जयपुर. शहर लगातार हॉरिजॉन्टल और वर्टिकल बढ़ता जा रहा है, लेकिन हाईकोर्ट ने 32 मीटर से ऊंची इमारतें बनाने पर रोक लगा रखी है. हालांकि, अब जल्द फायर डिपार्टमेंट के बेड़े में 70 मीटर ऊंची एरियल हाइड्रोलिक लैडर प्लेटफॉर्म (AHLP) जुड़ेगी, जिससे ऊंची इमारतों के निर्माण का रास्ता साफ होगा. इसके साथ ही विभाग रेस्क्यू टूल्स भी खरीदने की कवायद कर रहा है.
राजधानी में बहुमंजिला इमारतों को आगजनी से बचाने और रेस्क्यू करने के इंतजाम नाकाफी हैं. जिसे ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि अग्निशमन बेड़े में जितनी ऊंचाई तक आग बुझाने के संसाधन हैं, उसी के अनुरूप नक्शे स्वीकृत किए जाएं. चूंकि राजधानी का क्षेत्रफल भी बढ़ता जा रहा है और इमारतों का कद भी, ऐसे में बढ़ते शहर को देखते हुए अब 4 नए फायर स्टेशन शुरू करने की भी तैयारी की जा रही है. वहीं, रेस्क्यू करने के लिए हाईटेक रेस्क्यू टूल्स भी खरीदने की कवायद की जा रही है. साथ ही ग्रेटर नगर निगम क्षेत्र में ऊंची इमारतों के लिए एक 70 मीटर AHLP (Aerial Hydraulic Ladder Platform) भी फायर बेड़े से जुड़ेगी.
सीएफओ जगदीश फुलवारी के अनुसार आमेर के हादसे से सबक लेकर अग्निशमन बेड़े में रेस्क्यू टूल्स को जोड़ने की कवायद की जा रही है. रेस्क्यू टूल्स में 2 लाख से 20 लाख तक के इक्विपमेंट शामिल हैं, जिनकी मदद से लोहे की सलाखें और आरसीसी तक को काटकर रेस्क्यू किया जा सकता है.
वहीं, डायरेक्टर लोकल बॉडी से जयपुर ग्रेटर नगर निगम के लिए 70 मीटर की एरियल हाइड्रोलिक लैडर प्लेटफार्म आ रही है, जो फिलहाल मुंबई बंदरगाह पर है. अभी हाईकोर्ट ने 32 मीटर से ऊंची इमारतों को बनाए जाने पर रोक लगा रखी है. 70 मीटर AHLP (Aerial Hydraulic Ladder Platform) आने के बाद उसकी स्वीकृति भी जारी हो जाएगी.
फिलहाल, जयपुर के अजमेर रोड पर 70 मीटर की 25 मंजिला सबसे ऊंची इमारत है. वहीं, अब 70 मीटर एचएलपी फायर डिपार्टमेंट के बेड़े से जुड़ने के बाद इस इमारत को दूसरे बिल्डर्स भी चुनौती देते दिखेंगे.