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शांति देवी ने कहा- भारत बंद का के पता...मन्न तो रोटी मिल जावै बस - राजस्थान की ताजा खबरें

वर्षों से छोटी चौपड़ पर मिट्टी से बने सामान को बेच रही शांति देवी की दुकान भारत बंद के दौरान भी सजी रही. 70 वर्ष की बुजुर्ग शांति देवी शायद भारत बंद के आह्वान से वाकिफ नहीं थी.

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छोटी चौपड़ पर बुजुर्ग शांति देवी...
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Published : Dec 8, 2020, 11:06 PM IST

Updated : Dec 9, 2020, 9:20 PM IST

जयपुर. कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर डटे किसान संगठनों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया. जिसमें प्रदेश कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और दूसरे सामाजिक संगठनों ने भी अपनी भूमिका अदा की. कहीं आम आदमी पार्टी फूल देकर व्यापारियों से निवेदन करती नजर आई, तो कहीं कांग्रेस डंडे के जोर पर व्यापारिक प्रतिष्ठानों को जबरन बंद कराने पहुंची. कहीं व्यापारियों ने पीएम मोदी के पक्ष में नारेबाजी करते हुए प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा, तो कहीं व्यापारी पुलिस प्रशासन से सुरक्षा की गुहार के बावजूद असहाय नजर आए. इन सबके बीच छोटी चौपड़ पर बुजुर्ग शांति देवी मिट्टी के बर्तन की दुकान सजाकर ग्राहकों की राह ताकती दिखी.

बुजुर्ग शांति देवी मिट्टी के बर्तन की दुकान सजाकर ग्राहकों की राह ताकती दिखी....

मुझे तो रोटी मिल जाए

सालों से छोटी चौपड़ पर मिट्टी से बने सामान को बेच रही शांति देवी की दुकान भारत बंद के दौरान भी सजी. लेकिन, आज उनके पास ग्राहक नहीं बल्कि दुकान हटाने के लिए प्रदर्शनकारी पहुंचे. 70 वर्ष की बुजुर्ग शांति देवी शायद भारत बंद के आह्वान से वाकिफ नहीं थी. कभी प्रदर्शनकारी तो कभी पुलिस प्रशासन की आवाजाही के कारण डरी सहमी शांति देवी रोटी के निवालों को भी गले से उतार नहीं पा रही थी. डर था कि कहीं उसकी जमा पूंजी से सजी दुकान किसी आक्रोश की भेंट ना चढ़ जाए. उनका कहना था कि मुझे तो रोटी मिल जाए.

यह भी पढ़ें: जयपुर में किसानों के समर्थन में सिख समाज का प्रदर्शन, मुस्लिम समाज भी रहा साथ...

बंद का मिलाजुला असर

शहर का ब्रह्मपुरी बाजार, जयंती बाजार सहित कई बाजार इस भारत बंद से दूर समय पर खुले भी और संचालित भी रहे. कारण साफ था कि इस भारत बंद को व्यापारिक संगठनों का समर्थन नहीं था. यही वजह थी कि 1 दिन पहले ही व्यापारी सुरक्षा की मांग को लेकर एडिशनल कमिश्नर से गुहार लगाने पहुंचे थे. हालांकि, ये गुहार काम नहीं आई और आखिर में उन्हें भी अप्रिय घटना से बचने और एहतियातन अपने प्रतिष्ठानों का शटर डाउन करना पड़ा.

यह भी पढ़ें: नियमों को ताक पर रख भारत बंद कराने निकले मंत्री खाचरियावास ... न कोरोना गाइडलाइन की पालना की, न ट्रैफिक नियमों की

इस बीच प्रदेश कांग्रेस के आह्वान पर कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे. कहीं हाथ जोड़कर निवेदन किया, तो कहीं डंडे के जोर पर प्रतिष्ठानों को बंद कराते दिखे. जिसके चलते कुछ बाजारों में व्यापारियों और प्रदर्शनकारियों के बीच गर्मा गर्मी भी हुई. शहर के दीनानाथ जी के रास्ते में तो पीएम मोदी के समर्थन में नारेबाजी करते हुए व्यापारियों ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को खदेड़ दिया. आम आदमी पार्टी के फूल देकर प्रतिष्ठानों को बंद कराने के आग्रह से व्यापारी गदगद हुए, और दुकानों के शटर भी नीचे किए. बहरहाल, राजधानी में भारत बंद का मिलाजुला असर देखने को मिला.

जयपुर. कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर डटे किसान संगठनों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया. जिसमें प्रदेश कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और दूसरे सामाजिक संगठनों ने भी अपनी भूमिका अदा की. कहीं आम आदमी पार्टी फूल देकर व्यापारियों से निवेदन करती नजर आई, तो कहीं कांग्रेस डंडे के जोर पर व्यापारिक प्रतिष्ठानों को जबरन बंद कराने पहुंची. कहीं व्यापारियों ने पीएम मोदी के पक्ष में नारेबाजी करते हुए प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा, तो कहीं व्यापारी पुलिस प्रशासन से सुरक्षा की गुहार के बावजूद असहाय नजर आए. इन सबके बीच छोटी चौपड़ पर बुजुर्ग शांति देवी मिट्टी के बर्तन की दुकान सजाकर ग्राहकों की राह ताकती दिखी.

बुजुर्ग शांति देवी मिट्टी के बर्तन की दुकान सजाकर ग्राहकों की राह ताकती दिखी....

मुझे तो रोटी मिल जाए

सालों से छोटी चौपड़ पर मिट्टी से बने सामान को बेच रही शांति देवी की दुकान भारत बंद के दौरान भी सजी. लेकिन, आज उनके पास ग्राहक नहीं बल्कि दुकान हटाने के लिए प्रदर्शनकारी पहुंचे. 70 वर्ष की बुजुर्ग शांति देवी शायद भारत बंद के आह्वान से वाकिफ नहीं थी. कभी प्रदर्शनकारी तो कभी पुलिस प्रशासन की आवाजाही के कारण डरी सहमी शांति देवी रोटी के निवालों को भी गले से उतार नहीं पा रही थी. डर था कि कहीं उसकी जमा पूंजी से सजी दुकान किसी आक्रोश की भेंट ना चढ़ जाए. उनका कहना था कि मुझे तो रोटी मिल जाए.

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बंद का मिलाजुला असर

शहर का ब्रह्मपुरी बाजार, जयंती बाजार सहित कई बाजार इस भारत बंद से दूर समय पर खुले भी और संचालित भी रहे. कारण साफ था कि इस भारत बंद को व्यापारिक संगठनों का समर्थन नहीं था. यही वजह थी कि 1 दिन पहले ही व्यापारी सुरक्षा की मांग को लेकर एडिशनल कमिश्नर से गुहार लगाने पहुंचे थे. हालांकि, ये गुहार काम नहीं आई और आखिर में उन्हें भी अप्रिय घटना से बचने और एहतियातन अपने प्रतिष्ठानों का शटर डाउन करना पड़ा.

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इस बीच प्रदेश कांग्रेस के आह्वान पर कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे. कहीं हाथ जोड़कर निवेदन किया, तो कहीं डंडे के जोर पर प्रतिष्ठानों को बंद कराते दिखे. जिसके चलते कुछ बाजारों में व्यापारियों और प्रदर्शनकारियों के बीच गर्मा गर्मी भी हुई. शहर के दीनानाथ जी के रास्ते में तो पीएम मोदी के समर्थन में नारेबाजी करते हुए व्यापारियों ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को खदेड़ दिया. आम आदमी पार्टी के फूल देकर प्रतिष्ठानों को बंद कराने के आग्रह से व्यापारी गदगद हुए, और दुकानों के शटर भी नीचे किए. बहरहाल, राजधानी में भारत बंद का मिलाजुला असर देखने को मिला.

Last Updated : Dec 9, 2020, 9:20 PM IST
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