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राज्य पुरस्कार से सम्मानित प्रिंसिपल के पदस्थापन में प्राथमिकता देंः RCSAT - विजय कृष्ण वैष्णव

जयपुर में राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने राज्य पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों को पदस्थापन में प्राथमिकता देने की बात कही है. साथ ही विजय कृष्ण वैष्णव के किए ट्रांसफर को निरस्त करने के आदेश दिए है.

राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल, jaipur latest news
राज्य पुरस्कार से सम्मानित प्रिंसिपल के पदस्थापन में प्राथमिकता दी जाए
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Published : Dec 25, 2019, 8:17 PM IST

Updated : Dec 26, 2019, 12:59 AM IST

जयपुर. राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने एक मामले में कहा है कि राज्य पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों को पदस्थापन में प्राथमिकता देनी चाहिए. वहीं, अधिकरण ने प्रार्थी प्रिंसीपल के 29 सितंबर 2019 के आदेश से किए ट्रांसफर को निरस्त करते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक को कहा है कि वे प्रार्थी से खाली पदों के तीन विकल्प लेकर उनके पदस्थापन के संबंध में नया आदेश जारी करें. अधिकरण ने यह आदेश विजय कृष्ण वैष्णव की अपील पर दिया.

मामले के अनुसार, प्रार्थी राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल पनाशी छोटी बांसवाड़ा में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत था. लेकिन 29 सितंबर के आदेश से उनका ट्रांसफर डूंगरपुर में कर दिया. इसे अधिकरण में अपील के जरिए चुनौती देते हुए कहा कि प्रार्थी को 2017 में राज्य सरकार ने सम्मानित किया है और 2019 में राज्य सरकार ने शिक्षक सम्मान समारोह में प्रशस्तिपत्र भी दिया है.

पढ़ें- वाजपेयी के नाम से ई-लाइब्रेरी और महाराजा सूरजमल की बनाई जाएगी भव्य प्रतिमा : पूनिया

राज्य सरकार के परिपत्र के अनुसार राज्य स्तर पर सम्मानित शिक्षकों को पदस्थापन में प्राथमिकता देनी चाहिए. लेकिन शिक्षा विभाग ने अपने परिपत्र के विपरीत जाकर प्रार्थी का ट्रांसफर दूरस्थ जगह पर किया है. ऐसे में उसके दिए गए तीन विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए था. इसलिए उसके ट्रांसफर आदेश को रद्द किया जाए.

हाईकोर्ट ने दिए नोशनल परिलाभों सहित याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती-2018 में चयन के बावजूद नियुक्ति नहीं देने को गलत मानते हुए सभी नोशनल परिलाभों सहित याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश संतोष चौधरी की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता अर्थशास्त्र के साथ कॉमर्स में स्नातक है. वहीं, शिक्षक भर्ती में उसका सामाजिक अध्ययन विषय में चयन हुआ था. इसके बावजूद उसे यह कहते हुए नियुक्ति से इंकार कर दिया कि याचिकाकर्ता आटर्स से स्नातक होनी चाहिए.

याचिका में कहा गया की एनसीटीई के अनुसार अर्थशास्त्र से स्नातक अभ्यर्थी सामाजिक अध्ययन विषय के शिक्षक पद पर चयनीत हो सकता है. ऐसे में उसे योग्य होने के बावजूद नियुक्ति नहीं देना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को समस्त नोशनल परिलाभों सहित नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं.

यह भी पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: जेडीए की मनमानी!...2 साल से जयपुर नगर निगम को नहीं दी हिस्सा राशि

नाबालिग से बीच रास्ते छेड़छाड़ करने वाले युवक को सजा :

जयपुर पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-5 ने बीच रास्ते नाबालिग से छेड़छाड़ कर उसकी लज्जा भंग करने वाले अभियुक्त आसिफ खान को तीन साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने भट्टा बस्सी निवासी इस अभियुक्त पर 21 हजार पांच सौ रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि 4 जून 2017 को पीडिता उसकी बहन और उसके पिता बाजार से कूलर सहित अन्य सामान खरीद कर लौट रहे थे. रास्ते में पीड़िता सिर पर कूलर रखकर सबसे पीछे चल रही थी. इतने में मौका देखकर अभियुक्त ने उसके साथ छेड़छाड़ की और उसकी लज्जा भंग कर दी. पीड़िता के चिल्लाने पर उसके पिता ने अभियुक्त को रोका. इस पर अभियुक्त ने अपने आप को इलाके का गुंडा बताते हुए पिता से मारपीट की. वहीं पीड़िता के पिता की रिपोर्ट पर पुलिस ने 7 जून को अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया.

जयपुर. राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने एक मामले में कहा है कि राज्य पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों को पदस्थापन में प्राथमिकता देनी चाहिए. वहीं, अधिकरण ने प्रार्थी प्रिंसीपल के 29 सितंबर 2019 के आदेश से किए ट्रांसफर को निरस्त करते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक को कहा है कि वे प्रार्थी से खाली पदों के तीन विकल्प लेकर उनके पदस्थापन के संबंध में नया आदेश जारी करें. अधिकरण ने यह आदेश विजय कृष्ण वैष्णव की अपील पर दिया.

मामले के अनुसार, प्रार्थी राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल पनाशी छोटी बांसवाड़ा में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत था. लेकिन 29 सितंबर के आदेश से उनका ट्रांसफर डूंगरपुर में कर दिया. इसे अधिकरण में अपील के जरिए चुनौती देते हुए कहा कि प्रार्थी को 2017 में राज्य सरकार ने सम्मानित किया है और 2019 में राज्य सरकार ने शिक्षक सम्मान समारोह में प्रशस्तिपत्र भी दिया है.

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राज्य सरकार के परिपत्र के अनुसार राज्य स्तर पर सम्मानित शिक्षकों को पदस्थापन में प्राथमिकता देनी चाहिए. लेकिन शिक्षा विभाग ने अपने परिपत्र के विपरीत जाकर प्रार्थी का ट्रांसफर दूरस्थ जगह पर किया है. ऐसे में उसके दिए गए तीन विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए था. इसलिए उसके ट्रांसफर आदेश को रद्द किया जाए.

हाईकोर्ट ने दिए नोशनल परिलाभों सहित याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती-2018 में चयन के बावजूद नियुक्ति नहीं देने को गलत मानते हुए सभी नोशनल परिलाभों सहित याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश संतोष चौधरी की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता अर्थशास्त्र के साथ कॉमर्स में स्नातक है. वहीं, शिक्षक भर्ती में उसका सामाजिक अध्ययन विषय में चयन हुआ था. इसके बावजूद उसे यह कहते हुए नियुक्ति से इंकार कर दिया कि याचिकाकर्ता आटर्स से स्नातक होनी चाहिए.

याचिका में कहा गया की एनसीटीई के अनुसार अर्थशास्त्र से स्नातक अभ्यर्थी सामाजिक अध्ययन विषय के शिक्षक पद पर चयनीत हो सकता है. ऐसे में उसे योग्य होने के बावजूद नियुक्ति नहीं देना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को समस्त नोशनल परिलाभों सहित नियुक्ति देने के आदेश दिए हैं.

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नाबालिग से बीच रास्ते छेड़छाड़ करने वाले युवक को सजा :

जयपुर पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-5 ने बीच रास्ते नाबालिग से छेड़छाड़ कर उसकी लज्जा भंग करने वाले अभियुक्त आसिफ खान को तीन साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने भट्टा बस्सी निवासी इस अभियुक्त पर 21 हजार पांच सौ रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि 4 जून 2017 को पीडिता उसकी बहन और उसके पिता बाजार से कूलर सहित अन्य सामान खरीद कर लौट रहे थे. रास्ते में पीड़िता सिर पर कूलर रखकर सबसे पीछे चल रही थी. इतने में मौका देखकर अभियुक्त ने उसके साथ छेड़छाड़ की और उसकी लज्जा भंग कर दी. पीड़िता के चिल्लाने पर उसके पिता ने अभियुक्त को रोका. इस पर अभियुक्त ने अपने आप को इलाके का गुंडा बताते हुए पिता से मारपीट की. वहीं पीड़िता के पिता की रिपोर्ट पर पुलिस ने 7 जून को अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया.

Intro:जयपुर। राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने एक मामले में कहा है कि राज्य पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों को पदस्थापन में प्राथमिकता देनी चाहिए। वहीं अधिकरण ने प्रार्थी प्रिंसीपल के 29 सितंबर 2019 के आदेश से किए ट्रांसफर को निरस्त करते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक को कहा है कि वे प्रार्थी से खाली पदों के तीन विकल्प लेकर उनके पदस्थापन के संबंध में नया आदेश जारी करें।Body:अधिकरण ने यह आदेश विजय कृष्ण वैष्णव की अपील पर दिया।
मामले के अनुसार, प्रार्थी राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल पनाशी छोटी बांसवाड़ा मेंं प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत था। लेकिन 29 सितंबर के आदेश से उनका ट्रांसफर डूंगरपुर में कर दिया। इसे अधिकरण में अपील के जरिए चुनौती देते हुए कहा कि प्रार्थी को 2017 में राज्य सरकार ने सम्मानित किया है और 2019 में राज्य सरकार ने शिक्षक सम्मान समारोह में प्रशस्तिपत्र भी दिया है। राज्य सरकार के परिपत्र के अनुसार राज्य स्तर पर सम्मानित शिक्षकों को पदस्थापन में प्राथमिकता देनी चाहिए। लेकिन शिक्षा विभाग ने अपने परिपत्र के विपरीत जाकर प्रार्थी का ट्रांसफर दूरस्थ जगह पर किया है। ऐसे में उसके दिए गए तीन विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए था। इसलिए उसके ट्रांसफर आदेश को रद्द किया जाए।Conclusion:
Last Updated : Dec 26, 2019, 12:59 AM IST
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