जयपुर. सरकार के 2022-23 बजट की तैयारियों (Gehlot government budget 2022-23) को लेकर बैठकों का दौर लगातार चल रहा है. कोरोना काल मे यह दूसरा बजट पेश होगा. 2021-22 का बजट भी कोरोना काल मे पेश हुए था. पिछले दो साल से कोरोना की मार झेल रहे हर वर्ग को इस बजट से खासी उम्मीदें हैं.
बजट विशेषज्ञों की मानें (Expert Opinion on budget 2022-23) तो सरकार के सामने कोरोना काल में आर्थिक स्थिति सुधारने और आम जनता को आर्थिक राहत देने पर यह बजट फोकस होना चाहिए. खासकर कोरोना काल की वजह से उद्योग जगत पर जो असर पड़ा है उसे सुधारने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ease of doing business) को ध्यान में रखते हुए घोषणा करने की जरूरत है.
बजट एक्सपर्ट अभिषेक शर्मा बताते हैं कि कोरोना काल के इस दौर में सरकार को स्टेट का बजट पेश करते वक्त न केवल प्रदेश के आर्थिक हालातों को ध्यान में रखना होगा, बल्कि सभी वर्ग का भी विशेष ध्यान रखना होगा. खास तौर पर उन छोटे व्यापारियों पर सरकार को विशेष फोकस होना चाहिए जिनका कोरोना काल में व्यापार ठप हो गया. उन्हीं को ध्यान में रखते हुए बजट घोषणा होनी चाहिए.
शर्मा ने कहा कि इन एक दो साल में सरकार ने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी मजबूत कर लिया है. अब उद्योग और व्यापार पर काम करने की जरूरत है. सरकार हाल ही में जो स्कीम लेकर आई उसके तहत व्यापारियों को कई छूट दी गई, लेकिन कुछ कम्युनिकेशन गैप की वजह से व्यापारियों के खाते सीज हो रहे हैं. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि बजट में कुछ ऐसी स्कीम लाई जाएगी जिससे व्यापारियों को राहत देगी.
लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना 100 करोड़ हो
अभिषेक कहते हैं कि सरकार की तरह की फ्लैगशिप योजनाएं चल रही हैं. इसमें खास कर लघु उद्योग योजना या राजस्थान इन्वेस्टमेंट प्रमोशन योजना इनमें सरकार को परिवर्तन करने की जरूरत है. जिस तरह से सरकार भारी इन्वेस्टमेंट लेकर आर ही है. उसमें जरूरत है कि लघु यद्योग योजना में जो 10 करोड़ की लिमिट है उसे बढ़ा कर 100 करोड़ किया जाए ताकि व्यापारियों को ब्याज में लाभ मिल सके.
पेट्रोल-डीजल पर वैट कम हो
पिछली बार सरकार ने पेट्रोल-डीजल में राहत दी थी, लेकिन अभी इसमें और गुंजाइश है. उम्मीद है कि इस बजट में सरकार और कमी करेगी क्योंकि पेट्रोल-डीजल की दर में कमी होने के बाद उसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है. मूलभूत आवश्यकताओं में सबसे ज्यादा जरूरी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ease of doing business) की है.
सरकार बहुत अच्छी स्कीम लेकर आई है, लेकिन इसका जब तक सरलीकरण नहीं किया जाएगा तब तक इन्वेस्टमेंट नहीं बढेगा. सरकार ने भले ही एकल विंडो सिस्टम शुरू कर दिया हो, लेकिन वह प्रैक्टिकली अभी भी उस तरह से लोगों को राहत नहीं दे पा रहा है. इसलिए जरूरी है कि इज ऑफ डूइंग बिजनेस की पॉलिसी पर सरकार काम करें. इसके अलावा होटल इंडस्ट्री पर भी फोकस करना होगा.
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कोरोना काल मे सबसे ज्यादा असर होटल और टूरिज्म सेक्टर पर पड़ा है. इसलिए सरकार को कुछ स्कीम ऐसी लागू करने थी जिसमें होटल इंडस्ट्री जिंदा रहने के साथ आगे बढ़ सके. इसके अलावा सोलर एनर्जी को लेकर भी सरकार को ठोस नीति बनानी होगी . हम सोलर एनर्जी में काफी आगे हैं और और आगे बढ़ सकते अगर सरकार इस पर अच्छी और सार्थक काम करती है तो. इसके लिए सरकार को चाहिए कि इन्वेस्टमेंट में छूट दे.
लग्जरी सर्विसेज पर टैक्स बढ़ा कर आर्थिक व्यवस्था मजबूत कर सकते हैं
अभिषेक कहते हैं कि कोरोना की वजह से एक बहुत बड़ा बजट हेल्थ पर खर्च हुआ है, लेकिन सरकार चाहे तो कई लग्जरी सर्विसेज पर टैक्स बढ़ा सकती है और उससे अपना रेवेन्यू जनरेट कर सकती है. शराब की दरों में वृद्धि की जा सकती है. माइनिंग लीज दरों में वृद्धि की जा सकती. सरकार को एकमुश्त जीएसटी जमा कराने वाले व्यापारियों के लिए प्रोत्साहन राशि स्कीम लानी चाहिए जिससे स्टेट का रेवन्यू बढ़े.
स्टार्टअप पर फोकस
स्टार्टअप को सरकार ने शुरुआती सपोर्ट देना शुरू किया है. यह अच्छी बात है कि लोग सरकारी नौकरी से ज्यादा अब रोजगार और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं. सरकार को चाहिए कि इसे और ज्यादा मजबूत किया जाए. सरकार को अपनी योजनाओं में और सरलीकरण करना चाहिए. सब्सिडी को बढ़ाना चाहिए ताकि लोग अपना स्टार्टअप शुरू कर सके.