जयपुर. एक लग्जरी कार को एक के बाद एक पांच बार बिकने के बाद न्यायालय ने प्रथम विक्रेता को सुपुर्द की है. जयपुर के सुभाष चौक थाने में जब्त जगुआर कार को 5 बार बिकने के बाद कोर्ट ने प्रथम विक्रेता को सुपुर्द करने का आदेश दिया है.
पढ़ेंः जयपुर : किसानों को रात में मिल रही बिजली...जोबनेर के किसानों ने बिजली दफ्तरों के बाहर किया प्रदर्शन
जानकारी के मुताबिक एक लग्जरी कार एक के बाद एक पांच जगह बिक गई. लग्जरी कार जगुआर दीपक शर्मा के नाम से रजिस्टर है. कार को सबसे पहले अजय मीणा को बेचा गया. एफएसएल जांच में कार की बिक्री दस्तावेजों पर हस्ताक्षर गलत होना पाया गया. मामले में कार को पुलिस ने जप्त कर लिया था. इसके बाद गाड़ी को छुड़ाने के लिए कोर्ट में पांच प्रार्थना पत्र दाखिल किए गए. एक गाड़ी के 5 दावेदार देखकर कोर्ट को भी आश्चर्य हुआ.
इस कार्य को अदालत ने प्रथम क्रेता को सौंपने का आदेश दिया है. इसके लिए प्रथम क्रेता को 40 लाख रुपए का सुपुर्दनामा पेश करना होगा. इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी साफ किया है कि कार को किसी अन्य को बेचा या गिरवी नहीं रखा जाएगा.
सबसे पहले कोर्ट ने दस्तावेज देखते हुए कार के तीसरे खरीददार को सौंपने के आदेश दिए. जिसके खिलाफ दायर याचिका पर एडीजे कोर्ट ने कहा कि तीसरे खरीददार ने पैसा दिया है, लेकिन जिससे गाड़ी खरीदी वह उस वाहन का मालिक नहीं था और वाहन पहले मालिक के फर्जी हस्ताक्षर से दूसरे खरीददार के पास गया था. कोर्ट ने कार को पहले मालिक को सौंपने के आदेश देते हुए कहा कि 7 दिन बाद 40 लाख रुपए के सुपुर्दगी नाम पर गाड़ी ले सकता है. कोर्ट ने कहा कि कभी भी आवश्यकता होने पर वह गाड़ी को कोर्ट के आदेश अनुसार पेश करेगा.
पढ़ेंः 'मुख्यमंत्री होश में आओ, नारी सम्मान फिर लौटाओ'
लग्जरी गाड़ी के मामले में सबसे पहले साल 2015 में गांधी नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी, लेकिन पुलिस ने हस्ताक्षर हो कि बिना एफएसएल जांच करवाए ही सही मान लिया और सिविल नेचर का मामला बताकर केस को बंद कर दिया था. इसके बाद कार को लेकर 2018 में एक मामला सुभाष चौक थाने में दर्ज हुआ और वहां पर एफएसएल जांच करवाई गई. जिसके बाद हस्ताक्षर फर्जी पाए गए.
जिसके बाद अब न्यायालय ने प्रथम विक्रेता को सुपुर्दगी के आदेश जारी किए हैं. इससे गांधीनगर थाना पुलिस की कार्यशैली पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिरकार गांधीनगर थाना पुलिस की जांच पड़ताल में हस्ताक्षर की जांच क्यों नहीं करवाई गई.