जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) में कोरोना कालखंड के लंबे अंतराल के बाद आगामी 2 अगस्त से स्कूल खोले जाने का फैसला लिया गया है. लेकिन, प्रदेश सरकार के इस फैसले पर पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी (Vasudev Devnani) ने आपत्ति जताई है. देवनानी ने इसे शिक्षा मंत्री और सरकार का जल्दबाजी में लिया गया फैसला करार दिया, जो सीधे तौर पर बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डालेगा.
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जयपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान देवनानी ने कहा कि शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) का शिक्षा से कोई वास्ता भी नहीं और वो शिक्षा के बारे में सोचते भी नहीं हैं. डोटासरा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और मोदी फोबिया हो गया है और वे कई तुगलकी फैसले करते आए हैं.
पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूल खोलने का फैसला भी बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डालने वाला है. हालांकि, सब चाहते हैं कि स्कूल भी खुले और पढ़ाई का दौर भी शुरू हो इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन स्कूल कब खुले और किस रूप में खुले इस बारे में सरकार को परिजनों और शिक्षक संगठनों से भी चर्चा करना चाहिए थी. लेकिन, ऐसा कुछ नहीं किया गया.
RPSC इंटरव्यू प्रक्रिया में है खामी
RAS परीक्षा परिणाम और इंटरव्यू में मिले अंकों को लेकर चल रहे विवाद पर पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने अपना पक्ष रखा है. देवनानी ने कहा कि RPSC में विभिन्न परीक्षाओं के लिए जो इंटरव्यू प्रक्रिया है उसमें काफी खामियां हैं और उसे दूर किया जाना बेहद जरूरी है.
वासुदेव देवनानी ने कहा कि किसी भी अभ्यर्थी का जब इंटरव्यू होता है तो तीन एक्सपर्ट के साथ आयोग का एक सदस्य बैठता है. जिसमें सवाल तो एक्सपर्ट पूछते हैं लेकिन अंक देने का काम RPSC का सदस्य करता है. ऐसे में साक्षात्कार के अंकों पर सवाल उठना लाजमी भी है क्योंकि होना ऐसा चाहिए कि जो पैनल पर बैठा है वह सब मिलकर अपने अपने नंबर दें.
कालीचरण सराफ ने सीएम गहलोत को लिखा पत्र
प्रदेश सरकार के 2 अगस्त से स्कूल खोलने के निर्णय को पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा के मौजूदा विधायक कालीचरण सराफ (Kalicharan Saraf) न केवल अविवेकपूर्ण करार दे रहे हैं बल्कि यह भी आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने निर्णय निजी स्कूल संचालकों के दबाव में लिया है. इस मामले में सराफ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को पत्र भी लिखा है.
कालीचरण सराफ (Kalicharan Saraf) ने कहा कि प्रदेश में कोरोना की लहर की आशंका के बीच बच्चों में संक्रमण के मंडराते खतरे के बीच जल्दबाजी में ये अविवेकपूर्ण निर्णय लिया है. कोरोना संक्रमण के मंडराते खतरे के बीच 8 से 9 घंटे के लिए बच्चे स्कूल भेजे जाए, यह अभिभावकों के लिए काफी कष्टदायक होगा.
सराफ ने कहा कि अभी सिनेमा हॉल, प्रदर्शनी, रेस्टोरेंट, आउट डोर गेम्स और व्यापारिक प्रतिष्ठानों आदि पर 60 फीसदी स्टाफ को कोरोना वैक्सीन का कम से कम एक डोज लगना आवश्यक है, लेकिन बच्चों की वैक्सीन तो अभी आई भी नहीं और स्कूल स्टाफ का वैक्सीनेशन भी अभी तक सुनिश्चित नहीं है. सराफ ने कहा ऐसे में राजस्थान सरकार की ऐसी क्या मजबूरी थी जो बच्चों की जिंदगी से समझौता करते हुए यह मूर्खतापूर्ण निर्णय लिया गया.