जयपुर. राजधानी के वैशाली नगर थाना इलाके में आयुष्मान भारत योजना का हवाला देकर भारतीय सहकारिता मिशन के नाम पर दो लोगों से लाखों रुपए की ठगी करने का मामला सामने आया (Fraud in the name of government scheme) है. ठगी को लेकर भरतपुर निवासी रमेश चंद तोमर और रुपिंदर पाल सिंह ने शिकायत दर्ज करवाई है.
प्रकरण की जांच कर रही जांच अधिकारी हेमलता शर्मा ने बताया कि दोनों परिवादियों ने भारतीय साक्षरता मिशन के डायरेक्टर डॉ. उपेंद्र सिंह सहित कुल 15 पदाधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है. आरोपियों ने जनवरी 2019 में विभिन्न समाचार पत्रों में आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वास्थ्य सेवाओं का हवाला दे और फोटो छाप कर भारतीय सहकारिता मिशन के तहत प्रत्येक राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की जानकारी दी. साथ ही प्रत्येक राज्य में जन वरदान हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर की स्थापना कर स्थानीय लोगों को रोजगार देने की बात कही.
हेल्थ मिशन से जोड़ने और प्रीवेंटिव हेल्थ प्रमोटर बनाने के नाम पर ठगी राशि: ठगों ने अखबार में विज्ञापन देकर लोगों को भारतीय सहकारिता मिशन को सफल बनाने के लिए हेल्थ मिशन से जुड़ने और लोकसभा विकास प्रतिनिधि बनाने के लिए प्रेरित किया. इसके लिए बकायदा ठगों ने अक्टूबर 2019 में कोटा जिले में एक सेमिनार भी आयोजित किया. जिसमें भारतीय सहकारिता मिशन के उद्देश्य को लेकर लोगों को जानकारी दी गई और मिशन के साथ जुड़कर मोटा मुनाफा कमाने का झांसा दिया.
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ठगों के झांसे में आकर बड़ी तादाद में लोग इस मिशन के साथ जुड़ गए और लाखों रुपए की राशि जमा करवा दी. इसी के तहत भरतपुर निवासी रमेश चंद तोमर और रुपिंदर पाल सिंह भी इस हेल्थ मिशन के साथ जुड़ गए. मिशन के साथ जुड़ते ही ठगों ने उन्हें बड़े-बड़े सब्जबाग दिखाए और साथ ही मिशन को सफल बनाने के लिए प्रीवेंटिव हेल्थ प्रमोटर बनाने के नाम पर 82,600 रुपए प्रति व्यक्ति के नाम पर प्राप्त किए. इसके अतिरिक्त बच्चों को कोर्स कराने के नाम पर, परीक्षा फीस और हॉस्टल खर्च आदि के नाम पर भी लाखों रुपए की राशि हड़पी गई. दोनों परिवादियों से आरोपियों ने कुल 34.15 लाख रुपए हड़प लिए. ठगों ने परिवादियों को 1 लाख रुपए प्रति माह का वेतन और गाड़ी व ड्राइवर देने का वादा किया लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.
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ठग मार्च 2022 में जयपुर में अपना कार्यालय बंद कर दिल्ली चले गए और जब परिवादियों ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया. बार-बार संपर्क करने के बाद भी ठगों ने परिवादियों से बात नहीं की. इस पर परिवादियों ने उन्हें उनकी राशि वापस लौटाने के लिए कहा तो ठगों ने राशि लौटाने से साफ इनकार कर दिया. जब परिवादियों ने अपने स्तर पर पड़ताल की तो पता चला की ठग कुछ वर्ष पूर्व मुस्कान परियोजना के नाम पर करोड़ों रुपए का गबन कर चुके हैं और जेल भी जा चुके हैं. इस प्रकार से ठगी का शिकार होने के बाद दोनों परिवादियों ने वैशाली नगर थाने में शुक्रवार रात एफआईआर दर्ज करवाई. फिलहाल पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच करना शुरू किया है और तमाम तथ्यों की पड़ताल की जा रही है. राजस्थान में सैकड़ों लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी होने की संभावना है.