई. इसके बाद अलवर में 2019 में 1421 सड़क हादसे हुए जिनमें 606 लोगों की जानें गईं. जोधपुर में 2019 में 1117 सड़क हादसों में 589 लोगों की मौत हुई. जबकि अजमेर में 2019 में 1174 सड़क हादसों में 529 लोगों की जान चली गई. वहीं उदयपुर में 2019 में सड़क हादसे 1218 हुए जो अन्य जिलों से ज्यादा है, लेकिन मौत 503 लोगों की हुई जो अन्य जिलों से कम है.
17 जनवरी से एक महीने के लिए सड़क सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत हुई है. परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास कहते हैं कि लोग सुरक्षित रहें इसको लेकर सरकार गंभीर है और हर संभव कोशिश भी की जा रही है. हांलाकि परिवहन मंत्री सड़क हादसों को एनएचआई को भी जिम्मेदार मानते हैं.
सरकार के अपने दावे हैं लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश में हो रही सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आ रही है. हालांकि सरकार तमिलनाडु के फार्मूले को राजस्थान में लागू करने की तैयारी कर रही ताकि जिस तरह से तमिलनाडु में सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई है, राजस्थान में भी इसका असर दिखे.