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स्वतंत्रता दिवस स्पेशल: गुलामी की बेड़ियां तोड़ आजाद हुआ भारत...प्रगति के पथ पर यूं बढ़ता रहा आगे - भारतीय स्वतंत्रता दिवस

आजाद भारत वह सपना था. जिसे पूरा करने के लिए लाखों लोग ने खुशी खुशी और गर्व के साथ अपने प्राणों की आहुति दी. ताकि उनकी आने वाली पीढ़ी देश में अपने सपनों की उड़ान भर सकें. 200 वर्षों से अधिक अंग्रेजों की गुलामी सहने के बाद देश को नए पंख 15 अगस्त 1947 को लगे और भारत अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ.

etv bharat special report, ईटीवी भारत स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Aug 13, 2019, 11:35 PM IST

जयपुर. अंग्रेजों की दास्ता झेल रहे हिंदुस्तानियों के लिए 15 अगस्त सबसे बड़ा राष्ट्रिय पर्व है. ब्रिटिश शासन की जहां भी जाता, वहां अपने कानून थोप देता. जिससे देशों को बहुत क्षति होती थी. इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत है. आजादी के बाद देश के हालात जस के तस हैं. क्योंकि आजादी तो मिली लेकिन अंग्रेजों के कानून और योजनाएं देश का बेड़ा गर्क कर चुकी थी. देश को उड़ना था, लेकिन उसे नए परवाज की जरूरत थी. क्योंकि सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश को अंग्रेजों ने अपने फायदे के लिए खूब लूटा और उजाड़ा.

आजादी पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

पढ़ें- रियलिटी चेक: अलर्ट के बाद कितनी मुस्तैद जयपुर पुलिस...?

जाते-जाते अंग्रेजों ने बो दिया नफरत का बीज
यही नहीं जाते जाते भी वो भारत के टुकड़े करने की नीति में कामयाब हुए. इसी का परिणाम था कि 15 अगस्त 1947 से एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को भारत से अलग कर पाकिस्तान देश बनाया दिया गया. अंग्रेजों ने दो ऐसे समुदायों के बीच नफरत के बीज बो दिए थे, जो आजादी से पहले एक थाली में खाना खाते थे और मिलजुलकर रहते थे. अंग्रेजों ने दोनों देशों के बीच नफरत की इतनी बड़ी दीवार खड़ी कर दी. जिसे आज भी दोनों देशों पार नहीं पा रहे हैं.

उस वक्त भुखमरी, गरीबी और बेरोजगारी से जूझना पड़ रहा था
आजादी के बाद देश के हालात इतने बदतर हो चुके थे कि देश में भुखमरी, गरीबी और बेरोजगारी से जूझना और भेदभाव का आलम चारों ओर था. देश के सामने सबसे बड़ी समस्या शिक्षा की थी, जो देश को स्थिर रखे हुए थी और आगे बढ़ने में दिक्कत पैदा कर रही थी. इन्हीं मुश्किलों के बीच रेंगता हुआ देश आगे बढ़ रहा था. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा भीमराव अंबेडकर और इंदिरा गांधी जैसी शख्सियत देश को नई दिशा देने लगी. 23 नवंबर 1949 से हमारा संविधान बनना शुरू हुआ और 26 जनवरी 1950 में लागू हुआ. जिसकी रचना डॉ. भीमराव अंबेडकर ने की थी. देश को एक संविधान मिला. जिसके तहत नागरिकों को अपने मौलिक अधिकार और कर्तव्य मिले. उसी समय से 26 जनवरी 1950 से देश गणतंत्र दिवस मना रहा है और दुनिया का सबसे बड़ा संविधान भारत का ही है.

आजादी पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

धीरे-धीरे नई योजनाओं से आगे बढ़ाने लगे नया भारत
5 मार्च 1950 को पंचवर्षीय योजना आयोग का गठन हुआ. यह आयोग जरूरतों और प्राथमिकताओं के आधार पर अलग-अलग योजनाएं बनाता था. जिसका भारत के विकास में एक बहुत बड़ा योगदान है. योजना आयोग के तहत पंचवर्षीय योजनाओं को लागू करने के लिए एक समिति बनाई गई. जिसने हर राज्य के वित्तीय और अधिक विकास करने की नींव रखी. इसी दौरान देश को अपना पहला राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के रूप में मिला और देश को अपना पहला प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के रूप में मिला. जो कि देश को नई योजनाओं से आगे बढ़ाने लगे और देश का नए सिरे से विकास करने लगे.

हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की देश में चली लहर
इसके बाद देश में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की लहर चली. जिससे देश के कृषि और उत्पादों में देश को फिर से सोने की चिड़िया बनाने में अपने कदम बढ़ाए. लोग कम पढ़े लिखे होने के कारण उनकी मेहनत का पैसा ठेकेदारों और मुंशी खा लिया करते थे. इस समस्या का निवारण करने के लिए सन 1964 में 14 बैकों का राशि करण किया गया. जिससे लोगों को आर्थिक आजादी मिली और इसके साथ ही अपना कारोबार करने के लिए लोगों को बैंकों से लोन मिलने की भी शुरुआत हो गई.

समय दर समय देश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनवाया अपना लोहा
राजीव गांधी ने देश के तकनीकी और आधुनिकरण का तोहफा दिया. इसी के बाद भारत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. ऐसे तमाम प्रयास चलते भारत में हर दिशा में अपना परचम लहराया और समय दर समय देश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना लोहा मनवाया.

पढ़ें- आजादी 'काले पानी' से: दूषित पानी ने तैयार किया पानी उद्योग

शिक्षा, रोजगार और इन्फ्रास्ट्रक्चर में देश कर रहा तेजी से तरक्की
समय के साथ-साथ देश अब एक नए शिखर पर पहुंचता जा रहा है और पूरे विश्व के लोग अब भारत को एक नए नजरिए से देखते हैं. चाहे वह लोकतंत्र हो या राजनीति तकनीकी हो या शिक्षा, रोजगार और इन्फ्रास्ट्रक्चर सभी क्षेत्रों में देश तेजी से तरक्की कर रहा है और चंद्रयान जैसे बड़े काम करके चांद तक अपना झंडा लहरा रहा है. देश आजादी की 73 वी वर्षगांठ मनाने जा रहा है. आजादी के इसी उत्सव को हम स्पेशल सीरीज के जरिए सेलिब्रेट कर रहे हैं.

जयपुर. अंग्रेजों की दास्ता झेल रहे हिंदुस्तानियों के लिए 15 अगस्त सबसे बड़ा राष्ट्रिय पर्व है. ब्रिटिश शासन की जहां भी जाता, वहां अपने कानून थोप देता. जिससे देशों को बहुत क्षति होती थी. इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत है. आजादी के बाद देश के हालात जस के तस हैं. क्योंकि आजादी तो मिली लेकिन अंग्रेजों के कानून और योजनाएं देश का बेड़ा गर्क कर चुकी थी. देश को उड़ना था, लेकिन उसे नए परवाज की जरूरत थी. क्योंकि सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश को अंग्रेजों ने अपने फायदे के लिए खूब लूटा और उजाड़ा.

आजादी पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

पढ़ें- रियलिटी चेक: अलर्ट के बाद कितनी मुस्तैद जयपुर पुलिस...?

जाते-जाते अंग्रेजों ने बो दिया नफरत का बीज
यही नहीं जाते जाते भी वो भारत के टुकड़े करने की नीति में कामयाब हुए. इसी का परिणाम था कि 15 अगस्त 1947 से एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को भारत से अलग कर पाकिस्तान देश बनाया दिया गया. अंग्रेजों ने दो ऐसे समुदायों के बीच नफरत के बीज बो दिए थे, जो आजादी से पहले एक थाली में खाना खाते थे और मिलजुलकर रहते थे. अंग्रेजों ने दोनों देशों के बीच नफरत की इतनी बड़ी दीवार खड़ी कर दी. जिसे आज भी दोनों देशों पार नहीं पा रहे हैं.

उस वक्त भुखमरी, गरीबी और बेरोजगारी से जूझना पड़ रहा था
आजादी के बाद देश के हालात इतने बदतर हो चुके थे कि देश में भुखमरी, गरीबी और बेरोजगारी से जूझना और भेदभाव का आलम चारों ओर था. देश के सामने सबसे बड़ी समस्या शिक्षा की थी, जो देश को स्थिर रखे हुए थी और आगे बढ़ने में दिक्कत पैदा कर रही थी. इन्हीं मुश्किलों के बीच रेंगता हुआ देश आगे बढ़ रहा था. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा भीमराव अंबेडकर और इंदिरा गांधी जैसी शख्सियत देश को नई दिशा देने लगी. 23 नवंबर 1949 से हमारा संविधान बनना शुरू हुआ और 26 जनवरी 1950 में लागू हुआ. जिसकी रचना डॉ. भीमराव अंबेडकर ने की थी. देश को एक संविधान मिला. जिसके तहत नागरिकों को अपने मौलिक अधिकार और कर्तव्य मिले. उसी समय से 26 जनवरी 1950 से देश गणतंत्र दिवस मना रहा है और दुनिया का सबसे बड़ा संविधान भारत का ही है.

आजादी पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

धीरे-धीरे नई योजनाओं से आगे बढ़ाने लगे नया भारत
5 मार्च 1950 को पंचवर्षीय योजना आयोग का गठन हुआ. यह आयोग जरूरतों और प्राथमिकताओं के आधार पर अलग-अलग योजनाएं बनाता था. जिसका भारत के विकास में एक बहुत बड़ा योगदान है. योजना आयोग के तहत पंचवर्षीय योजनाओं को लागू करने के लिए एक समिति बनाई गई. जिसने हर राज्य के वित्तीय और अधिक विकास करने की नींव रखी. इसी दौरान देश को अपना पहला राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के रूप में मिला और देश को अपना पहला प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के रूप में मिला. जो कि देश को नई योजनाओं से आगे बढ़ाने लगे और देश का नए सिरे से विकास करने लगे.

हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की देश में चली लहर
इसके बाद देश में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की लहर चली. जिससे देश के कृषि और उत्पादों में देश को फिर से सोने की चिड़िया बनाने में अपने कदम बढ़ाए. लोग कम पढ़े लिखे होने के कारण उनकी मेहनत का पैसा ठेकेदारों और मुंशी खा लिया करते थे. इस समस्या का निवारण करने के लिए सन 1964 में 14 बैकों का राशि करण किया गया. जिससे लोगों को आर्थिक आजादी मिली और इसके साथ ही अपना कारोबार करने के लिए लोगों को बैंकों से लोन मिलने की भी शुरुआत हो गई.

समय दर समय देश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनवाया अपना लोहा
राजीव गांधी ने देश के तकनीकी और आधुनिकरण का तोहफा दिया. इसी के बाद भारत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. ऐसे तमाम प्रयास चलते भारत में हर दिशा में अपना परचम लहराया और समय दर समय देश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना लोहा मनवाया.

पढ़ें- आजादी 'काले पानी' से: दूषित पानी ने तैयार किया पानी उद्योग

शिक्षा, रोजगार और इन्फ्रास्ट्रक्चर में देश कर रहा तेजी से तरक्की
समय के साथ-साथ देश अब एक नए शिखर पर पहुंचता जा रहा है और पूरे विश्व के लोग अब भारत को एक नए नजरिए से देखते हैं. चाहे वह लोकतंत्र हो या राजनीति तकनीकी हो या शिक्षा, रोजगार और इन्फ्रास्ट्रक्चर सभी क्षेत्रों में देश तेजी से तरक्की कर रहा है और चंद्रयान जैसे बड़े काम करके चांद तक अपना झंडा लहरा रहा है. देश आजादी की 73 वी वर्षगांठ मनाने जा रहा है. आजादी के इसी उत्सव को हम स्पेशल सीरीज के जरिए सेलिब्रेट कर रहे हैं.

Intro:जयपुर- आजाद भारत वह सपना था जिसे पूरा करने के लिए लाखों लोग ने खुशी खुशी और गर्व के साथ अपने प्राणों की आहुति दी ताकि उनकी आने वाली पीढ़ी देश में अपने सपनों की उड़ान भर सकें। 200 वर्षों से अधिक अंग्रेजों की गुलामी सहने के बाद देश को नए पंख 15 अगस्त 1947 को लगे और भारत अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ।


Body:ब्रिटिशर की एक खास बात यह थी कि वो आज भी जाते, वहां अपने कानून थोप देते जिससे देश देशों को बहुत क्षति होती थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत है आजादी के बाद देश के हालात जस के तस हैं क्योंकि आजादी तो मिली लेकिन अंग्रेजों के कानून और योजनाएं देश का बेड़ा गर्क कर चुकी थी। देश को उड़ना था, लेकिन उसे नए परवाज की जरूरत थी, क्योंकि सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश को अंग्रेजों ने अपने फायदे के लिए खूब लूटा और उजाडा। यही नहीं जाते जाते भी वो भारत के टुकड़े करने की नीति मैं कामयाब हुए। इसी का परिणाम था कि 15 अगस्त 1947 से एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को भारत से अलग कर पाकिस्तान देश बनाया दिया गया। अंग्रेजों ने दो ऐसे समुदायों के बीच नफरत के बीज बो दिए थे, जो आजादी से पहले एक थाली में खाना खाते थे और मिलजुलकर रहते थे।

अंग्रेजों ने दोनों देशों के बीच नफरत की इतनी बड़ी दीवार खड़ी कर दी जिसे आज भी दोनों देशों पाट नहीं पा रहे हैं। आजादी के बाद देश के हालात इतने बदतर हो चुके थे कि देश में भुखमरी, गरीबी और बेरोजगारी से झूझ और और भेदभाव का आलम चारों और था। देश के सामने सबसे बड़ी समस्या शिक्षा की थी, जो देश को स्थिर रखे हुए थी और आगे बढ़ने में दिक्कत पैदा कर रही थी। इन्हीं मुश्किलों के बीच रेंगता हुआ देश आगे बढ़ रहा था। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा भीमराव अंबेडकर और इंदिरा गांधी जैसी शख्सियत देश को नई दिशा देने लगी। 23 नवंबर 1949 से हमारा संविधान बनना शुरू हुआ और 26 जनवरी 1950 में लागू हुआ, जिसकी रचना डॉ भीमराव अंबेडकर ने की थी। देश को एक संविधान मिला जिसके तहत नागरिकों को अपने मौलिक अधिकार और कर्तव्य मिले। उसी समय से 26 जनवरी 1950 से देश गणतंत्र दिवस मना रहा है। और दुनिया का सबसे बड़ा संविधान भारत का ही है।

5 मार्च 1950 को पंचवर्षीय योजना आयोग का गठन हुआ। यह आयोग जरूरतों और प्राथमिकताओं के आधार पर अलग-अलग योजनाएं बनाता था जिसका भारत के विकास में एक बहुत बड़ा योगदान है। योजना आयोग के तहत पंचवर्षीय योजनाओं को लागू करने के लिए एक समिति बनाई गई जिसने हर राज्य के वित्तीय और अधिक विकास करने की नींव रखी। इसी दौरान देश को अपना पहला राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के रूप में मिला और देश को अपना पहला प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के रूप में मिला जो कि देश को नई योजनाओं से आगे बढ़ाने लगे और देश का नए सिरे से विकास करने लगे।

इसके बाद देश में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की लहर चली जिससे देश के कृषि और डीडी के उत्पादों में देश को फिर से सोने की चिड़िया बनाने में अपने कदम बढ़ाए।

लोग कम पढ़े लिखे होने के कारण उनकी मेहनत का पैसा ठेकेदारों और मुंशी खा लिया करते थे। इस समस्या का निवारण करने के लिए सन 1964 में 14 बैकों का राशि करण किया गया जिससे लोगों को आर्थिक आजादी मिली और इसके साथ ही अपना कारोबार करने के लिए लोगों को बैंकों से लोन मिलने की भी शुरुआत हो गई राजीव गांधी ने देश के तकनीकी और आधुनिकरण का तोहफा दिया इसी के बाद भारत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा ऐसे तमाम प्रयास चलते भारत में हर दिशा में अपना परचम लहराया और समय दर समय देश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना लोहा मनवाया।

देश की आजादी के बाद कि वह शख्सियत जिनकी वजह से आज भारत को सब सम्मान देते है
1. महात्मा गांधी
2. पंडित जवाहर लाल नेहरू
3. डॉ भीम राव अमेडकर
4. सरदार वल्लभ भाई पटेल
5. इंदिरा गांधी
6. पी वी नरसिम्हा राव
7. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
8. सरोजनी नायडू
9. भारत रत्न अटल विहारी वाजपेयी
10. पंडित लाल बहादुर शास्त्री
11. भारत रत्न राजीव गांधी
12. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आजाद
13. डॉ मनमोहन सिंह
14. राम मनोहर लोहिया
15. नरेंद्र दामोदर दास मोदी

कुछ उपलब्धियों जिससे देश का झंडा पूरे विश्व मे लहराया जा रहा है
1. देश मे महिला की बढ़ती शक्ति
2. आजादी के बाद बढ़ती अर्थव्यवस्था
3. मतदान का अधिकार
4. अंतरिक्ष की ऊंची उड़ान
5. विविधता में भड़ती हुई एकता
6. तकनीकी में नित नई उपलब्धियां
7. दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क
8. विश्व की तीसरे नंबर की सेना
9. देश मे बढ़ता हुआ इंफ्रास्ट्रक्चर
10. साक्षरता दर 12 प्रतिशत से 74.04 प्रतिशत तक पहुँची
11. राजीव गांधी का डिजिटल भारत का सपना
12. ओलंपिक्स से क्रिकेट तक विश्वस्तरीय पहचान


Conclusion:समय के साथ-साथ देश अब एक नए शिखर पर पहुंचता जा रहा है और पूरे विश्व के लोग अब भारत को एक नए नजरिए से देखते हैं। चाहे वह लोकतंत्र हो या राजनीति तकनीकी हो या शिक्षा रोजगार और इन्फ्रास्ट्रक्चर सभी क्षेत्रों में देश तेजी से तरक्की कर रहा है और चंद्रयान जैसे बड़े काम करके चांद तक अपना झंडा लहरा रहा है। देश आजादी की 73 वी वर्षगांठ मनाने जा रहा है। आजादी के इसी उत्सव को हम विशेष सीरीज के तहत सेलिब्रेट कर रहे हैं। अगली किस्तों में हम आपको शिक्षा, महिला, रोजगार, पत्रकारिता जैसे तमाम विषयों पर खास प्रस्तुति देंगे। देखते रहिए ईटीवी भारत।

बाईट- मांचन्द खंडेला, राजनीति विशेषज्ञ
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