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स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत गोबरधन परियोजनाएं की जाएंगी आगामी 5 वर्षों में क्रियान्वित

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Published : Jan 5, 2021, 9:57 PM IST

प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के दूसरे चरण में गोबरधन परियोजनाएं आगामी 5 वर्षों में क्रियान्वित की जाएंगी. ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण, गोपालन एवं बायोफ्यूल मिल कर कन्वर्जेंस के माध्यम से कार्य कराएंगे. प्रत्येक जिले में 50 लाख की लागत से बायोगैस संयंत्रों का निर्माण करवाया जाएगा.

Construction of Biogas Plants, Gobardhan Projects in Rajasthan
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत गोबरधन परियोजनाएं की जाएंगी आगामी 5 वर्षों में क्रियान्वित

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग रोहित कुमार सिंह ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के द्वितीय चरण के तहत प्रदेश के प्रत्येक जिले में अगले 5 सालों में गोबरधन परियोजनाएं क्रियान्वित की जाएगी. सिंह ने मंगलवार को गोबरधन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए गठित राज्य स्तरीय तकनीकी सलाहकार समिति की बैठक में, पैनल में सम्मिलित की जाने वाली 6 फर्मों की क्षमताओं व पूर्व कार्य अनुभवों का प्रस्तुतीकरण भी देखा.

इसके बाद सिंह ने बताया कि योजना का क्रियान्वयन स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण, गोपालन एवं बायोफ्यूल प्राधिकरण के आपसी सहयोग से कन्वर्जेंस के माध्यम से किया जाएगा. अतिरिक्त मुख्य सचिव ने जानकारी दी कि इन योजनाओं के अंतर्गत प्रत्येक जिले में 50 लाख की लागत से बायोगैस संयंत्रों का निर्माण किया जाएगा. इन संयंत्रों के निर्माण के लिए अनुभवी फर्मों का पैनल बनाया जा रहा है, जिससे कि यह संयंत्र अच्छी गुणवत्ता के बने और इनकी लंबे समय तक उपयोगिता बनी रहे.

सिंह ने बताया कि गोबरधन परियोजनाओं के तहत व्यक्तिगत एवं सामुदायिक स्तर पर गांव/ ब्लॉक /जिले में बायोगैस संयंत्रों का निर्माण किया जा रहा है. गोबरधन परियोजनाएं मवेशियों को गोबर और ठोस कृषि कचरे को बायोगैस एवं बायो स्लरी में परिवर्तित करने के लिए ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहन देकर बायोडिग्रेडेबल वेस्ट रिकवरी में सहायता देती है.

पढ़ें- REET परीक्षा की विज्ञप्ति जारी, शिक्षा मंत्री डोटासरा ने ट्वीट कर दी जानकारी

उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतें कंपोज्ड एवं वर्मी कंपोस्ट बनाने जैसी पहल के साथ अधिकतम डिग्रेडेबल वेस्ट रिकवरी के लिए इन परियोजनाओं को क्रियान्वित कर सकती है. सिंह ने कहा कि गोबरधन परियोजनाएं ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन का एक अभिन्न हिस्सा हैं. ये परियोजनाएं ग्रामीणों के जनजीवन में सुधार के लिए मवेशियों के कचरे, रसोई के अपशिष्ट, फसल के अवशेष और बाजार के कचरे सहित जैव अपशिष्ट को बायोगैस और बायो स्लरी में बदलकर गांव में स्वच्छता सुनिश्चित करती है, जो कि किसानों और ग्रामीण परिवारों को आर्थिक लाभ और संसाधन उपलब्ध करवाने में उपयोगी है.

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग रोहित कुमार सिंह ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के द्वितीय चरण के तहत प्रदेश के प्रत्येक जिले में अगले 5 सालों में गोबरधन परियोजनाएं क्रियान्वित की जाएगी. सिंह ने मंगलवार को गोबरधन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए गठित राज्य स्तरीय तकनीकी सलाहकार समिति की बैठक में, पैनल में सम्मिलित की जाने वाली 6 फर्मों की क्षमताओं व पूर्व कार्य अनुभवों का प्रस्तुतीकरण भी देखा.

इसके बाद सिंह ने बताया कि योजना का क्रियान्वयन स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण, गोपालन एवं बायोफ्यूल प्राधिकरण के आपसी सहयोग से कन्वर्जेंस के माध्यम से किया जाएगा. अतिरिक्त मुख्य सचिव ने जानकारी दी कि इन योजनाओं के अंतर्गत प्रत्येक जिले में 50 लाख की लागत से बायोगैस संयंत्रों का निर्माण किया जाएगा. इन संयंत्रों के निर्माण के लिए अनुभवी फर्मों का पैनल बनाया जा रहा है, जिससे कि यह संयंत्र अच्छी गुणवत्ता के बने और इनकी लंबे समय तक उपयोगिता बनी रहे.

सिंह ने बताया कि गोबरधन परियोजनाओं के तहत व्यक्तिगत एवं सामुदायिक स्तर पर गांव/ ब्लॉक /जिले में बायोगैस संयंत्रों का निर्माण किया जा रहा है. गोबरधन परियोजनाएं मवेशियों को गोबर और ठोस कृषि कचरे को बायोगैस एवं बायो स्लरी में परिवर्तित करने के लिए ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहन देकर बायोडिग्रेडेबल वेस्ट रिकवरी में सहायता देती है.

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उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतें कंपोज्ड एवं वर्मी कंपोस्ट बनाने जैसी पहल के साथ अधिकतम डिग्रेडेबल वेस्ट रिकवरी के लिए इन परियोजनाओं को क्रियान्वित कर सकती है. सिंह ने कहा कि गोबरधन परियोजनाएं ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन का एक अभिन्न हिस्सा हैं. ये परियोजनाएं ग्रामीणों के जनजीवन में सुधार के लिए मवेशियों के कचरे, रसोई के अपशिष्ट, फसल के अवशेष और बाजार के कचरे सहित जैव अपशिष्ट को बायोगैस और बायो स्लरी में बदलकर गांव में स्वच्छता सुनिश्चित करती है, जो कि किसानों और ग्रामीण परिवारों को आर्थिक लाभ और संसाधन उपलब्ध करवाने में उपयोगी है.

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