जयपुर. राजस्थान में राज्यसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. 4 राज्यसभा सीटों में से कांग्रेस को तीन और भाजपा को एक सीट पर जीत मिली है. चुनाव के नतीजों के बाद हर तरफ एक ही चर्चा है और वह है राजस्थान की राजनीति के जादूगर माने जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की. इन राज्यसभा चुनाव से मुख्यमंत्री की प्रदेश के विधायकों पर मजबूत पकड़ फिर साबित हो ही गई है साथ ही चुनाव में जीत का लाभ यह भी मिला है कि अब वह दिल्ली में भी सीएम गहलोत कांग्रेस (Gehlot power increased in Delhi) के एक ताकतवर नेता के रूप में उभरे हैं.
वैसे तो दिल्ली में मुख्यमंत्री गहलोत के पैरोकार नेताओं की पहले भी कोई कमी नहीं है और गांधी परिवार से भी गहलोत के मजबूत संबंध किसी से छिपे नही हैं, लेकिन चुनाव जिताकर जो तीन राज्य सभा सांसदों को उन्होंने दिल्ली भेजा है, वह भी गांधी परिवार के आंख ,नाक, कान माने जाते हैं. तीनों नेता जिस तरह सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के संपर्क में रहते हैं उससे साफ है कि अब पहले से मजबूत गहलोत के दिल्ली में नए और शक्तिशाली पैरोकार भी तैयार हो गए हैं.
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माना जाता है कि मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी को सोनिया गांधी का नजदीकी तो रणदीप सुरजेवाला को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है. ऐसे में इन तीनों नेताओं को राज्यसभा में भेजकर पहले से कांग्रेस आलाकमान के विश्वसनीय नेता गहलोत ने अपनी विश्वसनीयता और बढ़ा दी है. ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहली बार दिल्ली के नेताओं को मजबूती प्रदान की है, बल्कि इससे पहले वह राजस्थान से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल को भी प्रदेश के रास्ते सर्वोच्च सदन पहुंचा चुके हैं. ऐसे में गहलोत का राज्यसभा में पंच सीधे तौर पर उनकी पकड़ राजस्थान के साथ ही दिल्ली में भी मजबूत करेगा. राजस्थान में अब इसका असर यह देखने को मिलेगा कि गहलोत हर निर्णय लेने के लिए बिना रोक-टोक स्वतंत्र होंगे.