नई दिल्ली/जयपुरः गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और इसके चचेरे भाई लेसर फ्लोरिकन की संख्या में लगातार हो रही कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित है. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि राजस्थान के जैसलमेर जिले के डेजर्ट नेशनल पार्क और आसपास के इलाकों में ओवरहेड पावर ट्रांसमिशन लाइनें भूमिगत होनी चाहिए.
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की आबादी (दो मीटर से अधिक लंबे पंखों वाला एक बड़ा पक्षी) 1969 में अनुमानित 1,260 से घटकर 2018 में लगभग 150 हो गया. बस्टर्ड परिवार का सबसे छोटा पक्षी जिसे 'लिख' या 'खरमोर' भी कहा जाता है. पीआईएल याचिकाकर्ता और वन्यजीव विशेषज्ञ एमके रंजीतसिंह ने कहा कि 1999 में 3,530 से घटकर 2018 में 700 से कम हो गई.
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस बी आर गवई और सूर्यकांत की पीठ को बताया गया कि उनकी उड़ान पथ में ओवरहेड पावर ट्रांसमिशन लाइनों के साथ टकराव के कारण हर साल दो लुप्तप्राय प्रजातियों में से लगभग 15% मर जाते हैं. इस पर सीजेआई ने कहा कि सबसे अच्छा समाधान भूमिगत बिजली पारेषण लाइनों को भूमिगत कर दिया जाना है.
गौरतलब है कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड एक बड़ा पक्षी है. यह पारेषण लाइनों के आसपास आसानी से पैंतरेबाजी में कठिनाई पाता है. समाधान में से एक ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइनों को हटाने और उन क्षेत्रों में भूमिगत बिछाने के लिए है जो उनके निवास स्थान हैं.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इन प्रजातियों के संरक्षण के लिए आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना बनाने और लागू करने के लिए उच्चशक्ति प्राप्त एक समिति का गठन किया था. कोर्ट ने उन राज्यों की सरकारों से इस मामले पर जवाब भी मांगा था, जहां इन दो प्रजातियों के पक्षी सामान्य रूप से पाए जाते हैं. शीर्ष अदालत ने तीन सदस्यीय समिति गठित की थी. इस समिति में ‘बाम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी के निदेशक, इस सोसायटी के पूर्व निदेशक डॉक्टर असद आर रहमानी और उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक डॉक्टर धनन्जय मोहन शामिल थे.
भारत का सबसे वजनदार पक्षी
भारत में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड जैसे वजन का कोई दूसरा पक्षी नहीं है. इसका भार आठ से 10 किलोग्राम होता है. इतना भारी-भरकम होने के बावजूद यह तेज उड़ान भरता है. यह गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में पाया जाता है.