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दिल्ली से जयपुर लाई गई मादा हिप्पो, पर्यटकों के लिए बनेगा आकर्षण का केंद्र

राजधानी के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में अब दरियाई घोड़े का जोड़ा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा. शुक्रवार को दिल्ली चिड़ियाघर से फीमेल डिपो यानी मादा दरियाई घोड़ा लाया गया है. जिसके आने से नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में दरियाई घोड़े का जोड़ा बन गया. पिछले दिनों दिल्ली से मेल हिप्पो यानी नर दरियाई घोड़ा लाया गया था.

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Published : Aug 23, 2019, 1:17 PM IST

Nahargarh Biological Park, jaipur news, जयपुर आई मादा हिप्पो, जयपुर में दरियाई घोड़ा

जयपुर. दिल्ली चिड़ियाघर से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़े का जोड़ा राजधानी लाया गया है. दरियाई घोड़े को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बने प्रदेश के पहले एग्जॉटिक पार्ट में रखा गया है. राजधानी में दरियाई घोड़ा लाने की वन विभाग की बरसों पुरानी कोशिश रंग लाई है. एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़े के बदले जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा दिल्ली चिड़ियाघर भेजा गया है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क प्रदेश का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर पर्यटक दरियाई घोड़ा देख सकेंगे. दरियाई घोड़े को 21 दिन तक पर्यटकों से दूर रखा जाएगा. इसके बाद पर्यटक दरियाई घोड़े की अठखेलिया देख सकेंगे.

दिल्ली से जयपुर लाई गई मादा हिप्पो

वन्यजीव चिकित्सक डॉक्टर अशोक तंवर के नेतृत्व में वन विभाग की टीम गुरुवार शाम को दिल्ली के लिए रवाना हुई थी. और शुक्रवार सुबह दरियाई घोड़ा लेकर नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहुंची. दरियाई घोड़े के लिए एग्जॉटिक पार्क में भोजन और रहने के अच्छे इंतजाम किए गए हैं. दरियाई घोड़े को गर्मी से राहत देने के लिए एग्जॉटिक पार्क में एक तालाब बनाया गया है. एग्जॉटिक पार्क को सफारी की तर्ज पर 26 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है. आने वाले समय में एग्जॉटिक पार्क के लिए जेब्रा, शुतुरमुर्ग सहित कई वन्यजीवों को लाने का भी प्रयास किया जा रहा है.

पढ़ें- धोखाधड़ी मामले में BJP पार्षद गिरफ्तार

डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने बताया कि सेंट्रल जू अथॉरिटी की परमिशन के बाद दिल्ली चिड़ियाघर से दरियाई घोड़े का जोड़ा लाया गया है. इसके बदले में जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा भेजा गया है. दरियाई घोड़े को हिप्पोपोटेमस के नाम से भी जाना जाता है. यह जलीय जीव है जो कि अफ्रीका में पाया जाता है.

पढ़े- उदयपुर की ग्रामीण इलाकों के बाद अब शहर में भी आया पैंथर, शहरवासियों में भय का माहौल

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में नया एग्जॉटिक पार्क बनाया गया है जो वन्यजीव भारत देश में नहीं पाए जाते वह वन्यजीव इस एग्जॉटिक पार्क में देखने को मिलेंगे. राजस्थान में पहली बार चिड़ियाघर में हिप्पोपोटेमस यानी दरियाई घोड़ा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा. राजस्थान में पहली बार हिप्पो लाया गया है.

पढ़ें- जयपुर: शहर में अवैध चल रहे हुक्का बार पर पुलिस की छापेमारी

बता दें राजस्थान में नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क एकमात्र चिड़ियाघर होगा जहां पर हिप्पो देखने को मिलेगा. 10 दिन पहले मेल हिप्पो लाया गया था और आज फीमेल हिप्पो के आने से दोनों की उदासीनता दूर हो गई. दोनों अठखेलियां करते हुए नजर आ रहे हैं. दरियाई घोड़ा ज्यादातर पानी में ही रहता है इसके लिए एग्जॉटिक पार्क में तालाब बनाया गया है.

पढे़ं- राजस्थान में थमा बारिश का दौर, कई इलाके रह गए बिन पानी के

तालाब में दरियाई घोड़ा अठखेलियां करता हुआ नजर आ रहा है. यह वन्यजीव सहकारी है जो कि घास और फल ज्यादा पसंद करता है. हाथी की तरह दरियाई घोड़े का भोजन होता है. दरियाई घोड़े को 21 दिन तक डिस्प्ले से बाहर रखा जाएगा और 21 दिन बाद पर्यटकों को देखने के लिए खोला जाएगा.

पढ़ें- कोर्ट ने वाहनों पर एकमुश्त कर को चुनौती देनी वाली याचिका को किया खारिज

वन्यजीव चिकित्सक डॉक्टर अशोक तंवर ने बताया यह दरियाई घोड़ा दुनिया का तीसरा सबसे भारी जानवर है. दुनिया के भारी जानवरों में पहला व्हेल मछली, दूसरा हाथी और तीसरा दरियाई घोड़ा है. दरियाई घोड़ा पानी और थल दोनों जगह पर ही रहता है. दिल्ली से लाते समय रास्ते में दरियाई घोड़े के हर 20 मिनट में पानी का छिड़काव करना पड़ा. साथ में इनवर्टर बैटरी और फव्वारा सिस्टम की व्यवस्था रखी गई. ताकि बार-बार दरियाई घोड़े को पानी का छिड़काव होता रहे.

पढ़ें- रेलवे ने चलाया टिकट चेकिंग अभियान, 3 लाख 83 हजार रुपए वसूले

रास्ते में खाने के लिए चना, चने की खल, केले, जौ, मक्का, बाजरा, ज्वार की कुट्टी दी गई. यह सब दरियाई घोड़े का प्रिय भोजन है. सबसे ज्यादा केले को पसंद करता है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में अब दरियाई घोड़े का जोड़ा बन गया है. दरियाई घोड़े के प्रजनन करवाने का प्रयास किया जाएगा. अच्छे से प्रजनन होने के बाद राजस्थान के दूसरे चिड़ियाघरों में भी दरियाई घोड़ा देने का प्रयास किया जाएगा. दरियाई घोड़े को दिल्ली से लाना एक चुनौतीपूर्ण काम था जिसमें वन विभाग की टीम के सहयोग से सफलता प्राप्त की गई है. दरियाई घोड़े को लाने में वन विभाग के कर्मचारी कुलदीप शर्मा, राजेंद्र सिंह और देवानंद का काफी सहयोग रहा है.

जयपुर. दिल्ली चिड़ियाघर से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़े का जोड़ा राजधानी लाया गया है. दरियाई घोड़े को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बने प्रदेश के पहले एग्जॉटिक पार्ट में रखा गया है. राजधानी में दरियाई घोड़ा लाने की वन विभाग की बरसों पुरानी कोशिश रंग लाई है. एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़े के बदले जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा दिल्ली चिड़ियाघर भेजा गया है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क प्रदेश का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर पर्यटक दरियाई घोड़ा देख सकेंगे. दरियाई घोड़े को 21 दिन तक पर्यटकों से दूर रखा जाएगा. इसके बाद पर्यटक दरियाई घोड़े की अठखेलिया देख सकेंगे.

दिल्ली से जयपुर लाई गई मादा हिप्पो

वन्यजीव चिकित्सक डॉक्टर अशोक तंवर के नेतृत्व में वन विभाग की टीम गुरुवार शाम को दिल्ली के लिए रवाना हुई थी. और शुक्रवार सुबह दरियाई घोड़ा लेकर नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहुंची. दरियाई घोड़े के लिए एग्जॉटिक पार्क में भोजन और रहने के अच्छे इंतजाम किए गए हैं. दरियाई घोड़े को गर्मी से राहत देने के लिए एग्जॉटिक पार्क में एक तालाब बनाया गया है. एग्जॉटिक पार्क को सफारी की तर्ज पर 26 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है. आने वाले समय में एग्जॉटिक पार्क के लिए जेब्रा, शुतुरमुर्ग सहित कई वन्यजीवों को लाने का भी प्रयास किया जा रहा है.

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डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने बताया कि सेंट्रल जू अथॉरिटी की परमिशन के बाद दिल्ली चिड़ियाघर से दरियाई घोड़े का जोड़ा लाया गया है. इसके बदले में जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा भेजा गया है. दरियाई घोड़े को हिप्पोपोटेमस के नाम से भी जाना जाता है. यह जलीय जीव है जो कि अफ्रीका में पाया जाता है.

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नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में नया एग्जॉटिक पार्क बनाया गया है जो वन्यजीव भारत देश में नहीं पाए जाते वह वन्यजीव इस एग्जॉटिक पार्क में देखने को मिलेंगे. राजस्थान में पहली बार चिड़ियाघर में हिप्पोपोटेमस यानी दरियाई घोड़ा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा. राजस्थान में पहली बार हिप्पो लाया गया है.

पढ़ें- जयपुर: शहर में अवैध चल रहे हुक्का बार पर पुलिस की छापेमारी

बता दें राजस्थान में नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क एकमात्र चिड़ियाघर होगा जहां पर हिप्पो देखने को मिलेगा. 10 दिन पहले मेल हिप्पो लाया गया था और आज फीमेल हिप्पो के आने से दोनों की उदासीनता दूर हो गई. दोनों अठखेलियां करते हुए नजर आ रहे हैं. दरियाई घोड़ा ज्यादातर पानी में ही रहता है इसके लिए एग्जॉटिक पार्क में तालाब बनाया गया है.

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तालाब में दरियाई घोड़ा अठखेलियां करता हुआ नजर आ रहा है. यह वन्यजीव सहकारी है जो कि घास और फल ज्यादा पसंद करता है. हाथी की तरह दरियाई घोड़े का भोजन होता है. दरियाई घोड़े को 21 दिन तक डिस्प्ले से बाहर रखा जाएगा और 21 दिन बाद पर्यटकों को देखने के लिए खोला जाएगा.

पढ़ें- कोर्ट ने वाहनों पर एकमुश्त कर को चुनौती देनी वाली याचिका को किया खारिज

वन्यजीव चिकित्सक डॉक्टर अशोक तंवर ने बताया यह दरियाई घोड़ा दुनिया का तीसरा सबसे भारी जानवर है. दुनिया के भारी जानवरों में पहला व्हेल मछली, दूसरा हाथी और तीसरा दरियाई घोड़ा है. दरियाई घोड़ा पानी और थल दोनों जगह पर ही रहता है. दिल्ली से लाते समय रास्ते में दरियाई घोड़े के हर 20 मिनट में पानी का छिड़काव करना पड़ा. साथ में इनवर्टर बैटरी और फव्वारा सिस्टम की व्यवस्था रखी गई. ताकि बार-बार दरियाई घोड़े को पानी का छिड़काव होता रहे.

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रास्ते में खाने के लिए चना, चने की खल, केले, जौ, मक्का, बाजरा, ज्वार की कुट्टी दी गई. यह सब दरियाई घोड़े का प्रिय भोजन है. सबसे ज्यादा केले को पसंद करता है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में अब दरियाई घोड़े का जोड़ा बन गया है. दरियाई घोड़े के प्रजनन करवाने का प्रयास किया जाएगा. अच्छे से प्रजनन होने के बाद राजस्थान के दूसरे चिड़ियाघरों में भी दरियाई घोड़ा देने का प्रयास किया जाएगा. दरियाई घोड़े को दिल्ली से लाना एक चुनौतीपूर्ण काम था जिसमें वन विभाग की टीम के सहयोग से सफलता प्राप्त की गई है. दरियाई घोड़े को लाने में वन विभाग के कर्मचारी कुलदीप शर्मा, राजेंद्र सिंह और देवानंद का काफी सहयोग रहा है.

Intro:जयपुर
एंकर- राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में अब दरियाई घोड़े का जोड़ा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। आज शुक्रवार को दिल्ली चिड़ियाघर से फीमेल डिपो यानी मादा दरियाई घोड़ा लाया गया है। जिसके आने से नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में दरियाई घोड़े का जोड़ा बन गया। पिछले दिनों दिल्ली से मेल हिप्पो यानी नर दरियाई घोड़ा लाया गया था।Body:दिल्ली चिड़ियाघर से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़े का जोड़ा लाया गया है। दरियाई घोड़े को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बने प्रदेश के पहले एग्जॉटिक पार्ट में रखा गया है। राजधानी जयपुर में दरियाई घोड़ा लाने की वन विभाग की बरसों पुरानी कोशिश रंग लाई है। एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दरियाई घोड़े के बदले जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा दिल्ली चिड़ियाघर भेजा गया है। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क प्रदेश का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर पर्यटक दरियाई घोड़ा देख सकेंगे। दरियाई घोड़े को 21 दिन तक पर्यटकों से दूर रखा जाएगा। इसके बाद पर्यटक दरियाई घोड़े की अठखेलिया देख सकेंगे।
वन्यजीव चिकित्सक डॉक्टर अशोक तंवर के नेतृत्व में वन विभाग की टीम गुरुवार शाम को दिल्ली के लिए रवाना हुई थी। और शुक्रवार सुबह दरियाई घोड़ा लेकर नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहुंची। दरियाई घोड़े के लिए एग्जॉटिक पार्क में भोजन और रहने के अच्छे इंतजाम किए गए हैं। दरियाई घोड़े को गर्मी से राहत देने के लिए एग्जॉटिक पार्क में एक तालाब बनाया गया है। एग्जॉटिक पार्क को सफारी की तर्ज पर 26 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है। आने वाले समय में एग्जॉटिक पार्क के लिए जेब्रा, शुतुरमुर्ग सहित कई वन्यजीवों को लाने का भी प्रयास किया जा रहा है।
डीएफओ सुदर्शन शर्मा ने बताया कि सेंट्रल जू अथॉरिटी की परमिशन के बाद दिल्ली चिड़ियाघर से दरियाई घोड़े का जोड़ा लाया गया है। इसके बदले में जयपुर से एक वुल्फ का जोड़ा और एक घड़ियाल का जोड़ा भेजा गया है। दरियाई घोड़े को हिप्पोपोटेमस के नाम से भी जाना जाता है। यह जलीय जीव है जो कि अफ्रीका में पाया जाता है।

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के एसीएफ जगदीश गुप्ता ने बताया कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में नया एग्जॉटिक पार्क बनाया गया है जो वन्यजीव भारत देश में नहीं पाए जाते वह वन्यजीव इस एग्जॉटिक पार्क में देखने को मिलेंगे। राजस्थान में पहली बार चिड़ियाघर में हिप्पोपोटेमस यानी दरियाई घोड़ा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। राजस्थान में पहली बार हिप्पो लाया गया है राजस्थान में नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क एकमात्र चिड़ियाघर होगा जहां पर हिप्पो देखने को मिलेगा। 10 दिन पहले मेल हिप्पो लाया गया था और आज फीमेल हिप्पो के आने से दोनों की उदासीनता दूर हो गई। दोनों अठखेलियां करते हुए नजर आ रहे हैं। दरियाई घोड़ा ज्यादातर पानी में ही रहता है इसके लिए एग्जॉटिक पार्क में तालाब बनाया गया है। तालाब में दरियाई घोड़ा अठखेलियां करता हुआ नजर आ रहा है। यह वन्यजीव सहकारी है जो कि घास और फल ज्यादा पसंद करता है। हाथी की तरह दरियाई घोड़े का भोजन होता है। दरियाई घोड़े को 21 दिन तक डिस्प्ले से बाहर रखा जाएगा और 21 दिन बाद पर्यटकों को देखने के लिए खोला जाएगा।
वन्यजीव चिकित्सक डॉक्टर अशोक तंवर ने बताया यह दरियाई घोड़ा दुनिया का तीसरा सबसे भारी जानवर है। दुनिया के भारी जानवरों में पहला व्हेल मछली, दूसरा हाथी और तीसरा दरियाई घोड़ा है। दरियाई घोड़ा पानी और थल दोनों जगह पर ही रहता है। दिल्ली से लाते समय रास्ते में दरियाई घोड़े के हर 20 मिनट में पानी का छिड़काव करना पड़ा। साथ में इनवर्टर बैटरी और फव्वारा सिस्टम की व्यवस्था रखी गई। ताकि बार-बार दरियाई घोड़े को पानी का छिड़काव होता रहे। रास्ते में खाने के लिए चना, चने की खल, केले, जौ, मक्का, बाजरा, ज्वार की कुट्टी दी गई। यह सब दरियाई घोड़े का प्रिय भोजन है। सबसे ज्यादा केले को पसंद करता है। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में अब दरियाई घोड़े का जोड़ा बन गया है। दरियाई घोड़े के प्रजनन करवाने का प्रयास किया जाएगा। अच्छे से प्रजनन होने के बाद राजस्थान के दूसरे चिड़ियाघरों में भी दरियाई घोड़ा देने का प्रयास किया जाएगा।



Conclusion:दरियाई घोड़े को दिल्ली से लाना एक चुनौतीपूर्ण काम था जिसमें वन विभाग की टीम के सहयोग से सफलता प्राप्त की गई है। दरियाई घोड़े को लाने में वन विभाग के कर्मचारी कुलदीप शर्मा, राजेंद्र सिंह और देवानंद का काफी सहयोग रहा है।

बाईट- सुदर्शन शर्मा, डीएफओ, वन विभाग
बाईट- जगदीश गुप्ता, एसीएफ, नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क
बाईट- डॉक्टर अशोक तंवर, वन्यजीव चिकित्सक
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