जयपुर. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 20 फरवरी को प्रदेश का बजट पेश करने वाले हैं और इस बजट को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय भी उम्मीद लगाए बैठा है. गहलोत से बजट में अल्पसंख्यक समुदाय ने तालीम और रोजगार को लेकर काफी उम्मीदें जताई है. अल्पसंख्यक समुदाय का कहना है कि हर बार बजट में हमें हमारा पूरा हक नहीं मिलता और जितना मिलता है उसका इस्तेमाल नहीं होता. बजट को लेकर ईटीवी भारत ने अल्पसंख्यक समुदाय से उनकी उम्मीदे जानी.
दलित मुस्लिम एकता मंच के अध्यक्ष अब्दुल लतीफ आरको का कहना है कि हर बार अल्पसंख्यक समुदाय बजट को लेकर उम्मीद लगाता है, लेकिन हर बार उसको उसके हक से महरूम कर दिया जाता है. अब्दुल लतीफ ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को तालीम और रोजगार के लिए बजट चाहिए.
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वहीं, रजिया अमानत ने कहा कि सरकार महिलाओं के लिए बहुत सोचती हैं और उन्हें इस रसोई के बारे में भी सोचना होगा. जिस तरह से महंगाई लगातार बढ़ रही है. वह चाहेंगे कि रसोई का जो सामान है, वह सस्ता किया जाए. साथ ही अगर रसोई मजबूत होगी तो लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा. रजिया अमानत ने कहा कि थानों में शिकायत दर्ज करवाने के समय महिलाएं डरती है. थानों में इस तरह की व्यवस्था की जाए कि शिकायत दर्ज कराने के लिए सुगमता हो और महलाओं को किसी तरह की परेशानी नहीं झेलनी पड़े.
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एडवोकेट मोहम्मद अफजल ने कहा कि आने वाले बजट में अल्पसंख्यक समुदाय का ध्यान रखना चाहिए. पिछली वसुंधरा सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए बजट के नाम पर कुछ भी नहीं किया. उन्होंने कहा कि इससे पहले गहलोत सरकार ने 80% में से 30% दिया था तो इस बार हम चाहते हैं कि बजट में 30% से ज्यादा दिया जाए. उन्होंने यह भी कहा, कि मदरसा, वक्फ बोर्ड और विकास के लिए बजट में प्रावधान किया जाए. छात्रा नूरीन खान ने कहा, कि गहलोत सरकार की बजट से हमें रोजगार की बड़ी उम्मीदें हैं. सेंट्रल से जो बजट आया है वह हमारे किसी काम का नही है. नूरीन खान ने कहा कि अभी पढ़ाई तो कर रहे है, लेकिन डर लगता है कि हमें रोजगार मिलेगा या नहीं.