जयपुर. प्रदेश में नदियों को जोड़कर पानी लाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है. प्रदेश में नदियों को जोड़ने और ईस्टर्न राजस्थान कैनाल परियोजना (ईआरसीपी) में पूरे जयपुर जिले को शामिल करने की मांग को लेकर शुक्रवार को प्रदेश के किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल (Farmers demonstrated on Jaipur Collectorate ) दिया.
भारतीय किसान संघ के बैनर तले किसानों ने जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है. भारतीय किसान संघ की ओर से जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदेश भर के किसान जमा हुए. किसानों ने नदियों को जोड़ने और ईस्टर्न कैनाल परियोजना में पूरे जयपुर जिले (demanding the inclusion of the Jaipur district in the ERCP) को शामिल करने की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी की. प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आए संघ के पदाधिकारियों ने धरने में मौजूद किसानों को संबोधित किया.
जयपुर प्रांत अध्यक्ष कालूराम बागड़ा ने बताया कि सरकार ने पहले नदियों को जोड़ने की घोषणा की थी. राज्य सरकार ने भी 13 जिलों में पानी पहुंचाने के लिए ईस्टर्न राजस्थान कैनाल परियोजना शुरू की थी. जिसमें जयपुर जिले को शामिल किया था,लेकिन कुछ बांधों को छोड़कर पूरा जिला इससे वंचित था. भारतीय किसान संघ ने मांग की कि ईआरसीपी परियोजना में संपूर्ण जयपुर जिले को शामिल कर उनकी डीपीआर बनाई जाए.
किसानों ने मांग की कि यमुना जल समझौते के तहत राजस्थान को पूरा पानी मिलना चाहिए जो कि अभी तक नहीं मिल पा रहा. उसमें चूरू, झुंझुनू, सीकर और जयपुर जिले को भी शामिल किया जाए. बारहमासी नदी सतलज का पानी यदि जयपुर जिले को मिलने लगे तो जयपुर जिले का उद्धार हो सकता है. जयपुर जिले का भूजल स्तर भी काफी नीचे चला गया है, यहां लोग पीने के पानी के लिए भी परेशान हो रहे हैं. किसानों ने कहा कि किसी भी तरह से जयपुर जिले को पानी मिलना चाहिए और जब तक किसानों की यह मांग पूरी नहीं होती तब तक किसान चैन से बैठने वाले नहीं है. किसानों ने राज्य सरकार की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि ईआरसीपी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलना चाहिए. जरूरत पड़ने पर इस संबंध में केंद्र सरकार से भी बात की जाएगी.
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किसान नाराज, चिलचिलाती धूप में किया प्रदर्शन: प्रशासन की ओर से टैंट लगाने की अनुमति नहीं मिलने से किसान नाराज दिखे. भारतीय किसान संघ की ओर से जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन की अनुमति मांगी गई थी. प्रशासन ने प्रदर्शन की अनुमति तो दे दी, लेकिन टैंट लगाने की अनुमति नहीं दी. जिसके कारण किसानों को चिलचिलाती धूप में ही प्रदर्शन करना पड़ा. किसानों ने कहा कि सरकार को किसानों को कोई चिंता नहीं है यदि किसान मर भी जाए तो सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. प्रांत अध्यक्ष कालूराम बागड़ा ने कहा यदि कि इतनी तेज धूप में किसानों के साथ कोई अनहोनी होती है उसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.