जयपुर. राजस्थान में 2020 में सचिन पायलट की बगावत के 2 साल बाद एक बार फिर कांग्रेस आलाकमान के आदेशों की अवहेलना हो रही है. लेकिन इस बार पायलट की ओर से नहीं (Rajasthan Political Crisis) बल्कि गहलोत गुट की ओर से ऐसी स्थिति बनाई गई. इस बार विरोध के हालात आलाकमान को प्रस्ताव देने की बात पर बने हैं. जिसके तहत मुख्यमंत्री बनाने के लिए सभी विधायकों को प्रस्ताव पास करके देना था कि गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नामांकन के चलते पद छोड़ने पर उनकी जगह मुख्यमंत्री नियुक्त करने की जिम्मेदारी आलाकमान पर छोड़ी जाती है.
हालात यह हैं कि जहां कांग्रेस पार्टी की ओर से लगाए गए पर्यवेक्षक अजय माकन (Tussle amid Congress in Rajasthan) और मल्लिकार्जुन खड़गे की उपस्थिति में जयपुर के मुख्यमंत्री आवास में रविवार 25 सितंबर को जो विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, उसमें आने की जगह गहलोत गुट के करीब 76 विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया. रात 12 बजे तक चले सियासी ड्रामे के बाद भी विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान की ओर से भेजे गए दोनों पर्यवेक्षकों से मुलाकात नहीं की. ऐसे में माना जा रहा है कि सीएम की नियुक्ति पर सोनिया को फ्री हैंड न देने की गहलोत कैंप की जिद से ही ऐसी नौबत आई है.
वहीं, इस दौरान मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास और (Congress MLAs Resign in Rajasthan) निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने आलाकमान की ओर से भेजे गए दोनों पर्यवेक्षकों से विधायकों की तरफ से अपनी बात रखी, जिसमें उन्होंने कांग्रेस आलाकमान में पूरी विश्वास जताया, लेकिन इसके साथ ही विधायक दल की बैठक के लिए कुछ शर्तें भी उनके सामने रख दीं.
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ये रखी थी शर्ते
- जिन 102 विधायकों ने सरकार बचाई थी सीएम का चयन उन्हीं विधायकों में से हो, मानेसर जाने वाले 19 विधायकों में से नहीं.
- विधायक दल की बैठक 19 अक्टूबर को गहलोत के अध्यक्ष बन जाने के बाद ही बुलाई जाए.
- अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री के चयन में मुख्य भूमिका दी जाए.
इस तरह हुआ घटनाक्रम
- 25 सितंबर को शाम 7:00 बजे बुलाई गई विधायक दल की बैठक.
- शाम 4:00 बजे विधायक दल की बैठक से पहले ही अनौपचारिक बैठक संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर हुई.
- शाम 7:00 बजे होने वाली विधायक दल की बैठक 8:00 बजे हुई लेकिन रात 12:00 बजे तक कोई विधायक वहां नहीं पहुंचा.
- विधायक स्पीकर निवास पर पहुंचे और उन्होंने अपना इस्तीफा सीपी जोशी को सौंप दिया.
- रात करीब 10:00 बजे मंत्री प्रताप सिंह, महेश जोशी, शांति धारीवाल और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने दोनों पर्यवेक्षकों से मुलाकात की.
- सचिन पायलट गुट समेत करीब 27 विधायक मुख्यमंत्री आवास पर हुई विधायक दल की बैठक में शामिल तो हुए लेकिन विधायक दल की बैठक नहीं हुई.
- सोमवार को भी 2:00 बजे तक पर्यवेक्षक जयपुर में रहे. लेकिन इस्तीफा देने वाले विधायक ने उनसे मुलाकात नहीं की.
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देर रात करीब 1:00 बजे तक स्पीकर के निवास पर रहने के बाद विधायक अपने अपने घरों पर चले गए. वहीं पर्यवेक्षक भी बिना विधायक दल की बैठक के आखिर 3 घंटे बाद अपने होटल में चले गए. अगले दिन सोमवार को भी विधायकों ने होटल जाकर पर्यवेक्षक से मुलाकात नहीं की. इस दौरान प्रभारी अजय माकन ने विधायकों के रवैया पर सवाल खड़े करते हुए इसे अनुशासनहीन बताया और रिपोर्ट तैयार कर सोनिया गांधी को पेश कर दी.
गहलोत और पायलट के बीच टकराव के चलते बने हालात : राजस्थान में (Gehlot vs Pilot) मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रहे टकराव के कारण ऐसे हालात बने. गहलोत गुट के विधायक यह मानते हैं कि सचिन पायलट की बगावत के चलते ही गहलोत सरकार संकट में आई. उन्हें 34 दिन होटलों में निकालने पड़े. प्रियंका गांधी के पूरे मामले में हस्तक्षेप करने पर सचिन पायलट की पार्टी में एंट्री तो हो गई, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके समर्थक विधायक इससे खुश नहीं थे.
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यही कारण है कि अब तक भी मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट के बीच बातचीत के भी रिश्ते नहीं थे. जब गहलोत गुट को यह साफ संकेत मिल गए कि सचिन पायलट को ही आलाकमान राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाना चाहता है. ऐसे में गहलोत समर्थक विधायकों ने न केवल आपत्ति जताई बल्कि विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करते हुए स्पीकर को अपने इस्तीफे सौंप दिए.
दिल्ली में माकन ने सौंपी सोनिया को रिपोर्ट : जयपुर में नाराजगी जताने के (Makan Report to Sonia Gandhi) बाद कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अजय माकन दिल्ली लौट गए. शाम को सोनिया गांधी से मुलाकात की. संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल पर निवास पर अनौपचारिक विधायक दल की बैठक बुलाने का आरोप लगा और कारण बताओ नोटिस भेजा गया. मंत्री शांति धारीवाल ने भी अजय माकन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने जानबूझकर पक्षपात पूर्ण तरीके से राजस्थान के विधायकों से बात की. पिछले कई दिनों से यह सूचनाएं आ रही थी कि वह सचिन पायलट के पक्ष में प्रचार करने के लिए विधायकों को कहा जा रहा था. उनसे जुड़ने के लिए कहा जा रहा था.