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किसी वॉरियर से कम नहीं महिला सफाई कर्मचारी...परिवार संभालने के साथ कर रहीं ड्यूटी... लेकिन सुरक्षा के प्रति 'जिम्मेदार' लापरवाह - Jaipur latest news

कोरोना काल हो या कोई तीज-त्योहार महिला सफाई कर्मचारियों ने पूरी दृढ़ता के साथ अपनी ड्यूटी निभाई है और निभा भी रही हैं. गर्मी हो या ठंड, तेज धूप हो या शीत लहर चले महिला स्वच्छता सैनिक अपनी ड्यूटी (Female sweeper doing duty like a warrior) करती नजर आती हैं. हालांकि महिला सफाई कर्मचारियों का कहना है ड्यूटी के साथ परिवार संभालना कठिन होता है फिर हम काम करते हैं लेकिन निगम की ओर से कोई सुविधा नहीं दी जाती है.

Female sweeper doing duty like a warrior
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Published : Mar 7, 2022, 4:57 PM IST

Updated : Mar 7, 2022, 8:48 PM IST

जयपुर. महिलाएं आज पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में काम कर रही हैं. यहां तक कि पुलिस और सेना में भी काफी संख्या में महिलाएं भर्ती हैं जो सशक्त योद्धा की तरह दिन रात ड्यूटी कर रहीं हैं. लेकिन आज हम जिन महिला योद्धाओं के बारे में बात कर रहे हैं वह प्रदेश में कार्यरत महिला सफाई कर्मचारी हैं. कोरोना के मुश्किल दौर में जहां लोग घरों से निकलने में डर रहे थे वे मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी कर रहीं थीं ताकि गंदगी से यह महामारी या अन्य बीमारियां न फैलें. कोविड के समय इन महिला सफाई कर्मचारियों ने एक वॉरियर (Female sweeper doing duty like a warrior) की तरह अपनी ड्यूटी निभाई है.

कड़ाके की ठंड हो या भीषण गर्मी हाथ में झाड़ू, सिर पर सम्मान का घूंघट रखे सुबह से शहर की सड़कों-गलियों की सफाई करने वाली नगर निगम की ये महिला सफाई कर्मचारी किसी वॉरियर से कम नहीं हैं. ये महिला स्वच्छकार उस दौर में भी काम करती हैं, जब लोग अपने घरों में तीज त्यौहार की तैयारी करते रहते हैं. महिला दिवस के उपलक्ष्य में ईटीवी भारत ने इन महिला स्वच्छकार सैनिकों से बात कर उनकी समस्याएं (Female sweeper problems) जानीं.

Female sweeper doing duty like a warrior

पढ़ें. 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : जयपुर में आयोजित मैराथन दौड़ में शामिल हो सकती हैं प्रियंका

काम के बावजूद सुविधाएं नहीं मिलतीं
हेरिटेज नगर निगम क्षेत्र में कार्यरत महिला सफाई कर्मचारी रज्जो ने बताया कि बीते 27 साल से वो नगर निगम से जुड़कर सफाई का काम कर रहीं हैं. इस दौरान आए दिन ही उन्हें कई प्रकार की समस्याओ से दो चार होना पड़ता रहा है. आस पड़ोस में किसी की मौत भी हो जाती है तो भी पहले ड्यूटी संभालते हैं. कोरोना काल में जब लोग घरों में बैठकर खुद को और अपनों को सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे थे तब भी गली-मोहल्लों में घूम-घूमकर सफाई कार्य कर रहे थे, लेकिन बस यही मलाल है कि काम के बावजूद निगम की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिली.

एक बार मास्क और सैनिटाइजर जरूर दिया गया था लेकिन कोई मेडिकल की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई. उन्होंने बताया कि तीज-त्योहार तक की छुट्टी नहीं मिल पाती है. पहले सफाई का काम होता है, फिर जो समय मिलता है उसमें घर संभालते हैं. आलम ये है कि महिलाओं के मासिक धर्म के समय में भी उन्हें ड्यूटी कार्य करना पड़ता है लेकिन कभी कोई सहायता नहीं मिलती. यदि मजबूरी में छुट्टी ले भी लें और अर्जी न लगाएं तो भुगतान काट लिया जाता है.

पढ़ें. Women hallpack drivers: कभी सड़क पर ऑटो चलाती थी, अब माइंस में संभाल रहीं हैं हॉलपैक मशीन

ड्यूटी के साथ परिवार संभालना मुश्किल
इन महिला स्वच्छकार सैनिकों का दिन सुबह 5:00 बजे से शुरू हो जाता है. पहले कुछ देर परिवार को संभालती हैं और फिर 7:00 बजे से शहर की स्वच्छता व्यवस्था को भी संभालना रहता है. उन्होंने बताया कि घर में छोटे बच्चे हैं जो परिजनों के सहारे बड़े हो रहे हैं. कोरोना के पहले तो बच्चे स्कूल चले जाया करते थे, लेकिन वर्तमान समय में मुश्किलें और बढ़ गई हैं. वहीं कुछ महिला सफाई कर्मचारी घूंघट ओढ़कर सफाई का काम करतीं दिखीं. महिलाओं ने कहा कि मोहल्ले के बुजुर्गों के सम्मान में वे घूंघट ओढ़कर काम करती हैं.

बीते 4 साल से नगर निगम में कार्यरत सफाईकर्मी माया ने बताया कि उनके पति का देहावसान हो चुका है. वह किराए के घर में रहती हैं. निगम से मिलने वाले 11 हजार में से 5 हज़ार किराए में चले जाते हैं. 6 हजार में बच्चों के स्कूल की फीस और घर का गुजारा चलता है. उन्होंने बताया कि उनका प्रोबेशन पीरियड खत्म होने के बावजूद अब तक उन्हें नियमित नहीं किया गया और न ही सैलरी बढ़ाई गई है. हाल ही में निगम के साथ जुड़ी युवा महिला सफाई कर्मचारी कविता ने बताया कि तबीयत कितनी भी खराब हो छुट्टी नहीं मिल पाती है. इसे लेकर उच्च अधिकारियों को भी कहा गया लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया.

पढ़ें. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: पैडमैन मूवी देख बेबाक अंदाज में बोली बालिकाएं, हाईजीन का रखेंगे ध्यान....सेनेटरी पैड का करेंगी यूज

50 साल की महिला सफाई कर्मचारी रत्ना देवी ने बताया कि बीते 26 साल से वह निगम में अपनी सेवाएं दे रही हैं. सफाई अभियान के दौरान दिन रात काम किया है. वर्तमान में दो शिफ्ट में काम चल रहा है. बीच में घर को संभालती हैं. पूरी मेहनत से अपनी ड्यूटी करने के साथ ही अपने परिवार को भी संभाल रही हूं. उन्होंने कहा कि आज भले ही उन्हें स्वच्छकार सैनिक कहा जाता हो लेकिन उनके काम को अभी भी गंदा ही समझा जाता है.

सफाई के काम को अच्छे नजरिए से नहीं देखते
सफाई के काम को देवों का काम कहा गया है. खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झाड़ू उठा कर सफाई करते हुए पूरे देश में स्वच्छता का संदेश देते हुए अभियान शुरू किया है लेकिन आज भी इस काम को अच्छे नजरिए से नहीं देखा जाता. किसी भी शहर की खूबसूरती बहुत हद तक वहां की सफाई व्यवस्था पर निर्भर करती है. और महिला सफाई कर्मचारी इस महत्वपूर्ण कार्य में बेहद अहम रोल निभा रही हैं. महिला स्वच्छता सैनिकों के दम पर राजधानी के दोनों निगम स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंक लाने के दावे कर रहे हैं.

इन महिला सफाई कर्मचारियों पर स्वामी विवेकानंद का कथन बिल्कुल सटीक बैठता है कि नारी परिवार और समाज की केंद्र बिंदु होती है. आवश्यक है इन्हें बेहतर सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराए जाएं और इनका नियमित हेल्थ चेकअप हो. उनके सामने आने वाली चुनौतियों को समझकर उनने लड़ने के लिए निगम पहल करे ताकि ये शहर के साथ-साथ अपने परिवार से जुड़ी जिम्मेदारियों का भी निर्वहन कर सकें.

जयपुर. महिलाएं आज पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में काम कर रही हैं. यहां तक कि पुलिस और सेना में भी काफी संख्या में महिलाएं भर्ती हैं जो सशक्त योद्धा की तरह दिन रात ड्यूटी कर रहीं हैं. लेकिन आज हम जिन महिला योद्धाओं के बारे में बात कर रहे हैं वह प्रदेश में कार्यरत महिला सफाई कर्मचारी हैं. कोरोना के मुश्किल दौर में जहां लोग घरों से निकलने में डर रहे थे वे मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी कर रहीं थीं ताकि गंदगी से यह महामारी या अन्य बीमारियां न फैलें. कोविड के समय इन महिला सफाई कर्मचारियों ने एक वॉरियर (Female sweeper doing duty like a warrior) की तरह अपनी ड्यूटी निभाई है.

कड़ाके की ठंड हो या भीषण गर्मी हाथ में झाड़ू, सिर पर सम्मान का घूंघट रखे सुबह से शहर की सड़कों-गलियों की सफाई करने वाली नगर निगम की ये महिला सफाई कर्मचारी किसी वॉरियर से कम नहीं हैं. ये महिला स्वच्छकार उस दौर में भी काम करती हैं, जब लोग अपने घरों में तीज त्यौहार की तैयारी करते रहते हैं. महिला दिवस के उपलक्ष्य में ईटीवी भारत ने इन महिला स्वच्छकार सैनिकों से बात कर उनकी समस्याएं (Female sweeper problems) जानीं.

Female sweeper doing duty like a warrior

पढ़ें. 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : जयपुर में आयोजित मैराथन दौड़ में शामिल हो सकती हैं प्रियंका

काम के बावजूद सुविधाएं नहीं मिलतीं
हेरिटेज नगर निगम क्षेत्र में कार्यरत महिला सफाई कर्मचारी रज्जो ने बताया कि बीते 27 साल से वो नगर निगम से जुड़कर सफाई का काम कर रहीं हैं. इस दौरान आए दिन ही उन्हें कई प्रकार की समस्याओ से दो चार होना पड़ता रहा है. आस पड़ोस में किसी की मौत भी हो जाती है तो भी पहले ड्यूटी संभालते हैं. कोरोना काल में जब लोग घरों में बैठकर खुद को और अपनों को सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे थे तब भी गली-मोहल्लों में घूम-घूमकर सफाई कार्य कर रहे थे, लेकिन बस यही मलाल है कि काम के बावजूद निगम की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिली.

एक बार मास्क और सैनिटाइजर जरूर दिया गया था लेकिन कोई मेडिकल की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई. उन्होंने बताया कि तीज-त्योहार तक की छुट्टी नहीं मिल पाती है. पहले सफाई का काम होता है, फिर जो समय मिलता है उसमें घर संभालते हैं. आलम ये है कि महिलाओं के मासिक धर्म के समय में भी उन्हें ड्यूटी कार्य करना पड़ता है लेकिन कभी कोई सहायता नहीं मिलती. यदि मजबूरी में छुट्टी ले भी लें और अर्जी न लगाएं तो भुगतान काट लिया जाता है.

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ड्यूटी के साथ परिवार संभालना मुश्किल
इन महिला स्वच्छकार सैनिकों का दिन सुबह 5:00 बजे से शुरू हो जाता है. पहले कुछ देर परिवार को संभालती हैं और फिर 7:00 बजे से शहर की स्वच्छता व्यवस्था को भी संभालना रहता है. उन्होंने बताया कि घर में छोटे बच्चे हैं जो परिजनों के सहारे बड़े हो रहे हैं. कोरोना के पहले तो बच्चे स्कूल चले जाया करते थे, लेकिन वर्तमान समय में मुश्किलें और बढ़ गई हैं. वहीं कुछ महिला सफाई कर्मचारी घूंघट ओढ़कर सफाई का काम करतीं दिखीं. महिलाओं ने कहा कि मोहल्ले के बुजुर्गों के सम्मान में वे घूंघट ओढ़कर काम करती हैं.

बीते 4 साल से नगर निगम में कार्यरत सफाईकर्मी माया ने बताया कि उनके पति का देहावसान हो चुका है. वह किराए के घर में रहती हैं. निगम से मिलने वाले 11 हजार में से 5 हज़ार किराए में चले जाते हैं. 6 हजार में बच्चों के स्कूल की फीस और घर का गुजारा चलता है. उन्होंने बताया कि उनका प्रोबेशन पीरियड खत्म होने के बावजूद अब तक उन्हें नियमित नहीं किया गया और न ही सैलरी बढ़ाई गई है. हाल ही में निगम के साथ जुड़ी युवा महिला सफाई कर्मचारी कविता ने बताया कि तबीयत कितनी भी खराब हो छुट्टी नहीं मिल पाती है. इसे लेकर उच्च अधिकारियों को भी कहा गया लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया.

पढ़ें. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: पैडमैन मूवी देख बेबाक अंदाज में बोली बालिकाएं, हाईजीन का रखेंगे ध्यान....सेनेटरी पैड का करेंगी यूज

50 साल की महिला सफाई कर्मचारी रत्ना देवी ने बताया कि बीते 26 साल से वह निगम में अपनी सेवाएं दे रही हैं. सफाई अभियान के दौरान दिन रात काम किया है. वर्तमान में दो शिफ्ट में काम चल रहा है. बीच में घर को संभालती हैं. पूरी मेहनत से अपनी ड्यूटी करने के साथ ही अपने परिवार को भी संभाल रही हूं. उन्होंने कहा कि आज भले ही उन्हें स्वच्छकार सैनिक कहा जाता हो लेकिन उनके काम को अभी भी गंदा ही समझा जाता है.

सफाई के काम को अच्छे नजरिए से नहीं देखते
सफाई के काम को देवों का काम कहा गया है. खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झाड़ू उठा कर सफाई करते हुए पूरे देश में स्वच्छता का संदेश देते हुए अभियान शुरू किया है लेकिन आज भी इस काम को अच्छे नजरिए से नहीं देखा जाता. किसी भी शहर की खूबसूरती बहुत हद तक वहां की सफाई व्यवस्था पर निर्भर करती है. और महिला सफाई कर्मचारी इस महत्वपूर्ण कार्य में बेहद अहम रोल निभा रही हैं. महिला स्वच्छता सैनिकों के दम पर राजधानी के दोनों निगम स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंक लाने के दावे कर रहे हैं.

इन महिला सफाई कर्मचारियों पर स्वामी विवेकानंद का कथन बिल्कुल सटीक बैठता है कि नारी परिवार और समाज की केंद्र बिंदु होती है. आवश्यक है इन्हें बेहतर सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराए जाएं और इनका नियमित हेल्थ चेकअप हो. उनके सामने आने वाली चुनौतियों को समझकर उनने लड़ने के लिए निगम पहल करे ताकि ये शहर के साथ-साथ अपने परिवार से जुड़ी जिम्मेदारियों का भी निर्वहन कर सकें.

Last Updated : Mar 7, 2022, 8:48 PM IST
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