जयपुर. भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को आज (16 अगस्त) बछ बारस का पर्व है. आज के दिन गाय और बछड़े की पूजा का विधान है. बछ बारस को वत्स द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू धर्म में गाय को पूजनीय माना गया है और गाय की पूजा और दान का महत्व बहुत ही अधिक माना जाता है.
ऐसे में इनकी मान्यता को लेकर आचार्य पंडित विमल पारीक ने बताया कि यदि बछ बारस के पर्व पर गौ माता के दर्शन भी हो जाए तो दिन शुभ हो जाता है. आज के दिन गाय और बछड़े की पूजा करने से भगवान कृष्ण भी बहुत प्रसन्न होते है. क्योंकि उनका जीवन गायों के बीच ही बीता था इसलिए उनके नाम गोपाला पड़ा.
इतना ही नहीं कृष्ण के जन्म के बाद माता यशोदा ने इसी दिन गौ माता का दर्शन और पूजन किया था. गायों की रक्षा के लिए ही श्रीकृष्ण ने गोकुल में अवतार लिया. ऐसी गौ माता की रक्षा करना और उनका पूजन करना हर भारतवंशी का धर्म है.
इसलिए बछ बारस के दिन महिलाएं संतान की सलामती और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत और पूजा करती है. बछ बारस पर लोग गाय-बछड़े को हरा चारा खिला कर बछ बारस की कथा सुनते है. इस दिन व्रत रखकर रात्रि में अपने इष्ट और गौ माता की आरती करके भोजन ग्रहण करते हैं.
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भारतीय धार्मिक पुराण में गौमाता में सभी तीर्थ होने की बात कही है. इसी वजह से पुराणों में वर्णित है कि, गौ माता में ब्रह्मा का वास, गले मे विष्णु, मुख में रुद्र, मध्य में समस्त देवी देवताओं और रोम कूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खुरों में पर्वत, गोमूत्र में गंगादि नदियां, गौमय में लक्ष्मी और नेत्रों में सूर्य-चन्द्र विराजमान है.