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नगर निगम के सभी जोन कार्यालय में बनेंगे बाढ़ नियंत्रण कक्षः डॉ जोगाराम - कोरोना वायरस

जिला कलेक्टर डाॅ. जोगाराम ने शहर में सभी सम्बन्धित विभागों को बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थपित करने के निर्देश दिए हैं.साथ ही मानसून से पहले नालों की सफाई के लिए भी निर्देशित किया गया है. वहीं चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को मौसम जनित बीमारियों और कोरोना संक्रमण की स्थिति पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं.

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कलेक्टर जोगराम अधिकारियों से बैठक करते हुए
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Published : Jun 9, 2020, 7:44 AM IST

जयपुर. जिला कलेक्टर डाॅ. जोगाराम ने शहर में सभी सम्बन्धित विभागों को 15 जून से अपने-अपने यहां बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थपित करने, बाढ़ नियंत्रण में काम आने वाले संसाधनों की लोकेशन सहित मैपिंग करने, शिफ्टवार लगाए अधिकारियों की जानकारी सहित पूरी कार्ययोजना बुधवार तक देने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने निर्देशित किया कि नगर निगम द्वारा मुख्यालय के साथ अब हर जोन कार्यालय में उपायुक्त के प्रभार में 15 जून से राउण्ड द क्लाॅक एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाए.

कलेक्टर जोगराम अधिकारियों से बैठक करते हुए

जिला कलेक्टर ने सोमवार को मानसून की पूर्व तैयारियों के सम्बन्ध में जिला कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की बैठक में यह निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान राहत और बचाव की दृष्टि से कई विभागों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. इनमें आपसी समन्वय और संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग के लिए जरूरी है कि विभिन्न विभागों के पास उपलब्ध संसाधनों की मैपिंग की जाए. साथ ही हर अधिकारी की जिम्मेदारी और क्षेत्र निर्धारित किया जाए.

उन्होंने सिविल डिफेंस उपायुक्त को नगर निगम, जेडीए, सिंचाई विभाग, एसडीआरएफ, पीडब्ल्यूडी, फिशरीज आदि विभागों उपलब्ध मड पम्प, सर्च लाइट्स, वायरलैस उपकरण, नाव, रस्सी, बचाव वाहन, गोताखोर, कटाव रोकने के लिए मिट्टी के कट्टे जैसे सभी छोटे-बडे़ आवश्यक संसाधनों की मैपिंग करने के निर्देश दिए हैं.

डाॅ.जोगाराम ने कहा कि इस बार नगर निगम द्वारा तीन बाढ़ नियंत्रण कक्ष के बजाय हर जोन उपायुक्त कार्यालय में एक बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाए. हर जोन उपायुक्त के नियंत्रण में आवश्यक संसाधनों सहित कम से कम दो सामुदायिक भवन होने चाहिए, जहां आपात स्थिति में लोगों को रेस्क्यू कर लाया जा सके. साथ ही सभी सामुदायिक भवनों की मैपिंग भी करने को कहा.

यह भी पढ़ें- लॉकडाउन में ई-पंचायत से मिली विकास कार्यों को गति: डिप्टी सीएम पायलट

उन्होंने शहर के जलभराव की आशंका वाली कच्ची बस्तियों और अन्य स्थानों का चिन्हित कर यह जानकारी जिला प्रशासन को देने के लिए निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया. साथ ही उस जगह का भी चिन्हित करने को कहा, जहां कच्ची बस्ती में पानी भरने पर लोगों को सुरक्षित रखा जा सके.

जिला कलक्टर ने कहा कि मानसून पास है और अभी तक नालों की सफाई का काम पूरा नहीं हुआ है. उन्होंने शहर में कितने नाले हैं, कितने साफ हुए और कितने बाकी हैं, इसकी जानकारी जिला प्रशासन को देने के साथ ही हर नाले के लिए किसी अधिषाषी अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपने के लिए निर्देशित किया है.

शहर में जीर्ण-शीर्ण हो चुकी पुरानी इमारतों के लिए जोन उपायुक्त और सम्बन्धित रेवेन्यू अधिकारी को सर्वे कर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. पीएचईडी के अधिकारियों को लाइनों की मेंटीनेंस, जल गुणवत्ता बनाए रखने, समुचित क्लोरीनेशन करने के निर्देश दिए गए हैं.

जयपुर विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों को बरसात के कारण बढने वाली विद्युत सम्बन्धी शिकायतों के त्वरित समाधान की तैयारी, बरसात में करंट से बचाव के लिए स्ट्रीट लाइट्स के ओपन वायर्स की मेंटीनेंस के लिए जेडीए और निगम के साथ समन्वय कर तारों को ढंकने के लिए ड्राइव चलाने के निर्देश दिए गए हैं. ट्रांसफार्मर फुंकने या पेड़ गिरने जैसी समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए आवश्यक संख्या में टीमें तैनात रखने के भी निर्देश दिए गए हैं.

जिला कलेक्टर ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को ग्राम पंचायतों को सौंपे गए डैम, एनीकट का जिला परिषद के अधिकारियों के साथ मानसून पूर्व संयुक्त निरीक्षण करने और कमियां पाई जाने पर सुधार के निर्देश दिए है. सार्वजनिक निर्माण विभाग को विभाग के अधीन सड़कों पर बाढ़ चेतावनी सम्बन्धी साइनेज लगवाने, जिले में उनकी सूची देने को कहा गया. साथ ही पुलों, रपटों, कलवर्ट, अण्डरपास की संख्या और किए गए सुरक्षा उपायों की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं.

यह भी पढ़ें- राजस्थान में Corona के 277 नए केस, 6 की मौत, कुल आंकड़ा 10,876

चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को मौसम जनित बीमारियों और कोरोना संक्रमण की स्थिति पर नजर रखने के निर्देश दिए गए. डीएसओ प्रथम को दूध, खाद्यान्न की आपूर्ति की आपातकालीन व्यवस्था रखने, फिशरीज को नावों की संख्या, प्रकार और क्षमता के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं. इस दौरान बैठक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद् भारती दीक्षित सहित सम्बन्धित विभागोें के प्रतिनिधि भी शामिल रहे.

जयपुर. जिला कलेक्टर डाॅ. जोगाराम ने शहर में सभी सम्बन्धित विभागों को 15 जून से अपने-अपने यहां बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थपित करने, बाढ़ नियंत्रण में काम आने वाले संसाधनों की लोकेशन सहित मैपिंग करने, शिफ्टवार लगाए अधिकारियों की जानकारी सहित पूरी कार्ययोजना बुधवार तक देने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने निर्देशित किया कि नगर निगम द्वारा मुख्यालय के साथ अब हर जोन कार्यालय में उपायुक्त के प्रभार में 15 जून से राउण्ड द क्लाॅक एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाए.

कलेक्टर जोगराम अधिकारियों से बैठक करते हुए

जिला कलेक्टर ने सोमवार को मानसून की पूर्व तैयारियों के सम्बन्ध में जिला कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की बैठक में यह निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान राहत और बचाव की दृष्टि से कई विभागों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. इनमें आपसी समन्वय और संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग के लिए जरूरी है कि विभिन्न विभागों के पास उपलब्ध संसाधनों की मैपिंग की जाए. साथ ही हर अधिकारी की जिम्मेदारी और क्षेत्र निर्धारित किया जाए.

उन्होंने सिविल डिफेंस उपायुक्त को नगर निगम, जेडीए, सिंचाई विभाग, एसडीआरएफ, पीडब्ल्यूडी, फिशरीज आदि विभागों उपलब्ध मड पम्प, सर्च लाइट्स, वायरलैस उपकरण, नाव, रस्सी, बचाव वाहन, गोताखोर, कटाव रोकने के लिए मिट्टी के कट्टे जैसे सभी छोटे-बडे़ आवश्यक संसाधनों की मैपिंग करने के निर्देश दिए हैं.

डाॅ.जोगाराम ने कहा कि इस बार नगर निगम द्वारा तीन बाढ़ नियंत्रण कक्ष के बजाय हर जोन उपायुक्त कार्यालय में एक बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाए. हर जोन उपायुक्त के नियंत्रण में आवश्यक संसाधनों सहित कम से कम दो सामुदायिक भवन होने चाहिए, जहां आपात स्थिति में लोगों को रेस्क्यू कर लाया जा सके. साथ ही सभी सामुदायिक भवनों की मैपिंग भी करने को कहा.

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उन्होंने शहर के जलभराव की आशंका वाली कच्ची बस्तियों और अन्य स्थानों का चिन्हित कर यह जानकारी जिला प्रशासन को देने के लिए निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया. साथ ही उस जगह का भी चिन्हित करने को कहा, जहां कच्ची बस्ती में पानी भरने पर लोगों को सुरक्षित रखा जा सके.

जिला कलक्टर ने कहा कि मानसून पास है और अभी तक नालों की सफाई का काम पूरा नहीं हुआ है. उन्होंने शहर में कितने नाले हैं, कितने साफ हुए और कितने बाकी हैं, इसकी जानकारी जिला प्रशासन को देने के साथ ही हर नाले के लिए किसी अधिषाषी अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपने के लिए निर्देशित किया है.

शहर में जीर्ण-शीर्ण हो चुकी पुरानी इमारतों के लिए जोन उपायुक्त और सम्बन्धित रेवेन्यू अधिकारी को सर्वे कर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. पीएचईडी के अधिकारियों को लाइनों की मेंटीनेंस, जल गुणवत्ता बनाए रखने, समुचित क्लोरीनेशन करने के निर्देश दिए गए हैं.

जयपुर विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों को बरसात के कारण बढने वाली विद्युत सम्बन्धी शिकायतों के त्वरित समाधान की तैयारी, बरसात में करंट से बचाव के लिए स्ट्रीट लाइट्स के ओपन वायर्स की मेंटीनेंस के लिए जेडीए और निगम के साथ समन्वय कर तारों को ढंकने के लिए ड्राइव चलाने के निर्देश दिए गए हैं. ट्रांसफार्मर फुंकने या पेड़ गिरने जैसी समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए आवश्यक संख्या में टीमें तैनात रखने के भी निर्देश दिए गए हैं.

जिला कलेक्टर ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को ग्राम पंचायतों को सौंपे गए डैम, एनीकट का जिला परिषद के अधिकारियों के साथ मानसून पूर्व संयुक्त निरीक्षण करने और कमियां पाई जाने पर सुधार के निर्देश दिए है. सार्वजनिक निर्माण विभाग को विभाग के अधीन सड़कों पर बाढ़ चेतावनी सम्बन्धी साइनेज लगवाने, जिले में उनकी सूची देने को कहा गया. साथ ही पुलों, रपटों, कलवर्ट, अण्डरपास की संख्या और किए गए सुरक्षा उपायों की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं.

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चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को मौसम जनित बीमारियों और कोरोना संक्रमण की स्थिति पर नजर रखने के निर्देश दिए गए. डीएसओ प्रथम को दूध, खाद्यान्न की आपूर्ति की आपातकालीन व्यवस्था रखने, फिशरीज को नावों की संख्या, प्रकार और क्षमता के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए गए हैं. इस दौरान बैठक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद् भारती दीक्षित सहित सम्बन्धित विभागोें के प्रतिनिधि भी शामिल रहे.

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