जयपुर. राजस्थान विधानसभा में लगातार कम हो रही कांग्रेस की संख्या को मजबूत करने के की जुगत में गहलोत सरकार लग गई है. कांग्रेस के चार विधायकों की मौत के बाद कोंग्रेस का विधानसभा में संख्याबल कम हो गया है. कम होती संख्या कहीं सरकार के लिए मुसीबत ना बन जाए, इसलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बीटीपी विधायकों को साधने में जुट गए हैं. सूत्रों की मानें तो बीटीपी विधायकों को राजस्थान जनजाति परामर्शदात्री परिषद का सदस्य बनाया है.
बीटीपी विधायकों को एक बार फिर साथ लाने की कवायद...
दरअसल, चार सीटों के उपचुनाव से पूर्व गहलोत सरकार ने नाराज चल रहे बीटीपी के विधायकों को मनाने की कवायद तेज कर दी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीटीपी के विधायक राजकुमार रोत को राजस्थान जनजाति परामर्शदात्री परिषद का सदस्य बनाया है. सूत्रों की मानें बीटीपी के दूसरे विधायक रामप्रसाद डिंडोर को भी सदय बनाया है. हालांकि, अभी उनका नाम स्पष्ट नहीं हुआ है. वहीं, टीएडी विभाग के प्रस्ताव को विधि विभाग ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के पास भेज दिया, जिस पर अगले एक-दो दिन में आधिकारिक आदेश जारी होंगे.
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बता दें कि बीटीपी के दो विधायक हैं और दोनों विधायकों ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजनीतिक दबाव के बीच विधानसभा में संख्या गणित को मजबूत करने के लिए दोनों विधायकों को राजस्थान जनजाति परामर्शदात्री परिषद का सदस्य बनाया है. दक्षिणी राजस्थान के जनजातीय इलाके में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के बढ़ते प्रभाव के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह निर्णय बेहद चौंकाने वाला माना जा रहा है.
महत्वपूर्ण है राजस्थान जनजाति परामर्शदात्री परिषद...
राजस्थान जनजाति परामर्शदात्री परिषद का गठन आदिवासी जिलों के लिए लोक कल्याणकारी योजनाओं बनाने और नीति-नियम बनाने के लिए किया गया था. मुख्यमंत्री समिति का अध्यक्ष होता है, जबकि जनजातीय मंत्री उपाध्यक्ष होता है. विधायक कांतिलाल मीणा, हरीश मीणा, इन्दिरा मीणा समेत करीब 10 विधायक सदस्य हैं. समिति आदिवासियों के सर्वांगीण कल्याण के लिए सरकार को सुझाव देती है. आमतौर पर सरकार समिति के सुझावों को स्वीकार कर लेती है.
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पहली बार मिले 4 पूर्णकालिक IAS...
राजनीतिक दबाव के बीच राज्य सरकार ने हमेशा अतिरिक्त चार्ज के भरोसे चलने वाले टीएडी विभाग में कुछ महीने पूर्व पहली बार 4 आईएएस अफसरों की तैनाती की थी. अब तक यह विभाग ज्यादातर समय अतिरिक्त चार्ज के भरोसे ही चलता आया है, लेकिन अब वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजेश्वर के बाद शिखर अग्रवाल को विभाग की पूर्णकालिक जिम्मेदारी दी गई है.