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केंद्र के कृषि सुधार बिल के खिलाफ किसान संगठन, प्रदेश सरकार से की विधानसभा में बिल के विरोध में प्रस्ताव लाने की मांग

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Published : Sep 18, 2020, 5:46 PM IST

Updated : Sep 18, 2020, 8:57 PM IST

केंद्र सरकार के किसानों से जुड़े 3 अध्यादेशों को अब कानून की शक्ल दे दी गई है, लेकिन किसान संगठनों की ओर से इसका विरोध जारी है. किसान महापंचायत ने इस विधेयक के खिलाफ लगातार आंदोलन जारी रखने का एलान किया है. साथ ही प्रदेश सरकार से विधानसभा में बिल के विरोध में प्रस्ताव लाने की मांग की है.

जयपुर. केंद्र सरकार के किसानों से जुड़े 3 अध्यादेशों को अब कानून की शक्ल दे दी गई है, लेकिन किसान संगठनों की ओर से इसका विरोध जारी है. अब लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी कृषि सुधार के कानून से जुड़े इस विधेयक को पारित कर दिया गया तो भारतीय किसान यूनियन प्रदेश सरकार से विधानसभा में इस विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव रखकर उसे पारित करवाने की मांग की है. वहीं, किसान महापंचायत ने इस विधेयक के खिलाफ लगातार आंदोलन जारी रखने का एलान किया है.

गहलोत सरकार विधेयक के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करेंः सहारण

राष्ट्रीय लोक दल और भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष केके सहारण के अनुसार मौजूदा विधेयक देश और किसानों के लिए काला दिवस के रूप में याद रखा जाएगा. सारण ने बताया कि किसानों के लिए घोर विरोधी है और लोकसभा व राज्यसभा में केंद्र सरकार और उनके समर्थक दलों ने इस विधेयक को पारित करते समय भरपूर समर्थन भी दिया. लेकिन वे भूल गए कि किसान वर्ग और देश की नींव को कमजोर करने वाला विधेयक है.

पढ़ें- MP के उपचुनाव में सिंधिया की काट के तौर पर मैदान में उतर सकते हैं पायलट...

सहारन ने कहा कि अब जरूरी है कि किसान विरोधी इस केंद्र सरकार को उखाड़ फेंका जाए और इसके लिए किसानों को एकजुट होकर केंद्र सरकार के खिलाफ सड़कों पर आना होगा, तभी लोकतंत्र बच पाएगा. सहारन ने प्रदेश की गहलोत सरकार से यह भी मांग की कि वह पंजाब की तर्ज पर राजस्थान में भी विधानसभा में इस विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव पारित करें.

किसान विरोधी विधेयक से पूंजीपतियों को मिलेगा बढ़ावाः रामपाल जाट

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने भी मौजूदा कृषि सुधार कानून को किसान विरोधी बताया. जाट ने कहा कि आज किसानों को उनकी उपज की लागत भी नहीं मिल रही है, जिससे अनेक किसान समय से पहले मौत का आलिंगन कर रहे हैं. रामपाल जाट ने कहा कि पहले ही अध्यादेश का विरोध हो रहा था, लेकिन अब सरकार ने उसे विधायक की शक्ल देख कर कानून बना दिया.

पढ़ें- राज्य सभा से सांसदों के वेतन व भत्ते में कटौती संबंधी विधेयकों को मंजूरी

रामपाल जाट ने कहा कि आज केंद्र सरकार को चाहिए था कि किसानों की उपज समर्थन मूल्य पर खरीद हो उसका गारंटी का कानून बनाएं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि मौजूदा कानून बनाकर किसान और कृषि से जुड़ा सारा व्यापार बड़े पूंजीपतियों के हाथ में चले जाने का रास्ता खोल दिया गया. जिससे इस क्षेत्र में भी उनका एकाधिकार हो जाएगा.

जाट ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने अहंकार के कारण इस प्रकार के बिल लोकसभा और राज्यसभा में पारित कर दिया, लेकिन जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाएगा किसान महापंचायत का आंदोलन जारी रहेगा.

जयपुर. केंद्र सरकार के किसानों से जुड़े 3 अध्यादेशों को अब कानून की शक्ल दे दी गई है, लेकिन किसान संगठनों की ओर से इसका विरोध जारी है. अब लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी कृषि सुधार के कानून से जुड़े इस विधेयक को पारित कर दिया गया तो भारतीय किसान यूनियन प्रदेश सरकार से विधानसभा में इस विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव रखकर उसे पारित करवाने की मांग की है. वहीं, किसान महापंचायत ने इस विधेयक के खिलाफ लगातार आंदोलन जारी रखने का एलान किया है.

गहलोत सरकार विधेयक के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करेंः सहारण

राष्ट्रीय लोक दल और भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष केके सहारण के अनुसार मौजूदा विधेयक देश और किसानों के लिए काला दिवस के रूप में याद रखा जाएगा. सारण ने बताया कि किसानों के लिए घोर विरोधी है और लोकसभा व राज्यसभा में केंद्र सरकार और उनके समर्थक दलों ने इस विधेयक को पारित करते समय भरपूर समर्थन भी दिया. लेकिन वे भूल गए कि किसान वर्ग और देश की नींव को कमजोर करने वाला विधेयक है.

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सहारन ने कहा कि अब जरूरी है कि किसान विरोधी इस केंद्र सरकार को उखाड़ फेंका जाए और इसके लिए किसानों को एकजुट होकर केंद्र सरकार के खिलाफ सड़कों पर आना होगा, तभी लोकतंत्र बच पाएगा. सहारन ने प्रदेश की गहलोत सरकार से यह भी मांग की कि वह पंजाब की तर्ज पर राजस्थान में भी विधानसभा में इस विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव पारित करें.

किसान विरोधी विधेयक से पूंजीपतियों को मिलेगा बढ़ावाः रामपाल जाट

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने भी मौजूदा कृषि सुधार कानून को किसान विरोधी बताया. जाट ने कहा कि आज किसानों को उनकी उपज की लागत भी नहीं मिल रही है, जिससे अनेक किसान समय से पहले मौत का आलिंगन कर रहे हैं. रामपाल जाट ने कहा कि पहले ही अध्यादेश का विरोध हो रहा था, लेकिन अब सरकार ने उसे विधायक की शक्ल देख कर कानून बना दिया.

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रामपाल जाट ने कहा कि आज केंद्र सरकार को चाहिए था कि किसानों की उपज समर्थन मूल्य पर खरीद हो उसका गारंटी का कानून बनाएं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि मौजूदा कानून बनाकर किसान और कृषि से जुड़ा सारा व्यापार बड़े पूंजीपतियों के हाथ में चले जाने का रास्ता खोल दिया गया. जिससे इस क्षेत्र में भी उनका एकाधिकार हो जाएगा.

जाट ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने अहंकार के कारण इस प्रकार के बिल लोकसभा और राज्यसभा में पारित कर दिया, लेकिन जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाएगा किसान महापंचायत का आंदोलन जारी रहेगा.

Last Updated : Sep 18, 2020, 8:57 PM IST
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