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Gehlot Cabinet Meeting: कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों को मिलेगा 10 लाख रुपये तक का कैशलेस उपचार

गहलोत सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की मीटिंग में कई अहम फैसले लिए. सरकार ने कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों को बड़ा तोहफा दिया है. केन्द्र सीजीएचएस की तर्ज पर राज्य में भी आरजीएचएस योजना शुरू हुई है. इस योजना के तहत कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों को 10 लाख तक का कैशलेस उपचार का लाभ मिलेगा.

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Gehlot Cabinet Meeting: कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों को मिलेगा 10 लाख रुपये तक का कैशलेस उपचार
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Published : Jul 8, 2021, 1:01 AM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों, पूर्व विधायकों सहित राज्य सरकार, निकायों, बोर्ड एवं निगमों के कार्मिकों तथा पेंशनरों को उपचार की बेहतर सुविधा देने के उद्देश्य से राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) को प्रथम चरण में 1 जुलाई से लागू करने की मंजूरी दे दी है. इस योजना के तहत करीब 13 लाख लाभार्थी परिवारों को इनडोर, आउटडोर और जांचों की कैशलेस चिकित्सा सुविधा सभी राजकीय चिकित्सालयों, अनुमोदित निजी चिकित्सालयों और निजी जांच केंद्रों में प्रदान की जाएगी. 1 जनवरी 2004 के पूर्व नियुक्त कार्मिकों और पेंशनरों को असीमित मात्रा में आउटडोर की सुविधा मिलेगी.

पढ़ें: 50 साल बाद बदले शिक्षा विभाग के नियम, राजस्थान शैक्षिक राज्य और अधीनस्थ सेवा नियम 2021 को मंजूरी

इस योजना का लाभ एक जनवरी 2004 के पश्चात नियुक्त कार्मिकों को विकल्प लेने पर 5 लाख रुपये तक की कैशलेस आईपीडी उपचार सुविधा, क्रिटिकल बीमारियों के लिए 5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त चिकित्सा सुविधा तथा 20 हजार रुपये तक की वार्षिक सीमा की आउटडोर चिकित्सा सुविधा का लाभ भी मिल सकेगा. जिन कार्मिकों को वर्तमान में 3 लाख रुपये तक के बीमाधन की सीमा में केवल आईपीडी की सुविधा उपलब्ध है, उन्हें आरजीएचएस में भी यह सुविधा पूर्व की भांति निशुल्क प्राप्त करने का विकल्प भी मिलेगा.

अब तक इस योजना में न्यायिक और अखिल भारतीय सेवा के कार्यरत ओर सेवानिवृत्त अधिकारियों, 1 जनवरी, 2004 से पूर्व नियुक्त और इसके पश्चात नियुक्त राज्य सरकार के कार्मिकों एवं पेंशनर्स के साथ स्वायत्तशासी संस्थाओं, पांचों बिजली कंपनियों, आरआइएसएल, आरएसएमएम तथा जयपुर मेट्रो के करीब 5.30 लाख लाभार्थी परिवारों का पंजीयन आरजीएचएस पोर्टल पर हो चुका है. प्रथम चरण में पंजीकृत लाभार्थियों को आईपीडी एवं डे-केयर की कैशलेस सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

पढ़ें: राजस्थान में बनेगी विधान परिषद, गहलोत कैबिनेट ने लगाई मुहर

मुख्यमंत्री ने करीब 13 लाख परिवारों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रति लाभार्थी परिवार 6100 रुपये वार्षिक अंशदान की दर से कुल वित्तीय भार 793 करोड़ रुपये वार्षिक का भुगतान करने की भी मंजूरी दे दी है. जो कार्मिक 5 लाख रुपये तक की कैशलेस आईपीडी उपचार सुविधा तथा क्रिटिकल बीमारियों के लिए 5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त चिकित्सा सुविधा एवं 20 हजार रुपये तक की आउटडोर चिकित्सा सुविधा का विकल्प लेना चाहते हैं, उनसे आरपीएमएफ की निर्धारित दरों से लिए जाने वाले अंशदान के 50 प्रतिशत कम अंशदान की ही वेतन से कटौती की जाएगी.

दरअसल वर्तमान में कई निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियां उक्त दर की तुलना में काफी अधिक प्रीमियम दर पर सीमित कवर की पारिवारिक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी जारी कर रही हैं, जिनमें कई मेडिकल खर्च उनके स्वास्थ्य बीमा प्लान में शामिल नहीं होते, जैसे ओपीडी एवं रूटीन चैक अप, लाइफ सपोर्ट मशीनों का खर्च. आरजीएचएस में वैश्विक महामारी कोरोना एवं ब्लैक फंगस का इलाज भी शामिल है. जबकि अन्य बीमा कंपनियों के प्लान में इन्हें शामिल कराने के लिए अतिरिक्त प्रीमियम देना होता हैं.

आरजीएचएस में राज्य सरकार के सभी पेंशनर्स को उक्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. गहलोत ने वर्ष 2021-22 के राज्य बजट में सीजीएचएस के अनुरूप राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम लागू करने की घोषणा की थी. इस योजना में निजी अस्पतालों, डायग्नोस्टिक सेंटर्स एवं इमेजिंग सेंटर्स का एम्पैनलमेंट किया जा चुका है.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों, पूर्व विधायकों सहित राज्य सरकार, निकायों, बोर्ड एवं निगमों के कार्मिकों तथा पेंशनरों को उपचार की बेहतर सुविधा देने के उद्देश्य से राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) को प्रथम चरण में 1 जुलाई से लागू करने की मंजूरी दे दी है. इस योजना के तहत करीब 13 लाख लाभार्थी परिवारों को इनडोर, आउटडोर और जांचों की कैशलेस चिकित्सा सुविधा सभी राजकीय चिकित्सालयों, अनुमोदित निजी चिकित्सालयों और निजी जांच केंद्रों में प्रदान की जाएगी. 1 जनवरी 2004 के पूर्व नियुक्त कार्मिकों और पेंशनरों को असीमित मात्रा में आउटडोर की सुविधा मिलेगी.

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इस योजना का लाभ एक जनवरी 2004 के पश्चात नियुक्त कार्मिकों को विकल्प लेने पर 5 लाख रुपये तक की कैशलेस आईपीडी उपचार सुविधा, क्रिटिकल बीमारियों के लिए 5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त चिकित्सा सुविधा तथा 20 हजार रुपये तक की वार्षिक सीमा की आउटडोर चिकित्सा सुविधा का लाभ भी मिल सकेगा. जिन कार्मिकों को वर्तमान में 3 लाख रुपये तक के बीमाधन की सीमा में केवल आईपीडी की सुविधा उपलब्ध है, उन्हें आरजीएचएस में भी यह सुविधा पूर्व की भांति निशुल्क प्राप्त करने का विकल्प भी मिलेगा.

अब तक इस योजना में न्यायिक और अखिल भारतीय सेवा के कार्यरत ओर सेवानिवृत्त अधिकारियों, 1 जनवरी, 2004 से पूर्व नियुक्त और इसके पश्चात नियुक्त राज्य सरकार के कार्मिकों एवं पेंशनर्स के साथ स्वायत्तशासी संस्थाओं, पांचों बिजली कंपनियों, आरआइएसएल, आरएसएमएम तथा जयपुर मेट्रो के करीब 5.30 लाख लाभार्थी परिवारों का पंजीयन आरजीएचएस पोर्टल पर हो चुका है. प्रथम चरण में पंजीकृत लाभार्थियों को आईपीडी एवं डे-केयर की कैशलेस सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

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मुख्यमंत्री ने करीब 13 लाख परिवारों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रति लाभार्थी परिवार 6100 रुपये वार्षिक अंशदान की दर से कुल वित्तीय भार 793 करोड़ रुपये वार्षिक का भुगतान करने की भी मंजूरी दे दी है. जो कार्मिक 5 लाख रुपये तक की कैशलेस आईपीडी उपचार सुविधा तथा क्रिटिकल बीमारियों के लिए 5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त चिकित्सा सुविधा एवं 20 हजार रुपये तक की आउटडोर चिकित्सा सुविधा का विकल्प लेना चाहते हैं, उनसे आरपीएमएफ की निर्धारित दरों से लिए जाने वाले अंशदान के 50 प्रतिशत कम अंशदान की ही वेतन से कटौती की जाएगी.

दरअसल वर्तमान में कई निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियां उक्त दर की तुलना में काफी अधिक प्रीमियम दर पर सीमित कवर की पारिवारिक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी जारी कर रही हैं, जिनमें कई मेडिकल खर्च उनके स्वास्थ्य बीमा प्लान में शामिल नहीं होते, जैसे ओपीडी एवं रूटीन चैक अप, लाइफ सपोर्ट मशीनों का खर्च. आरजीएचएस में वैश्विक महामारी कोरोना एवं ब्लैक फंगस का इलाज भी शामिल है. जबकि अन्य बीमा कंपनियों के प्लान में इन्हें शामिल कराने के लिए अतिरिक्त प्रीमियम देना होता हैं.

आरजीएचएस में राज्य सरकार के सभी पेंशनर्स को उक्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. गहलोत ने वर्ष 2021-22 के राज्य बजट में सीजीएचएस के अनुरूप राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम लागू करने की घोषणा की थी. इस योजना में निजी अस्पतालों, डायग्नोस्टिक सेंटर्स एवं इमेजिंग सेंटर्स का एम्पैनलमेंट किया जा चुका है.

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