जयपुर. मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में हो रही देरी के चलते सचिन पायलट (Sachin Pilot) की नाराजगी से एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. एक ओर पायलट कैंप के विधायक लगातार राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी ओर गहलोत गुट (Ashok Gehlot) के भी वह विधायक पायलट कैंप को जवाब दे रहे हैं, जो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर नहीं आए.
इनमें सबसे आगे रहे बसपा से कांग्रेस में आए विधायक, जिन्होंने पायलट कैंप के विधायकों को 'गद्दार' तक कह दिया, लेकिन अब राजस्थान में अगर किसी बात का सबसे ज्यादा इंतजार है तो वह है बुधवार शाम 5 बजे का, जब प्रदेश के निर्दलीय विधायक बैठ कर आगे की रणनीति तैयार करेंगे.
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आपको बता दें कि इस बैठक में पहले बसपा (BSP) से कांग्रेस में आए विधायकों को भी शामिल होना था, लेकिन अब बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों ने इस बैठक में जाने का निर्णय वापस ले लिया है. ऐसे में अब यह बैठक 19 विधायकों की G-19 ना होकर 13 विधायकों G-13 की होगी और निर्दलीय विधायक की साथ बैठ कर आगे की रणनीति तैयार करेंगे.
चल सकता था अनुशासन का डंडा...
राजस्थान में गहलोत कैंप के कट्टर समर्थक माने जाने वाले वह छह विधायक जो बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए हैं, अब निर्दलीय विधायकों के साथ होने जा रही बैठक में शामिल नहीं होंगे. इसके पीछे प्रमुख कारण माना जा रहा है अनुशासन के उस डंडे को जो बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों पर भी अनुशासनहीनता करने पर चल सकता है. दरअसल, प्रदेश प्रभारी अजय माकन (Congress In-charge Ajay Maken) यह कह चुके हैं कि सत्ता में भागीदारी उन ही विधायकों को मिलेगी जो अनुशासन में रहेंगे.
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ऐसे में अपने आप को कांग्रेस विधायकों से अलग मान रहे बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायकों ने भी उचित यही समझा कि किसी ऐसी बैठक में वह न शामिल हों, जिसमें कांग्रेस के आलाकमान को उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी पड़े. क्योंकि अब तक जितनी भी बैठकें बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों ने साथ की है, उन पर सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या बसपा से कांग्रेस में आए विधायक खुद को कांग्रेस के विधायकों से अलग मानते हैं, जो यह बैठकें कर रहे हैं और पायलट कैंप पर जबरदस्त बयानबाजी कर रहे हैं. हालांकि, विधायक राजेंद्र गुढ़ा ही साफ कर चुके हैं कि वह छह विधायक अलग हैं.
आपको बता दें कि अगर बसपा से कांग्रेस में आए विधायक बुधवार को होने वाली बैठक में शामिल होते तो संभवत: इसकी शिकायत सचिन पायलट भी आलाकमान तक पहुंचाते कि इन विधायकों पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई हो. संभवत: इसी डर से बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों ने अपना निर्णय वापस लिया है.