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सरकार ने माना पिछले लॉकडाउन के बाद महिला अपराधों में 18.85 फीसदी हुई थी बढ़ोतरी

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Published : May 13, 2021, 8:01 PM IST

राजस्थान विधानसभा में महिला अपराध को लेकर पूछे गए सवाल में सरकार ने माना कि लॉकडाउन लगने के बाद महिला अपराधों में 18.85 फीसदी इजाफा हुआ था. इसके बाद अब यह सवाल खड़ा होता है कि वर्तमान में जब लॉकडाउन लगा है तो क्या महिला अपराधों के मामलों में फिर बढ़ोतरी होगी. पढ़ें पूरी खबर...

Lockdown in rajasthan,  Women crime in Rajasthan
राजस्थान विधानसभा

जयपुर. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. लेकिन, इस दौरान घरेलू हिंसा यानि महिलाओं पर अपराध में इजाफा देखा गया है. कोरोना की पहली लहर में चेन को तोड़ने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बाद के आंकड़े तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं.

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बता दें, साल 2020 में लगे लॉकडाउन के बाद महिला अपराध में 18.85 फीसदी की वृद्धि हुई. विधानसभा में एक सवाल के जवाब में गहलोत सरकार ने यह माना है कि लॉकडाउन के बाद महिला अपराधों में वृद्धि हुई और साल 2018 की तुलना में साल 2020 में दुष्कर्म के मामलों में 22.49 फीसदी वृद्धि हुई. जहां साल 2018 में 4335 प्रकरण सामने आए तो वहीं साल 2020 में 5310 मामले दर्ज हुए.

राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Legislative Assembly) में लॉकडाउन के बाद महिला अपराधों में बढ़ोतरी की बात स्वीकार की गई. इसके साथ ही अनुसूचित जाति की महिलाओं के साथ भी अपराधों में बढ़ोतरी का एक कारण संज्ञेय अपराध (हिनियस) क्राइम के मुकदमे निर्बाध रूप से दर्ज कराने की नीति को भी माना है. जिसके चलते झूठे मुकदमे भी दर्ज करा दिए जाते हैं और अनुसूचित जाति की महिलाओं के साथ अपराधों में बढ़ोतरी पाई गई है.

विधानसभा में गृह विभाग की ओर से दिए गए जवाब के अनुसार साल 2018 में 416 मामले दर्ज हुए, उनमें से 161 मामले झूठे पाए जाने पर उनमें एफआर लगी. साल 2019 में 563 मामलों में से 214 मामले झूठे होने पर उनमें भी एफआर लगाई गई. इसी तरीके से साल 2020 में 488 मामलों में से 180 मामले झूठे पाए गए. इस तरीके से 3 साल में कुल 1467 मामले अनुसूचित जाति की महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म के दर्ज हुए, जिनमें से 555 मामले झूठे पाए गए.

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इसी तरीके से अनुसूचित जाति अत्याचार की बात की जाए तो साल 2018 में 4613 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 1828 मामले झूठे पाए जाने पर उनमें एफआर लगी. साल 2019 में 6798 मामलों में से 3009 मामले झूठे पाए गए, जिसमें एफआर लगी. वहीं, साल 2020 में 7015 मामलों में से 2894 मामले झूठे पाए गए, जिनमें एफआर लगाई गई.

इस तरीके से प्रदेश में साल 2018 से 2020 तक कुल 18,426 मामले दर्ज हुए और उनमें से 7731 मामले झूठे पाए गए और इनमें एफआर लगाई गई. इसी तरीके से अनुसूचित जाति के खिलाफ कुल 42 फीसदी मुकदमे झूठे पाए जाने की बात सरकार ने अपने जवाब में कही है.

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के पूछे गए सवाल पर सरकार ने जवाब देते हुए कहा था कि कोरोना काल में महिला अपराधों के मामले लॉकडाउन के बाद बढ़े हैं. इसके बाद अब यह सवाल खड़ा होता है कि वर्तमान में जब लॉकडाउन (Lockdown) लगा है तो क्या महिला अपराधों के मामलों में फिर बढ़ोतरी होगी. वहीं, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का दूसरा सवाल भी यह सवाल खड़ा करता है कि क्या अनुसूचित जाति मामलों में झूठे मुकदमे इतनी बड़ी संख्या में दर्ज करवाए जाते हैं.

जयपुर. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. लेकिन, इस दौरान घरेलू हिंसा यानि महिलाओं पर अपराध में इजाफा देखा गया है. कोरोना की पहली लहर में चेन को तोड़ने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बाद के आंकड़े तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं.

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बता दें, साल 2020 में लगे लॉकडाउन के बाद महिला अपराध में 18.85 फीसदी की वृद्धि हुई. विधानसभा में एक सवाल के जवाब में गहलोत सरकार ने यह माना है कि लॉकडाउन के बाद महिला अपराधों में वृद्धि हुई और साल 2018 की तुलना में साल 2020 में दुष्कर्म के मामलों में 22.49 फीसदी वृद्धि हुई. जहां साल 2018 में 4335 प्रकरण सामने आए तो वहीं साल 2020 में 5310 मामले दर्ज हुए.

राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Legislative Assembly) में लॉकडाउन के बाद महिला अपराधों में बढ़ोतरी की बात स्वीकार की गई. इसके साथ ही अनुसूचित जाति की महिलाओं के साथ भी अपराधों में बढ़ोतरी का एक कारण संज्ञेय अपराध (हिनियस) क्राइम के मुकदमे निर्बाध रूप से दर्ज कराने की नीति को भी माना है. जिसके चलते झूठे मुकदमे भी दर्ज करा दिए जाते हैं और अनुसूचित जाति की महिलाओं के साथ अपराधों में बढ़ोतरी पाई गई है.

विधानसभा में गृह विभाग की ओर से दिए गए जवाब के अनुसार साल 2018 में 416 मामले दर्ज हुए, उनमें से 161 मामले झूठे पाए जाने पर उनमें एफआर लगी. साल 2019 में 563 मामलों में से 214 मामले झूठे होने पर उनमें भी एफआर लगाई गई. इसी तरीके से साल 2020 में 488 मामलों में से 180 मामले झूठे पाए गए. इस तरीके से 3 साल में कुल 1467 मामले अनुसूचित जाति की महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म के दर्ज हुए, जिनमें से 555 मामले झूठे पाए गए.

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इसी तरीके से अनुसूचित जाति अत्याचार की बात की जाए तो साल 2018 में 4613 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 1828 मामले झूठे पाए जाने पर उनमें एफआर लगी. साल 2019 में 6798 मामलों में से 3009 मामले झूठे पाए गए, जिसमें एफआर लगी. वहीं, साल 2020 में 7015 मामलों में से 2894 मामले झूठे पाए गए, जिनमें एफआर लगाई गई.

इस तरीके से प्रदेश में साल 2018 से 2020 तक कुल 18,426 मामले दर्ज हुए और उनमें से 7731 मामले झूठे पाए गए और इनमें एफआर लगाई गई. इसी तरीके से अनुसूचित जाति के खिलाफ कुल 42 फीसदी मुकदमे झूठे पाए जाने की बात सरकार ने अपने जवाब में कही है.

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के पूछे गए सवाल पर सरकार ने जवाब देते हुए कहा था कि कोरोना काल में महिला अपराधों के मामले लॉकडाउन के बाद बढ़े हैं. इसके बाद अब यह सवाल खड़ा होता है कि वर्तमान में जब लॉकडाउन (Lockdown) लगा है तो क्या महिला अपराधों के मामलों में फिर बढ़ोतरी होगी. वहीं, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का दूसरा सवाल भी यह सवाल खड़ा करता है कि क्या अनुसूचित जाति मामलों में झूठे मुकदमे इतनी बड़ी संख्या में दर्ज करवाए जाते हैं.

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