जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट से पूर्व संवाद कार्यक्रम के तहत महिलाओं से राय ली और जाना कि आने बजट से वे किस प्रकार की उम्मीद रखती हैं. इस पर महिलाओं ने बेबाकी से अपनी राय रखी. महिला संगठनों ने कहा कि आधी आबादी को सरकार के इस बजट खास उम्मीद है. संवाद कार्यक्रम के बाद कुछ महिलाओं ने ईटीवी भारत से खास बातचीत कर विचार साझा किए.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को ब्रांड एम्बेसेडर और महिला प्रोफेशनल डॉ. अनुपमा सोनी ने कहा कि निर्भया फंड हर वर्ष 11 हजार करोड़ का आता है. अक्सर देखा जाता है कि कई राज्यों में फंड खर्च नहीं होता और वह लैप्स हो जाता है लेकिन राजस्थान में अच्छी बात यह है कि इस बार उस बजट का पूरा प्रयोग हुआ है. लेकिन प्रदेश की महिलाओं, बच्चियों को सुरक्षित कैसे रखा जाए इन पर ज्यादा काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आज के संवाद में उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चियों, महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सीखने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए आत्म रक्षा केंद्र बनाने की जरूरत है.
निशुल्क आत्मरक्षा प्रशिक्षण दें
जिले व तहसील स्तर पर जब इस तरह के केंद्र स्थापित हो जाएंगे तो महिलाओं और बच्चियों का प्रशिक्षण के बाद मनोबल बढ़ेगा और वो मजबूत होंगी. हर बुरी स्थिति का मजबूती से सामना कर सकेंगी. उन्हें निःशुक्ल आत्म रक्षा प्रशिक्षण सिखाने की ज्यादा जरूरत है. इसके साथ ही महिलाओं के लिए सरकार और सार्वजनिक स्थानों पर शौचालय की सुविधाओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने मुख्यमंत्री मंत्री से मांग की है कि पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन में भी महिलाओं की सुरक्षा के इंतजाम पर जोर देने की जरूरत है.
पढ़ें: Exclusive: कृषि कानूनों पर बोले खाचरियावास- जब हिसाब बराबर होगा, धरती फट जाएगी, बीजेपी डूब जाएगी
वहीं फोर्टी विमन्स विंग की अध्यक्ष नेहा गुप्ता ने महिलाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा रोजगार के संसाधन सृजित करने और नियमों के सरलीकरण की मांग रखी. नेहा गुप्ता ने कहा कि विमन्स का जीटीपी में कॉन्ट्रीब्यूशन बहुत कम है, जबकि हम मेंस के बराबर है. आई नारी योजना के तहत भी लास्ट इयर बहुत सारा फंड दिया गया था, लेकिन कई साइक्लोजिकल बैरियर भी हैं जो महिलाओं को आगे आने से रोकते हैं, जैसे वर्क प्लेस पर काम करने वाली महिलाओं को बच्चों को लेकर बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
दफ्तरों में क्रेच की व्यवस्था हो
ऐसे में जरूरत है कि सरकारी और गैर सरकारी वर्क प्लेस पर जहां पर महिलाओं की संख्या ज्यादा है वहां पर क्रेच की व्यवस्था हो. सरकारी वर्क प्लेस पर सरकार यह सुविधा निशुल्क कराए, जबकि प्राइवेट वर्क प्लेस पर कंपनियों को निर्देशित किया जाए, या फिर सरकार की ओर से सीएसआर या इनकम टैक्स किसी भी माध्यम से इसके लिए आर्थिक व्यवस्था करे. नेहा ने कहा कि हमारे राज्य में कलाकारों की कमी नही है. महिलाएं गांवों में प्रशिक्षण ले कर कई कार्य कर रही हैं लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत है. उनके बनाए हुए सामान के लिए कोई बाजार नहीं है जहां ओर वह उसकी बिक्री कर सके इस लाइट सरकार को छोटे छोटे कियोस्क बना कर उन्हें संबल देना चाहिए. इसके अलावा महिलाओं के जॉब्स को लेकर भी एक महिला पोर्टल डेवलप करने का सुझाव दिया गया है ताकि उसके जरिए वो रोजगार को तलाश सके.
पढ़ें: 73वां दिन : सड़क पर किसान, प्रियंका गांधी बोलीं- क्यों डराते हो डर की दीवार से
सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू ने कहा कि आज देश में किसानों के अधिकारों की बात हो रही है तो हमने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बजट के संबंध में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर कुछ सुझाव दिए जिसमें खेतिहार महिलाओं को लेकर सरकार को विशेष ध्यान दिए जाने की बात कही है. वर्तमान में आवारा पशुओं की समस्या सब के सामने है, जबकि सरकार गोशाला के लिए अनुदान देती हैं. सरकार को चाहिए कि वह गांव ढाणी में रहने वाली महिला को, जो फार्मर विडो हैं, खेतिहार महिलाएं है, उन्हें अगर आवारा पशुओं की देखभाल की जिम्मेदारी दें और उसके लिए कुछ अनुदान दे यह समस्या भी खत्म होगी और उन्हें आर्थिक मदद भी मिलेगी.
निशा सिद्धू ने कोरोना काल मे राजस्थान के आर्टिस्टों को आ रही समस्याओं को सुलझाने की भी मांग की. इसके साथ ही निशा सिद्धू ने प्रदेश की महान महिलाओं जो आज की युवा पीढ़ी के लिए आइकॉन हैं जैसे लक्ष्मीकुमारी चूडावत, काली बाई, प्रदेश की पहली महिला सरपंच हैं, जिन्होंने समाज में महिलाओं के लिए बहुत काम किया है. ऐसे में युवा पीढ़ी को इन महिलाओं से प्रेणा मिले इसके लिए इन महिलाओं के नाम से चौराहे, स्मारक, मार्ग का नाम, स्कूल का नाम उनके नाम से रखा जाए, नगर, हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी का नाम उनके नाम से रखा जाए ताकि आने वाली पीढ़ी को उनके बारे में जानकारी मिल सके और वे उनसे प्रेरणा ले सकें.