जयपुर. प्रदेश में बिजली के संकट पर सियासत शुरू हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य में बिजली संकट पर गहलोत सरकार पर निशाना साधा है. राजे ने कहा कि राज्य सरकार के कुप्रबंधन की वजह से राज्य में बिजली संकट उत्पन्न हो गया है. वसुंधरा राजे ने एक बयान जारी कर कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेशवासियों को बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है. गहलोत राज में गांवों और शहरों में बिजली कटौती से सभी त्रस्त हैं. भाजपा कार्यकाल में 24 घंटे घरेलू बिजली मिलती थी.
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कोयले की आपूर्ति कम होने से गहराया बिजली संकट
प्रदेश में बिजली कंपनियों के अधिकारियों का तर्क है की कोल इंडिया से मिलने वाले कोयले की आपूर्ति में कमी है. इसी के कारण प्रदेश की थर्मल पर आधारित बिजली उत्पादन इकाइयों में बिजली उत्पादन का काम प्रभावित हुआ है. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का कहना है कि राज्य सरकार ने कोयले का भुगतान सही समय पर नहीं किया. इसलिए परेशानी खड़ी हो गई है. कोयले की कमी के कारण प्रदेश में पर्याप्त बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है. जबकि भाजपा के कार्यकाल में कोयले का समय पर भुगतान किया गया. इस वजह से कोयले की कमी नहीं आई. बिजली उत्पादन निर्बाध रूप से होता रहा.
वसुंधरा राजे ने यह भी कहा कि हमारे समय बिजली का प्रबंधन कितना मजबूर था कि बिजली की कमी आना तो दूर बल्कि बिजली सरप्लस तक रहती थी. लेकिन अब आम उपभोक्ता को पर्याप्त बिजली मिल पा रही है. किसानों और इंडस्ट्री को भी पर्याप्त मात्रा में बिजली नहीं मिल पा रही है.
गहलोत राज में बिजली गुल
वसुंधरा राजे ने अपने बयान में यह भी कहा कि बिजली का स्थाई शुल्क और एनर्जी चार्ज बढ़ाकर इस सरकार ने उपभोक्ताओं पर भारी बोझ डाला है. वास्तविक रीडिंग की बजाय लोगों को एवरेज बिल थमाया जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे समय में दाम कम हो और बिजली फुल रहा करती थी. अब दाम ज्यादा और बिजली गुल रहा करती है. गौरतलब है कि वर्तमान में 3500 मेगावाट बिजली की मांग बढ़ी है. कुछ दिनों पहले तक प्रदेश में बिजली की मांग 9000 मेगावाट के लगभग चल रही थी जो अब बढ़कर 12500 मेगावाट तक पहुंच चुकी है. प्रदेश में 2 हजार लाख यूनिट प्रतिदिन की चल रही खपत भी बढ़ कर 2400 लाख यूनिट प्रतिदिन हो गई है.
ग्रामीण इलाकों पर पड़ रहा असर
डिस्कॉम चेयरमैन भास्कर ए सावंत ने कहा कि कोयले की कम आपूर्ति के चलते ग्रिड की सुरक्षा बनाए रखने के लिए ग्रामीण इलाकों में रोस्टर से लोड शेडिंग करना पड़ रही है. उनके अनुसार सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 250 मेगावाट की 6 इकाईयां और छबड़ा थर्मल की 250 मेगावाट की 2 इकाइयों के साथ ही कोटा थर्मल की 1240 मेगावाट की 7 इकाइयों के लिए कोयला कोल इंडिया लिमिटेड की कंपनी इस एनसीएल और एसईसीएल से प्राप्त होता है. इस संबंध में पूर्व में हुई उच्च स्तरीय वार्ता के बाद 1 अक्टूबर को भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के सब ग्रुप में 7 कोयले की रेक प्रति दिन का निर्णय लिया था, लेकिन प्रदेश को पर्याप्त मात्रा में कोयला नहीं मिल पा रहा. जिससे उत्पादन इकाई ऊपर सीधे तौर पर असर पड़ा है.