जयपुर. कोरोना वैक्सीन की कमी को लेकर चल रही गहलोत सरकार की माथा पच्ची खत्म नहीं हो रही है. विदेशों से वैक्सीन आयात करने के लिए निकाला गया ग्लोबल टेंडर भी फेल हो गया है. अब तक किसी भी कंपनी से वैक्सीन सप्लाई की डील फाइनल नहीं हुई है. ऐसे में गहलोत सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है. इसके पीछे प्रमुख कारण बताया जा रहा है कि दवा कंपनियां 300 रुपये की वैक्सीन की कीमत ग्लोबल टेंडर में 900 रुपये लगा रही हैं.
मोदी सरकार को ग्लोबल टेंडर जारी करने के दिए जाएं निर्देश
वैक्सीन को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समय-समय पर मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं. अशोक गहलोत ने वैक्सीन की कीमत को लेकर भी सवाल उठाया था कि वैक्सीन की कीमत समान होनी चाहिए. वैक्सीन कंपनियां केंद्र सरकार को अलग और राज्य सरकारों को अलग रेट में वैक्सीन दे रही हैं. ऐसे में जब ग्लोबल टेंडर फेल होता दिख रहा है तो राजस्थान सरकार ने भी दूसरा रास्ता अपनाने का फैसला किया है. राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है. जिसमें केंद्र सरकार के स्तर पर 18 से 44 साल की आयु वर्ग के लोगों के लिए वैक्सीन का ग्लोबल टेंडर जारी करने के निर्देश देने की मांग की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए सरकार के वकीलों ने तैयारी शुरू कर दी है. एक-दो दिन में याचिका दायर होने की संभावना है. याचिका में फेडरल स्ट्रक्चर का हवाला देते हुए राज्यों के स्तर पर ग्लोबल टेंडर की व्यावहारिक दिक्कतों का तर्क देते हुए कोरोना महामारी की भयावहता को देखते हुए जल्द भारत सरकार के स्तर पर वैक्सीन का ग्लोबल टेंडर करवाने के आदेश देने की मांग की जाएगी. इसके लिए एक्सपर्ट की राय और राज्यों के ग्लोबल टेंडर फेल होने का भी जिक्र होगा. राजस्थान सरकार शुरू से ही युवाओं के वैक्सीनेशन के लिए जरूरी डोज का भारत सरकार के स्तर से ग्लोबल टेंडर करवाने की मांग करती रही है.
900 से 1000 रुपये एक डोज का रेट
ग्लोबल टेंडर में सीधी कंपनियां आने की जगह चार कंपनियों- स्पूतनिक, रिथेरा, एस्ट्राजैनिका, कोवीशील्ड के डिस्ट्रीब्यूटर्स आए हैं. विदेशी कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर्स 900 से 1000 रुपये प्रति डोज का रेट बता रहे हैं. एस्ट्राजैनिका के डिस्ट्रीब्यूटर्स की रेट भी 500 से ज्यादा आ रही है, जबकि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट इसका उत्पादन कर रही है. सीरम इंस्टीट्यूट 150 रुपये में भारत सरकार को और 300 रुपये में राजस्थान को वैक्सीन दे रही है. ग्लोबल टेंडर में राज्य सरकार इतनी ऊंची दरों पर वैक्सीन लेने को तैयार नहीं हैं.
इन कारणों से फेल हुआ राजस्थान का ग्लोबल टेंडर
- ग्लोबल टेंडर में वैक्सीन का रेट ज्यादा है
- सीधे वैक्सीन कंपनियों ने ग्लोबल टेंडर में भाग नहीं लिया, वैक्सीन कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर्स की क्षमताएं टेस्टेड नहीं
- बहुत ज्यादा रेट के बावजूद 30 दिन में 1 करोड़ डोज की सप्लाई की गारंटी नहीं
- ग्लोबल टेंडर में भाग लेने वाले वैक्सीन कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर्स के क्रेडेंशियल जांचने में दिक्कतें, इस पूरी प्रक्रिया में विदेश मंत्रालय, विदेशी दूतावासों से होकर गुजरने की लंबी प्रक्रिया है. बिडर सही है या नहीं यह जांचने की राजस्थान सरकार के पास पुख्ता व्यवस्था नहीं
- केंद्र और राज्य सरकार के बीच तल्खी
राजस्थान सरकार ने 1 करोड़ वैक्सीन आयात करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला था. 20 मई तक कंपनियों से प्रस्ताव मांगे गये थे. ग्लोबल टेंडर में स्पूतनिक, रिथेरा, एस्ट्राजैनिका, कोवीशील्ड वैक्सीन के डिस्ट्रीब्यूटर्स ने भाग लिया. ग्लोबल टेंडर में आने वाली कंपनियां वैक्सीन की तीन से चार गुना तक रेट मांग रही हैं. राजस्थान सरकार अगर इतनी महंगी दरों पर वैक्सीन खरीदती तो बजट बुरी तरह गड़बड़ा जाता. और 30 दिन में 1 करोड़ डोज देने की स्थिति में भी कंपनियां नहीं हैं.
युवाओं के जल्द वैक्सीनेशन के लिए अब केंद्रीय ग्लोबल टेंडर ही रास्ता
राजस्थान सरकार ने पहले सीरम इंस्टीट्यूट को 1 करोड़ डोज वैक्सीन सप्लाई का ऑर्डर दिया था. लेकिन सीरम भी एक साथ वैक्सीन उपलब्ध नहीं करवा पा रहा. अब तक केवल 16 लाख डोज मिले हैं. सरकार ने युवाओं के वैक्सीनेशन में देरी से बचने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला. लेकिन वहां रेट से लेकर बहुत सी व्यावहारिक दिक्कतें आ गई. ग्लोबल टेंडर से वैक्सीन मिलेगी इसकी अब उम्मीद लगभग न के बराबर है. राजस्थान के अलावा पंजाब, यूपी सहित कई राज्यों के ग्लोबल टेंडर भी फेल हो चुके हैं.