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राजस्थान के 15वीं विधानसभा के तीसरे सत्र में रोचक संयोग, पहली बार भाजपा और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष एक साथ रहे मौजूद - Third session of 15th assembly

राजस्थान में गुरुवार को 15वीं विधानसभा के तीसरे सत्र में संविधान पर चर्चा हुई. वहीं, देश में राजस्थान एकमात्र ऐसी विधानसभा बन गई है, जिसमें संविधान पर चर्चा के लिए ही समय रखा गया. साथ ही एक और रोचक संयोग गुरुवार को विधानसभा में दिखाई दिया और वह था कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट और भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया का एक साथ विधानसभा में सदस्य के तौर पर मौजूद रहना.

भाजपा और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष एक साथ रहे मौजुद , Rajasthan Legislative Assembly
पहली बार भाजपा और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष एक साथ रहे मौजूद
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Published : Nov 28, 2019, 9:55 PM IST

जयपुर. राजस्थान में गुरुवार को 15वीं विधानसभा के तीसरे सत्र में संविधान पर चर्चा हुई. वहीं, देश में राजस्थान एकमात्र ऐसी विधानसभा बन गई है, जिसमें संविधान पर चर्चा के लिए ही समय रखा गया. साथ ही एक और रोचक संयोग गुरुवार को विधानसभा में दिखाई दिया और वह था कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट और भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया का एक साथ विधानसभा में सदस्य के तौर पर मौजूद रहना.

पहली बार भाजपा और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष एक साथ रहे मौजूद

बता दें कि इससे पहले कभी ऐसा नहीं देखा गया जब दोनों पार्टियों के अध्यक्ष सदस्य के तौर पर सदन में रहे हों. हालांकि, एक पार्टी अध्यक्ष तो राजस्थान में विधानसभा के सदस्य रहे लेकिन दोनों पार्टियों के अध्यक्ष विधानसभा के सदस्य रहें हो, ऐसा पहली बार ही हुआ है.

पढ़ें- संविधान की रक्षा किसी व्यक्ति विशेष और किसी दल का कार्य नहीं, यह पूरे देश की जनता का कार्य हैः सचिन पायलट

हालांकि, सतीश पूनिया भी इस विधानसभा के 2 सत्रों में मौजूद रहे, लेकिन तब वो अध्यक्ष नहीं थे. इससे पहले साल 2003 में भाजपा से वसुंधरा राजे अध्यक्ष बनीं तो वो सांसद थी और कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं गिरिजा व्यास विधायक थी. लेकिन, वसुंधरा राजे जब 2003 में चुनाव लड़ी तो गिरिजा व्यास हार गईं. इसके बाद भाजपा के ललित किशोर चर्तुवेदी अध्यक्ष बने जो विधायक नहीं थे.

इसी तरह से ओम माथूर साल 2008 में भाजपा के अध्यक्ष बने, वो भी विधायक नहीं थे. इसके बाद अरूण चतुर्वेदी भाजपा के अध्यक्ष रहे जो उस समय विधायक नहीं थे. साल 2013 के चुनावों में भाजपा से वसुंधरा राजे अध्यक्ष बनीं तो वो विधानसभा की सदस्य थी. लेकिन उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान विधायक नहीं थे. इसी तरह से साल 2013 में चुनावों के बाद जब तक वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष रहीं, तब कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट बनाए गए, वो भी उस समय विधायक नहीं थे.

पहली बार दोनों पार्टियों के अध्यक्ष विधानसभा में विधायक के तौर पर रहे मौजूद

अब पहली बार यह संयोग बना है कि दोनों पार्टीयों के अध्यक्ष राजस्थान विधानसभा में विधायक के तौर पर मौजूद रहे. खास बात यह रही कि गुरुवार को संविधान पर पहले बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भाजपा पर हमला किया. वहीं, पायलट के ठीक बाद में बोलने के लिए सतीश पूनिया खड़े हुए और उन्होंने पायलट की बातों का प्रतिउत्तर दिया.

पढ़ें- राजस्थान विधानसभा में संविधान और मूल कर्तव्यों पर चर्चा के दौरान आर्टिकल 370 और 35 A का हुआ जिक्र

बता दें कि उस समय सदन में ऐसा लग रहा था कि मानो पार्टी की प्रेस कॉन्फेंस चल रही हो, जिसमें पहले एक अध्यक्ष अपनी पार्टी का पक्ष रख रहा हो और दूसरा अध्यक्ष उसका जवाब दे रहा हो. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह ने माना कि ये संभवतः पहला मामला था, जब दोनों पार्टियों के अध्यक्ष विधायक के तौर पर साथ ही विधानसभा में मौजूद रहे हों.

जयपुर. राजस्थान में गुरुवार को 15वीं विधानसभा के तीसरे सत्र में संविधान पर चर्चा हुई. वहीं, देश में राजस्थान एकमात्र ऐसी विधानसभा बन गई है, जिसमें संविधान पर चर्चा के लिए ही समय रखा गया. साथ ही एक और रोचक संयोग गुरुवार को विधानसभा में दिखाई दिया और वह था कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट और भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया का एक साथ विधानसभा में सदस्य के तौर पर मौजूद रहना.

पहली बार भाजपा और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष एक साथ रहे मौजूद

बता दें कि इससे पहले कभी ऐसा नहीं देखा गया जब दोनों पार्टियों के अध्यक्ष सदस्य के तौर पर सदन में रहे हों. हालांकि, एक पार्टी अध्यक्ष तो राजस्थान में विधानसभा के सदस्य रहे लेकिन दोनों पार्टियों के अध्यक्ष विधानसभा के सदस्य रहें हो, ऐसा पहली बार ही हुआ है.

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हालांकि, सतीश पूनिया भी इस विधानसभा के 2 सत्रों में मौजूद रहे, लेकिन तब वो अध्यक्ष नहीं थे. इससे पहले साल 2003 में भाजपा से वसुंधरा राजे अध्यक्ष बनीं तो वो सांसद थी और कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं गिरिजा व्यास विधायक थी. लेकिन, वसुंधरा राजे जब 2003 में चुनाव लड़ी तो गिरिजा व्यास हार गईं. इसके बाद भाजपा के ललित किशोर चर्तुवेदी अध्यक्ष बने जो विधायक नहीं थे.

इसी तरह से ओम माथूर साल 2008 में भाजपा के अध्यक्ष बने, वो भी विधायक नहीं थे. इसके बाद अरूण चतुर्वेदी भाजपा के अध्यक्ष रहे जो उस समय विधायक नहीं थे. साल 2013 के चुनावों में भाजपा से वसुंधरा राजे अध्यक्ष बनीं तो वो विधानसभा की सदस्य थी. लेकिन उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान विधायक नहीं थे. इसी तरह से साल 2013 में चुनावों के बाद जब तक वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष रहीं, तब कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट बनाए गए, वो भी उस समय विधायक नहीं थे.

पहली बार दोनों पार्टियों के अध्यक्ष विधानसभा में विधायक के तौर पर रहे मौजूद

अब पहली बार यह संयोग बना है कि दोनों पार्टीयों के अध्यक्ष राजस्थान विधानसभा में विधायक के तौर पर मौजूद रहे. खास बात यह रही कि गुरुवार को संविधान पर पहले बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भाजपा पर हमला किया. वहीं, पायलट के ठीक बाद में बोलने के लिए सतीश पूनिया खड़े हुए और उन्होंने पायलट की बातों का प्रतिउत्तर दिया.

पढ़ें- राजस्थान विधानसभा में संविधान और मूल कर्तव्यों पर चर्चा के दौरान आर्टिकल 370 और 35 A का हुआ जिक्र

बता दें कि उस समय सदन में ऐसा लग रहा था कि मानो पार्टी की प्रेस कॉन्फेंस चल रही हो, जिसमें पहले एक अध्यक्ष अपनी पार्टी का पक्ष रख रहा हो और दूसरा अध्यक्ष उसका जवाब दे रहा हो. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह ने माना कि ये संभवतः पहला मामला था, जब दोनों पार्टियों के अध्यक्ष विधायक के तौर पर साथ ही विधानसभा में मौजूद रहे हों.

Intro:राजस्थान में 15 विधानसभा के तीसरे सत्र में रोचक संयोग,पहली बार भाजपा और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष एक साथ मौजुद रहे सदन में सचिन पायलट कांग्रेस तो सतीश पुनिया भाजपा के अध्यक्ष पर रख रहे थे संविधान पर अपनी बातBody:राजस्थान में आज 15 वी विधानसभा के तीसरे सत्र में आज संविधान पर चर्चा हुई देश में राजस्थान एकमात्र ऐसी विधानसभा बन गयी है जिसमें संविधान पर चर्चा के लिए ही समय रखा गया तो इसके साथ ही एक और रोचक संयोग आज विधानसभा में दिखाई दिया और वो था कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट और भाजपा के अध्यक्ष सतीश पुनिया का एक साथ विधानसभा में सदस्य के तौर पर मौजुद रहना इससे पहले कभी ऐसा नही देखा गया जब दोनो पार्टीयों के अध्यक्ष सदस्य के तौर सदन में रहे हों हालांकी एक पार्टी अध्यक्ष तो राजस्थान में विधानसभा के सदस्य रहें, लेकिन दोनो पार्टीयों के अध्यक्ष विधानसभा के सदस्य रहें हो ऐसा पहली बार ही हुआ है।हालांकी सतीश पुनिया भी इस विधानसभा के दो सत्रों में मोजुद रहे लेकिन तब वो अध्यक्ष नही थे।इससे पहले साल 2003 मे भाजपा से वसून्धरा राजे अध्यक्ष बनी तो वो सांसद थी और कांग्रेस की अध्यक्ष रही गिरीजा व्यास विधायक थी लेकिन वसुन्धरा राजे जब 2003 में चुनाव तो गिरीजा व्यास हार गयी इसके बाद भाजपा के ललित किशोर चर्तूवेदी अध्यक्ष बने जो विधायक नही थे इसी तरह से ओम माथूर साल 2008 में भाजपा के अध्यक्ष बने वो भी विधायक नही थे इसके बाद अरूण चतूर्वेदी भाजपा के अध्यक्ष रहे जो उस समय विधायक नही थे साल 2013 के चुनावों में भाजपा से वसुन्धरा राजे अध्यक्ष बनी तो वो विधानसभा की सदस्य थी लेकिन उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ चंद्रभान विधायक नही थे इसी तरह से साल 2013 में चुनावों के बाद जब तक वसुन्धरा राजे मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष रही तब कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट बनाये गये वो भी उस समय विधायक नही थे अब पहली बार ये संयोग बना है कि दोनो पार्टीयों के अध्यक्ष राजस्थान विधानसभा में विधायक को तोर पर मौजूद रहें है खास बात ये रही कि आज संविधान पर पहले बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भाजपा पर हमला किया तो पायलट के ठीक बाद में बोलने के लिए सतीश पुनिया खडे हुए ओर उन्होने पायलट की बातों का प्रतिउत्तर दिया इस समय सदन में ऐसा लग रहा था मानो पार्टी के प्रेस कांफ्रेस चल रही हो जिसमें पहले एक अध्यक्ष अपनी पार्टी का पक्ष रख रहा हो और दूसरा अध्यक्ष उसका जवाब दे रहा हो।काँग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने माना कि ये सम्भवत पहला मामला था जब दोनों पार्टियों के अध्यक्ष विधायक के तौर पर साथ ही विधानसभा में मौजूद रहे हों।
बाइट सचिन पायलट प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान कांग्रेस
बाइट सतीश पुनिया प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान भाजपा
बाइट जितेन्द्र सिंह वरिष्ठ विधायक राजस्थान कांग्रेस और सभापति राजस्थान विधानसभा
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