जयपुर. देशभर में कृषि कानूनों का विरोध हो रहा है. दिल्ली का सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर विरोध के सेंटर बने हुए हैं. इसी तरह राजस्थान में भी कृषि कानूनों के विरोध का सेंटर बने शाहजहांपुर बॉर्डर पर अब किसानों की संख्या धीरे-धीरे घट रही है. शाहजहांपुर बॉर्डर पर आंदोलन की बागड़ोर किसान संयुक्त मोर्चा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की किसान सभा ने 13 दिसंबर से संभाल रखी है.
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अब लगातार किसानों की संख्या कम हो रही है. जिसके चलते कामरेड अमराराम ने किसानों से आह्वान किया है कि जिन किसानों ने अपनी फसल काट ली है वो बॉर्डर की तरफ बढ़े और कृषि कानूनों के विरोध में आवाज मुखर करें. यह सीजन फसल कटाई का है इसलिए विरोध प्रदर्शनों में लगातार किसानों की संख्या कम हो रही है. अमराराम ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा का ऐतिहासिक आंदोलन दिल्ली के साथ ही राजस्थान में भी चल रहा है.
उन्होंने कहा कि शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसान 13 दिसंबर से पाला गिरना, सर्दी, बेमौसम बरसात, आंधी, तूफान और इस तानाशाह सरकार का मुकाबला कर रहे हैं. देश के खेत, व्यापार और आम उपभोक्ता को बचाने का यह आंदोलन है. इस आंदोलन में तन-मन-धन से अभूतपूर्व सहयोग आम आदमी दे रहा है. इसके साथ ही किसान और नौजवान भाइयों से अपील है कि जिन किसानों की फसल कटाई हो गई है. वह शाहजहांपुर खेड़ा बॉर्डर पर पहुंचे. अमराराम ने कहा कि केंद्र सरकार को ये काले कानून वापस लेने ही होंगे. उसी के बाद किसान घर वापस जाएंगे.