जयपुर. पूरा विश्व इस समय कोरोना वायरस के संक्रमण काल से गुजर रहा है. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने इसे महामारी भी घोषित कर दिया है. इसके चलते संकट की ये घड़ी कब तक जारी रहेगी और पुराने अनुभव के आधार पर इसका क्या समाधान हो सकता है, सब इसी खोज में जुटे हैं. इसके लिए डब्ल्यूएचओ में करीब 12 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले जयपुर निवासी स्वास्थ्य और तकनीकी विशेषज्ञ अटल खंडेलवाल से इस महामारी को लेकर ETV BHARAT ने खास बातचीत की.
इस दौरान अटल खंडेलवाल ने कहा कि कोरोना वायरस की सबसे बड़ी शक्ति लंबे समय तक विभिन्न परिस्थितियों में उस वायरस का एक्टिव रहना है और यही लंबी अवधि आम जनजीवन पर भारी पड़ रही है. इस प्रकार की महामारी हर 100 साल में एक बार जरूर आती है. बस उसके प्रकार और असर अलग-अलग होता है. इस दौरान खंडेलवाल ने पूर्व में यूरोप में आई ब्लैक डेथ (प्लेग) नामक महामारी संक्रमण का भी उदाहरण देते हुए कहा था कि इसके चलते एक तिहाई आबादी खत्म हो गई थी. अटल के अनुसार तब भी करीब 3 साल तक यूरोप के लोगों को इस महामारी से जूझना पड़ा था. खंडेलवाल के अनुसार बीते 300 सालों में विश्व में तीन बड़ी महामारी आई है, इससे विश्व के अलग-अलग देशों को जूझना पड़ा है.
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भारत में इस महामारी का अन्य देशों की तुलना में ज्यादा घातक असर नहीं होगा- खंडेलवाल
खंडेलवाल का कहना है कि अन्य देशों की तुलना में भारत में कोरोना वायरस का ज्यादा घातक असर होने की संभावना कम ही है. उसके पीछे खंडेलवाल ने दो प्रमुख कारण बताएं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कारण भारत में लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होना बताया है. खंडेलवाल के अनुसार भारत में अब तक इस महामारी क्षेत्र से लोगों की मौत से आंकड़ों को देखा जाए तो वह विश्व के अन्य देशों की तुलना में महज दो से ढाई प्रतिशत है, जो कि बेहद कम है. ऐसी स्थिति में उन्होंने अपने अनुभव से कहा कि भारत में यह महामारी अन्य देशों की तुलना में ज्यादा असर नहीं डालेगी.
कोरोना का इन 3 स्थितियों में हो सकता समाधान
डब्ल्यूएचओ में डाटा एनालिसिस और आईटी विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके अटल खंडेलवाल का मानना है कि मौजूदा कोरोना वायरस के संकट का समाधान 3 बातों पर निर्भर करता है, जिसमें सबसे प्रमुख 'सोशल डिस्टेंसिंग' है. अटल के अनुसार या तो इस वायरस का वैक्सीनेशन आए, ताकि उसके जरिए इससे आमजन का बचाव हो सके. दूसरी स्थिति में जब तक वायरस नहीं बनता तब तक सब सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए खुद को सुरक्षित रखें और जब वैक्सीनेशन बन जाए, तब एक नॉर्मल जीवन शुरू हो पाए. अटल खंडेलवाल के अनुसार तीसरे स्थिति वो है जब इस महामारी के संक्रमण 60 से 70 फीसदी आबादी वापस अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता के जरिए रिकवर हो जाए. तब मौजूदा हालातों में स्वत: ही यह महामारी पूरी तरह से समाप्त होने की स्थिति में पहुंच जाएगी.