जयपुर. नगर निगम जयपुर ग्रेटर की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर और संचालन समितियों के चेयरमैनों को राज्य सरकार से बड़ा झटका लगा है. सरकार ने आदेशों में धारा- 56 का हवाला देते हुए लिखा है कि किसी भी समिति के पार्षद के अलावा अन्य बाहरी व्यक्ति को सदस्य बनाने के लिए कुछ शर्तें होती हैं, जिनकी पालना नहीं हुई है.
ऐसे में केवल एकमात्र कार्यपालक समिति ही ऐसी थी, जिसमें एक भी बाहरी व्यक्ति को सदस्य नहीं बनाया था. इसी के चलते इस समिति को नियमानुसार मानते हुए, शेष सभी समितियों को निरस्त कर दिया. इसके अलावा जिन 7 अतिरिक्त समितियों के गठन का प्रस्ताव राज्य सरकार से अनुमोदन प्राप्त नहीं होने के कारण विधि अनुसार नहीं बताया गया. इसे आधार मानते हुए राज्य सरकार ने इन सभी समितियों को निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं.
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हालांकि, इस पर महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर ने कहा कि डायरेक्टर लॉ की राय लेकर समितियों का गठन किया गया था. राज्य सरकार द्वारा शहर के विकास के लिए बनी वर्किंग कमिटियों पर रोक लगाना उचित नहीं है. वहीं उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने कहा कि राज्य सरकार के इशारे पर जयपुर ग्रेटर की सभी समितियों को निरस्त करने का जो आदेश पारित किया गया है, वो पूरी तरीके से अलोकतांत्रिक और विधि विरुद्ध है. नगर पालिका एक्ट के प्रावधानों के तहत बनाई गई समितियों को इस प्रकार निरस्त करना कांग्रेस सरकार की दुर्भावना को स्पष्ट करता है.
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उन्होंने कहा कि अब इस लड़ाई को जनता के बीच में भी लड़ेंगे और विधि के उचित फोरम पर भी ले जाएंगे. उधर, जयपुर ग्रेटर नगर निगम की समितियों का प्रस्ताव खारिज करने के मामले पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि समितियों के गठन से अगर विवाद बढ़ता है, या शहर का विकास प्रभावित होता है, तो सरकार के पास अपने स्तर पर संचालन समितियों के गठन का विकल्प खुला है.
बता दें कि राज्य सरकार ने वित्त समिति, तीनों सफाई समिति, तीनों विद्युत समिति, भवन अनुज्ञा समिति, गंदी बस्ती सुधार समिति, महिला बाल विकास समिति, नियम उपविधि समिति, अपराधों का शमन समिति, लोक वाहन समिति, लाइसेंस समिति, फायर समिति, उद्यान समिति, पशु नियंत्रण समिति, सांस्कृतिक समिति, एनयूएलएल समिति और होर्डिंग एवं नीलामी समिति को निरस्त किया है.