जयपुर. अंग्रेजों की दास्ता झेल रहे हिंदुस्तानियों के लिए 15 अगस्त सबसे बड़ा राष्ट्रिय पर्व है. ब्रिटिश शासन की जहां भी जाता, वहां अपने कानून थोप देता. जिससे देशों को बहुत क्षति होती थी. इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत है. आजादी के बाद देश के हालात जस के तस हैं. क्योंकि आजादी तो मिली लेकिन अंग्रेजों के कानून और योजनाएं देश का बेड़ा गर्क कर चुकी थी. देश को उड़ना था, लेकिन उसे नए परवाज की जरूरत थी. क्योंकि सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश को अंग्रेजों ने अपने फायदे के लिए खूब लूटा और उजाड़ा.
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जाते-जाते अंग्रेजों ने बो दिया नफरत का बीज
यही नहीं जाते जाते भी वो भारत के टुकड़े करने की नीति में कामयाब हुए. इसी का परिणाम था कि 15 अगस्त 1947 से एक दिन पहले 14 अगस्त 1947 को भारत से अलग कर पाकिस्तान देश बनाया दिया गया. अंग्रेजों ने दो ऐसे समुदायों के बीच नफरत के बीज बो दिए थे, जो आजादी से पहले एक थाली में खाना खाते थे और मिलजुलकर रहते थे. अंग्रेजों ने दोनों देशों के बीच नफरत की इतनी बड़ी दीवार खड़ी कर दी. जिसे आज भी दोनों देशों पार नहीं पा रहे हैं.
उस वक्त भुखमरी, गरीबी और बेरोजगारी से जूझना पड़ रहा था
आजादी के बाद देश के हालात इतने बदतर हो चुके थे कि देश में भुखमरी, गरीबी और बेरोजगारी से जूझना और भेदभाव का आलम चारों ओर था. देश के सामने सबसे बड़ी समस्या शिक्षा की थी, जो देश को स्थिर रखे हुए थी और आगे बढ़ने में दिक्कत पैदा कर रही थी. इन्हीं मुश्किलों के बीच रेंगता हुआ देश आगे बढ़ रहा था. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा भीमराव अंबेडकर और इंदिरा गांधी जैसी शख्सियत देश को नई दिशा देने लगी. 23 नवंबर 1949 से हमारा संविधान बनना शुरू हुआ और 26 जनवरी 1950 में लागू हुआ. जिसकी रचना डॉ. भीमराव अंबेडकर ने की थी. देश को एक संविधान मिला. जिसके तहत नागरिकों को अपने मौलिक अधिकार और कर्तव्य मिले. उसी समय से 26 जनवरी 1950 से देश गणतंत्र दिवस मना रहा है और दुनिया का सबसे बड़ा संविधान भारत का ही है.
धीरे-धीरे नई योजनाओं से आगे बढ़ाने लगे नया भारत
5 मार्च 1950 को पंचवर्षीय योजना आयोग का गठन हुआ. यह आयोग जरूरतों और प्राथमिकताओं के आधार पर अलग-अलग योजनाएं बनाता था. जिसका भारत के विकास में एक बहुत बड़ा योगदान है. योजना आयोग के तहत पंचवर्षीय योजनाओं को लागू करने के लिए एक समिति बनाई गई. जिसने हर राज्य के वित्तीय और अधिक विकास करने की नींव रखी. इसी दौरान देश को अपना पहला राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के रूप में मिला और देश को अपना पहला प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के रूप में मिला. जो कि देश को नई योजनाओं से आगे बढ़ाने लगे और देश का नए सिरे से विकास करने लगे.
हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की देश में चली लहर
इसके बाद देश में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की लहर चली. जिससे देश के कृषि और उत्पादों में देश को फिर से सोने की चिड़िया बनाने में अपने कदम बढ़ाए. लोग कम पढ़े लिखे होने के कारण उनकी मेहनत का पैसा ठेकेदारों और मुंशी खा लिया करते थे. इस समस्या का निवारण करने के लिए सन 1964 में 14 बैकों का राशि करण किया गया. जिससे लोगों को आर्थिक आजादी मिली और इसके साथ ही अपना कारोबार करने के लिए लोगों को बैंकों से लोन मिलने की भी शुरुआत हो गई.
समय दर समय देश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनवाया अपना लोहा
राजीव गांधी ने देश के तकनीकी और आधुनिकरण का तोहफा दिया. इसी के बाद भारत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. ऐसे तमाम प्रयास चलते भारत में हर दिशा में अपना परचम लहराया और समय दर समय देश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना लोहा मनवाया.
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शिक्षा, रोजगार और इन्फ्रास्ट्रक्चर में देश कर रहा तेजी से तरक्की
समय के साथ-साथ देश अब एक नए शिखर पर पहुंचता जा रहा है और पूरे विश्व के लोग अब भारत को एक नए नजरिए से देखते हैं. चाहे वह लोकतंत्र हो या राजनीति तकनीकी हो या शिक्षा, रोजगार और इन्फ्रास्ट्रक्चर सभी क्षेत्रों में देश तेजी से तरक्की कर रहा है और चंद्रयान जैसे बड़े काम करके चांद तक अपना झंडा लहरा रहा है. देश आजादी की 73 वी वर्षगांठ मनाने जा रहा है. आजादी के इसी उत्सव को हम स्पेशल सीरीज के जरिए सेलिब्रेट कर रहे हैं.