जयपुर. राजस्थान में एक ओर सरकार कोरोना महामारी से लड़ने में जुटी हुई है, वहीं दूसरी ओर भरतपुर के आरबीएम अस्पताल के 10 वेंटिलेटर निजी जिंदल अस्पताल को देने का मामला अब तूल पकड़ रहा है. इस मामले में अब राजनीति भी पूरे चरम पर है.
जहां अभी तक इस मामले में भाजपा के नेता ही आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे थे, लेकिन अब कांग्रेस पार्टी के ही नेता इस मामले में आमने सामने होते हुए दिखाई दे रहे हैं. जहां नदबई से कांग्रेस के विधायक जोगिंदर अवाना ने इस मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जांच की मांग की है, तो वहीं दूसरी ओर मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि निजी अस्पताल को किराए पर वेंटिलेटर दिया गया है, जो गलत नहीं है.
विधायक जोगिंदर अवाना ने कहा कि जिंदल हॉस्पिटल को वेंटिलेटर किराए पर देने की जितनी निंदा की जाए, वह कम है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उन्होंने इस मामले में पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि एक तरफ 20 दिन में 30 से 35 जानें आरबीएम हॉस्पिटल में गई है, तो वहीं दूसरी तरफ 10 वेंटिलेटर निजी अस्पतालों को दिए जा रहे हैं. इससे दुखद बात नहीं हो सकती हैं. ऐसे में इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है, निष्पक्ष तरीके से इसकी जांच होनी चाहिए ओर जिम्मेदार अधिकारियों जिनके कहने पर वेंटिलेटर का आवंटन निजी अस्पतालों को किया गया है, उनपर करवाही होनी चाहिए. आश्चर्य की बात यह है इस मामले में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने आरबीएम अस्पताल के प्रशासन का बचाव करते हुए कहा कि भरतपुर में निजी अस्पतालों को किराए पर वेंटिलेटर दिए गए हैं. यह वेंटिलेटर किराए पर दिए गए हैं फ्री में नहीं. अगर आपके पास वेंटीलेटर ज्यादा है, तो जिन निजी अस्पतालों में कोरोना का इलाज हो रहा है, वहां अगर यह दिए जाते हैं, कोई गलत बात नहीं है.
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दरअसल जिला प्रशासन और आरबीएम जिला अस्पताल प्रबंधन की ओर से पीएम रिलीफ फंड में मिले 40 वेंटिलेटर से 10 वेंटिलेटर जिंदल अस्पताल को उपलब्ध करा दिए थे और जिंदल अस्पताल संचालक की ओर से इन वेंटिलेटर से मरीजों के उपचार के नाम पर बड़ी कीमत वसूली गई और अब यह मामला हाईकोर्ट तक भी पहुंच गया है.