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Exclusive: सड़क सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले डीटीओ वीरेंद्र राठौड़ से बातचीत, 'तमिलनाडु रोड मैप से आएगा हादसों में कमी'

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Published : Jan 30, 2021, 2:23 PM IST

प्रदेश में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए परिवहन विभाग भीलवाड़ा के डीटीओ वीरेंद्र सिंह राठौड़ को सड़क सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए केंद्रीय स्तर पर सम्मानित भी किया गया है. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुरेंद्र सिंह राठौड़ को सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए हाल ही में सम्मानित किया है. ऐसे में वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और क्या कुछ काम विभाग को करने चाहिए, इसको लेकर भी Etv Bharat से खास बातचीत की.

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डीटीओ वीरेंद्र सिंह राठौड़

जयपुर. भीलवाड़ा परिवहन विभाग के डीटीओ वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि सड़क सुरक्षा के लिए बहुत सारे विभाग इससे जुड़े हुए हैं. इसके लिए एजुकेशन, हेल्थ, इंजीनियरिंग और इंफोर्समेंट सहित चारों विभागों को एक साथ चलाने की जरुरत है. डीटीओ राठौड़ ने बताया कि राज्य में सड़क सुरक्षा पॉलिसी भी साल 2017 में आ गई थी. रोड सेफ्टी कमेटी की 24 मीटिंग होती थी, वह मीटिंग भी अब होने लगी है.

डीटीओ वीरेंद्र सिंह राठौड़ से खास बातचीत...

राठौड़ ने बताया कि साल 2015 के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में एक बड़ा चैंपियन किया गया था. ऐसे में तब से ग्रामीण क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ी है. तब से साल 2016, 17 और 18 में सड़क दुर्घटनाओं में कमी भी आई है. राठौड़ ने कहा कि अभी लोगों को जागरुकता के साथ-साथ इंफोर्समेंट की प्रभावी कार्रवाई की ज्यादा आवश्यकता है. राठौड़ का कहना है कि अभी तक सड़क सुरक्षा सप्ताह 31 बार मनाया गया है. लेकिन इस साल सड़क सुरक्षा माह चलाया जा रहा है. ऐसे में आमजन को जागरुक करने के लिए सड़क सुरक्षा को लेकर यह रोजाना करने के कार्य हैं.

सड़क सुरक्षा को लेकर डीटीओ का बयान...

यह भी पढ़ें: अजमेर पेट्रोल पंप हादसे में दो और घायलों ने तोड़ा दम, अब तक 3 की मौत

राठौड़ ने बताया कि सीएम अशोक गहलोत भी सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए काफी गंभीर हैं. उन्होंने बजट में परिवहन विभाग के लिए 10 घोषणाएं की थी. उनमें से आठ घोषणा सड़क सुरक्षा को लेकर की गई थी. राठौड़ ने कहा कि स्कूलों में खेल मैदान के साथ ही ड्राइविंग ट्रैक बनाया जाए, जिससे स्कूलों के अंतर्गत ही 11वीं और 12वीं के छात्रों को सड़क सुरक्षा को लेकर जानकारी दी जा सके. वहीं आने वाले समय में इस सड़क दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी भी आएगी. साथ ही ड्राइवरों को भी इस समय ट्रेनिंग की काफी आवश्यकता है. हर जिले में ट्रेनिग इंस्टीट्यूट स्थापित करना विभाग का कार्य है. ट्रेनिग इंस्टीट्यूट के स्थापित होने के बाद भी सड़क दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी देखने को मिलेगी.

यह भी पढ़ें: केंद्रीय बजट से किसानों को उम्मीद, प्रदेश के लिए बने चकबंदी कानून, तो समर्थन मूल्य की सख्ती से हो पालना

राठौड़ ने बताया कि जो पुरानी सड़कें बनी हुई हैं, उनकी ऑडिट की जाए. क्योंकि अभी नई सड़कों की ऑडिट करना अनिवार्य हो गया है. ऐसे में पुरानी सड़कों की ऑडिट की जाए और उनकी चौड़ाई लंबाई को भी मापा जाए, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी. राठौड़ ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को प्राथमिक उपचार देना भी आना चाहिए. क्योंकि हमारे देश में यदि तीन एक्सीडेंट होता है तो उसमें तीन लोग घायल होते हैं और एक व्यक्ति की मौत भी होती है.

ओवरलोडिंग से होते हैं, सबसे ज्यादा एक्सीडेंट

वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि ओवरलोडिंग से सबसे ज्यादा एक्सीडेंट होते हैं. भारत सरकार की तरफ से जो बैरिकेडिंग सिस्टम शुरू किया गया है, उसमें ट्रक वालों को रोकना सही नहीं है. जितने भी ट्रक और बस ऑपरेटर्स हैं, वह सभी आगे आकर सरकार के नियमों की पालना करें और गाड़ियों पर रिफ्लेक्टर लगाकर ही गाड़ियों को चलाएं. ओवरलोडिंग न करें, इससे सड़क दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी भी देखने को मिलेगी.

तमिलनाडु रोड मैप से आएगा, सड़क हादसों में कमी

वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि पिछले 30 साल में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किसी भी राज्य ने गहन अध्ययन नहीं किया था. लेकिन बाद में तमिलनाडु ने इस पर अध्ययन किया और तमिलनाडु रोड में बनाया गया, जिसके अंतर्गत उन्होंने एक्सीडेंट के डेटा को एक साथ किया है. राठौड़ ने बताया कि सड़क दुर्घटना का अभी वैज्ञानिक पद्धति से अनुसंधान नहीं हो रहा है. वहीं इस समय वैज्ञानिक पद्धति से अनुसंधान करने की सबसे ज्यादा जरूरत है. राठौड़ ने बताया कि तमिलनाडु प्रोजेक्ट को लेकर एमओयू हो चुका है और राज्य सरकार इसे जल्द ही राजस्थान में लागू भी कर देगी.

जयपुर. भीलवाड़ा परिवहन विभाग के डीटीओ वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि सड़क सुरक्षा के लिए बहुत सारे विभाग इससे जुड़े हुए हैं. इसके लिए एजुकेशन, हेल्थ, इंजीनियरिंग और इंफोर्समेंट सहित चारों विभागों को एक साथ चलाने की जरुरत है. डीटीओ राठौड़ ने बताया कि राज्य में सड़क सुरक्षा पॉलिसी भी साल 2017 में आ गई थी. रोड सेफ्टी कमेटी की 24 मीटिंग होती थी, वह मीटिंग भी अब होने लगी है.

डीटीओ वीरेंद्र सिंह राठौड़ से खास बातचीत...

राठौड़ ने बताया कि साल 2015 के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में एक बड़ा चैंपियन किया गया था. ऐसे में तब से ग्रामीण क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ी है. तब से साल 2016, 17 और 18 में सड़क दुर्घटनाओं में कमी भी आई है. राठौड़ ने कहा कि अभी लोगों को जागरुकता के साथ-साथ इंफोर्समेंट की प्रभावी कार्रवाई की ज्यादा आवश्यकता है. राठौड़ का कहना है कि अभी तक सड़क सुरक्षा सप्ताह 31 बार मनाया गया है. लेकिन इस साल सड़क सुरक्षा माह चलाया जा रहा है. ऐसे में आमजन को जागरुक करने के लिए सड़क सुरक्षा को लेकर यह रोजाना करने के कार्य हैं.

सड़क सुरक्षा को लेकर डीटीओ का बयान...

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राठौड़ ने बताया कि सीएम अशोक गहलोत भी सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए काफी गंभीर हैं. उन्होंने बजट में परिवहन विभाग के लिए 10 घोषणाएं की थी. उनमें से आठ घोषणा सड़क सुरक्षा को लेकर की गई थी. राठौड़ ने कहा कि स्कूलों में खेल मैदान के साथ ही ड्राइविंग ट्रैक बनाया जाए, जिससे स्कूलों के अंतर्गत ही 11वीं और 12वीं के छात्रों को सड़क सुरक्षा को लेकर जानकारी दी जा सके. वहीं आने वाले समय में इस सड़क दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी भी आएगी. साथ ही ड्राइवरों को भी इस समय ट्रेनिंग की काफी आवश्यकता है. हर जिले में ट्रेनिग इंस्टीट्यूट स्थापित करना विभाग का कार्य है. ट्रेनिग इंस्टीट्यूट के स्थापित होने के बाद भी सड़क दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी देखने को मिलेगी.

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राठौड़ ने बताया कि जो पुरानी सड़कें बनी हुई हैं, उनकी ऑडिट की जाए. क्योंकि अभी नई सड़कों की ऑडिट करना अनिवार्य हो गया है. ऐसे में पुरानी सड़कों की ऑडिट की जाए और उनकी चौड़ाई लंबाई को भी मापा जाए, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी. राठौड़ ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को प्राथमिक उपचार देना भी आना चाहिए. क्योंकि हमारे देश में यदि तीन एक्सीडेंट होता है तो उसमें तीन लोग घायल होते हैं और एक व्यक्ति की मौत भी होती है.

ओवरलोडिंग से होते हैं, सबसे ज्यादा एक्सीडेंट

वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि ओवरलोडिंग से सबसे ज्यादा एक्सीडेंट होते हैं. भारत सरकार की तरफ से जो बैरिकेडिंग सिस्टम शुरू किया गया है, उसमें ट्रक वालों को रोकना सही नहीं है. जितने भी ट्रक और बस ऑपरेटर्स हैं, वह सभी आगे आकर सरकार के नियमों की पालना करें और गाड़ियों पर रिफ्लेक्टर लगाकर ही गाड़ियों को चलाएं. ओवरलोडिंग न करें, इससे सड़क दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी भी देखने को मिलेगी.

तमिलनाडु रोड मैप से आएगा, सड़क हादसों में कमी

वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि पिछले 30 साल में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किसी भी राज्य ने गहन अध्ययन नहीं किया था. लेकिन बाद में तमिलनाडु ने इस पर अध्ययन किया और तमिलनाडु रोड में बनाया गया, जिसके अंतर्गत उन्होंने एक्सीडेंट के डेटा को एक साथ किया है. राठौड़ ने बताया कि सड़क दुर्घटना का अभी वैज्ञानिक पद्धति से अनुसंधान नहीं हो रहा है. वहीं इस समय वैज्ञानिक पद्धति से अनुसंधान करने की सबसे ज्यादा जरूरत है. राठौड़ ने बताया कि तमिलनाडु प्रोजेक्ट को लेकर एमओयू हो चुका है और राज्य सरकार इसे जल्द ही राजस्थान में लागू भी कर देगी.

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