जयपुर: मुख्य सचिव निरंजन आर्य की अध्यक्षता में गुरुवार को शासन सचिवालय में राजस्थान निर्यात संवर्धन समन्वय परिषद की दूसरी बैठक हुई. मुख्य सचिव ने कहा कि परिषद् को ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना के तहत फोकस होकर काम करना होगा ताकि प्रत्येक जिले में अलग- अलग उत्पाद के निर्यात को बढ़ाया जा सके.
मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि परिषद की यह कोशिश होनी चाहिए कि वे निर्यातक (Exporter) के लिए फेसिलिटेटर (Facilitator) का काम करें. जिससे निर्यात संवर्धन (Export Promotion) के लिए जरूरी आधारभूत सुविधाओं का सृजन और विकास हो सके.
पढ़ें: स्पेशलः पटरी पर लौटा जोधपुर का हैंडीक्राफ्ट उद्योग, डेढ़ साल बाद अमेरिका और यूरोप से मिला ऑर्डर
राज्य में हैडीक्रॉफ्ट्स, इंजीनियरिंग उत्पाद, जैम्स और ज्वैलरी, एग्रो उत्पाद सहित विभिन्न उत्पादों का पूरा हब है. इसको देश और विदेश में निर्यात करने के लिए विभाग को हर संभव प्रयास करना चाहिए. विभाग को इज ऑफ डूइंग बिजनेस, उत्पादों की विपणन, पैकेजिंग का प्रशिक्षण सहित विभिन्न सुविधाएं निर्यातक को देनी चाहिए. विभाग सभी उत्पादों पर जिओ टैगिंग की व्यवस्था भी करे.
कोरोना की दूसरी लहर की वजह से लगे लॉकडाउन में इस बार गहलोत सरकार ने उद्योग को शर्तों के साथ खुला रखा था ताकि मजदूरों का पलायन नहीं हो. लेकिन आयात-निर्यात बन्द होने की वजह से उद्योग जगत को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
एक अनुमान के मुताबिक कोरोना संक्रमण के वक्त राजस्थान के उद्योग जगत को 50000 करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है. यह आंकड़ा कोरोना की दूसरी लहर के वक्त का है जबकि पहली लहर में इससे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था. यही वजह है कि उद्योग जगत लगातार सरकार से आर्थिक सहयोग की मांग करता रहा है.