जयपुर. राजस्थान में कोरोना संक्रमण का संकट गहराता जा रहा है. हर दिन के साथ कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है. इस बीच सवाल ये उठता है कि आखिर हमारा प्रदेश कोरोना के खिलाफ जंग में कितना मजबूती से खड़ा है. जब इस बारे में ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो काफी चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए.
42 हजार लोगों पर सिर्फ 1 वेंटिलेटर..
क्षेत्रफल के लिहाज से देश के सबसे बडे़ राज्य राजस्थान की आबादी लगभग 7 करोड़ है. हमारी टीम ने प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों में वेंटिलेटरों की संख्या जुटाई. वर्तमान में राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में केवल 1003 वेंटिलेटर हैं. वहीं निजी अस्पतालों में यह आंकड़ा 600-700 के बीच का है. अब इस आंकड़े को मिला लिया जाए तो लगभग 42,000 लोगों पर एक वेंटिलेटर. आबादी और तैयारियों के लिहाज से यह आंकड़ा हैरान और परेशान करने वाला है.
चिकित्सा मंत्री के अपने ही दावे..
हालांकि अब प्रदेश सरकार ने नए वेंटिलेटर खरीद की प्रकिया को शुरू करने का फैसला लिया है. सूबे के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के अनुसार विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में वेंटिलेटर हैं. लेकिन इस घातक बीमारी के चलते अगर संक्रमण फैलता है या फिर हालात और बिगड़ते हैं, तो अस्पताल में वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ेगी. ऐसे में वेंटिलेटर खरीदने का राज्य सरकार ने फैसला लिया है.
SMS मेडिकल कॉलेज के पास लगभग 300 वेंटिलेटर..
राजधानी में वेंटिलेटर की उपलब्धता की बात करें तो करीब 300 वेंटिलेटर जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के पास उपलब्ध है. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बाद सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से अटैच सभी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया है.
अकेले सवाई मानसिंह अस्पताल के पास 125 वेंटिलेटर हैं. वहीं जेके लॉन अस्पताल में वेंटिलेटरों की संख्या करीब 75 है. ऐसे में मौजूदा हालात में करीब सात से आठ हजार वेंटिलेटर की आवश्यकता प्रदेश में कम से कम है. हालांकि राज्य सरकार के आदेश के बाद वेंटिलेटर खरीद की प्रक्रिया को बिना टेंडर के शुरू भी कर दिया गया है. हालांकि चिकित्सा मंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि कितने वेंटिलेटर की खरीद प्रदेश सरकार की ओर से की जा रही है.
क्यों जरूरी है वेंटिलेटर..
डॉक्टरों का साफ कहना है कि वेंटिलेटर मशीन से कोरोना वायरस का इलाज नहीं होता है. यह मशीन बस सांस लेने में मदद करती है. शोध में यह सामने आया है कि कोरोना वायरस बुजुर्ग और बच्चों पर तेजी से असर करता है. शारीरिक रूप से कमजोर संक्रमित मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. ऐसे में वेंटिलेटर मशीन की जरूरत होती है.
हालांकि 80 प्रतिशत युवा मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत नहीं होती है. क्वॉरेंटाइन अवधि के दौरान ही तमाम मरीज ठीक हो जाते हैं. आपको बता दें कि सामान्य व्यक्ति 21 से 22 प्रतिशत ऑक्सीजन खुली हवा से प्राप्त करता है, लेकिन वेंटिलेटर मशीन मरीज को 21 से 100 प्रतिशत तक शुद्ध ऑक्सीजन उसके शरीर में पहुंचाने में मदद करती है.
राजस्थान में वेंटिलेटर की उपलब्धता:
जिला | वेंटिलेटर की संख्या |
भरतपुर | 15 |
बाड़मेर | 15 |
बीकानेर | 72 |
जैसलमेर | 14 |
जिला | वेंटिलेटर की संख्या |
हनुमानगढ़ | 10 |
करौली | 12 |
सीकर | 71 |
चूरू | 15 |
जिला | वेंटिलेटर की संख्या |
कोटा | 77 |
जोधपुर | 24 |
बूंदी | 10 |
बांसवाड़ा | 03 |
जिला | वेंटिलेटर की संख्या |
धौलपुर | 11 |
डूंगरपुर | 05 |
सिरोही | 05 |
नागौर | 09 |
उदयपुर | 280 |
जयपुर | 300* |
*आंकड़ें अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार हैं.