जयपुर. शहर को स्मार्ट सुविधाओं से सुसज्जित बनाने की दिखावटी योजनाओं के बीच राहगीरों और नॉन मोटराइज्ड व्हीकल्स को बिसरा दिया जाता है. हालांकि, राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति में स्पष्ट है कि सड़क पर चलने का पहला अधिकार राहगीर का है. इसके बाद नॉन मोटराइज्ड वाहन, फिर सार्वजनिक परिवहन और आखिर में ईंधन युक्त वाहनों का नंबर आता है. लेकिन हकीकत ये है कि सड़कों पर सालाना 12 फीसदी की दर से ईंधन युक्त वाहनों का दबाव बढ़ने से शहरों की परेशानी बढ़ रही है. ऐसे में सड़कों का ट्रैफिक पैदल चलने वाले लोगों के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं. यही वजह है कि पैदल चलने वाले लोग आए दिन सड़क पर चलते हुए और क्रोसिंग करते हुए दुर्घटना का शिकार तक हो जाते हैं.
लॉ कमीशन ऑफ इंडिया शहरों के सुनियोजित और स्मार्ट डवलपमेंट में राहगीरों के लिए सुगम राह और सड़क पर नॉन मोटराइज्ड वाहनों की संख्या बढ़ाने की जरूरत जता चुका है. हालांकि सड़कों पर ईंधन युक्त वाहनों का दबाव इतना बढ़ गया है कि राहगीरों के लिए जगह सिकुड़ती जा रही है. हालांकि तीन दशक पहले अजमेरी गेट पर पैदल रोड क्रॉस करने वालों के लिए अंडर पास बनाया गया था. लेकिन फिलहाल इस पर ताला जड़ा हुआ (Ajmeri Gate underpass closed) है. यहां से गुजरने वाले लोगों को सुविधा होने के बावजूद भी जान हथेली पर लेकर रोड क्रॉस करनी पड़ती है.
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उधर, नारायण सिंह सर्किल और टोंक पुलिया पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट स्टेशन होने के चलते यहां लाखों लोगों की आवाजाही रहती है. जिसके चलते यहां फुटओवर ब्रिज बनाए गए. जिसका लोगों को काफी फायदा भी मिला. हालांकि मेंटेनेंस के अभाव में फिलहाल यहां एस्केलेटर बंद पड़े हैं. वहीं रोड सेफ्टी पर काम कर रही एनजीओ डायरेक्टर नेहा खुल्लर ने बताया कि सड़कों पर चलने का सबसे ज्यादा अधिकार राहगीरों को है. लेकिन वर्तमान समय में यही पैदल रहा कि सबसे ज्यादा नजरअंदाज किए जाते हैं.
ये हैं हालात :
- दोपहिया का हिस्सा -31.70%
- कार और टैक्सी का हिस्सा -18.71%
- बस और मिनी बस का हिस्सा- 18.49%
- राहगीरों का हिस्सा -16.06%
- ऑटो रिक्शा का हिस्सा -8.61%
- साइकिल सवारी का हिस्सा- 6.01%
- मेट्रो का हिस्सा -0.42%
हालांकि अब शहर के नए वर्किंग प्रोजेक्ट में पेडेस्ट्रियन का ध्यान रखने का दावा किया जा रहा है. जेडीसी गौरव गोयल ने बताया कि ट्रैफिक इंफ्रास्ट्रक्चर इंप्रूवमेंट करने वाले नए प्रोजेक्ट्स में पैदल राहगीर प्राथमिकता पर हैं. जवाहर सर्किल पर नियमित वॉक करने वाले पार्क के विजिटर्स के लिए तीन सब-वे बनाए जा रहे (Sub Way development in Jawahar circle) हैं. ताकि लोग पार्क में सुरक्षित पहुंच सकें. जहां तक एसएमएस अस्पताल और मेडिकल कॉलेज को जोड़ने की बात है, तो वहां अंडर पास नहीं बनाया जा सकता. ऐसे में अब फुटओवर ब्रिज बनाने की प्लानिंग की जा रही है. इसे स्काईलाइन को डिस्टर्ब किए बिना बनाये जाने के लिए फिजिबिलिटी एग्जामिनेशन की जा रही है.
उधर, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत भी अब पेडेस्ट्रियन और नॉन मोटराइज्ड व्हीकल के लिए सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. शहर के स्मार्ट रोड पर बरामदों के अलावा फुटपाथ और साइकिल लेन भी बनाई गई है. वहीं निगम और स्मार्ट सिटी मिलकर जिन भी प्रमुख सड़कों पर फुटपाथ नहीं है, वहां चौड़ाईकरण कर फुटपाथ बनाया जा रहा है. ताकि राहगीरों को चलने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके. इसके अलावा राजधानी के कुछ प्रमुख चौराहों और स्टेशन पर फुटओवर ब्रिज और अंडरपास की भी मांग उठने लगी है. जरूरत है वर्तमान में संचालित पेडेस्ट्रियन क्रॉसिंग के प्रोजेक्ट को दुरुस्त करते हुए नए प्रोजेक्ट्स में इन्हें प्राथमिकता दी जाएं, ताकि राहगीरों की राह सुगम हो.