जयपुर. बाड़मेर के बायतु की ग्राम पंचायत सांभरा में 24 घंटे में ही रातोंरात तमाम सुविधायुक्त एक अस्थायी हॉस्पिटल बन गया. कमाल की बात है कि अस्पताल जनता के लिए शुरू भी हो गया है. सरकार-समाजसेवियों और राजस्व मंत्री हरीश चौधरी की मदद से यह अस्पताल तैयार हुआ है. इसके अलावा गिड़ा और बायतु के एक सरकारी स्कूल में भी कोविड केंद्र केयर सेंटर के जरिए कोरोना महामारी से ग्रसित मरीजों को इलाज के लिए तत्काल रातों-रात अस्पताल बना दिए गए.
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बायतु के सांभरा में तैयार हॉस्पिटल में डॉक्टर्स, नर्सिंगकर्मी, AC, ऑक्सीजन, एम्बुलेंस और दवाइयों सहित सभी सुविधाएं हैं. सुदूर रेगिस्तान के इस गांव में अस्थाई अस्पताल बनाने का यह वैसा ही कदम है, जैसा कोविड के आने पर चीन के वुहान शहर में बनाया गया था. खास बात है मंत्री हरीश चौधरी अफसरों के साथ यही डटे रहे और काम में जुटे लोगों की हौसला अफजाई करते रहे. यहां तक भोजन भी मंत्री ने वहीं लोगों के साथ किया.
इस भयानक दौर में किसी जनप्रतिनिधि की इस सक्रियता से बाकी के विधायक और सांसद भी सीख ले, तो राजस्थान में चिकित्सा व्यवस्था पर गहराया मौजूदा संकट कम होने में काफी मदद मिल सकती है. यह अस्पताल उन लोगों के लिए एक उदाहरण पेश कर रहा है जो लोग इस सप्ताह में अवसर तलाशते हुए सिर्फ खुद के प्रचार में व्यस्त हैं.
एक तरफ लोग इस महामारी के दौर में सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं दूसरी तरफ सरकार है कि लोगों से लगातार संभलने की अपील कर रही है. इस बीच बाड़मेर में राजनीति समाज सेवक और सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर पूरे देश के सामने यह मिसाल पेश करते हुए बता दिया है कि अगर इरादे मजबूत हो तो फिर किसी भी मुसीबत का सामना मिलकर किया जा सकता है.
जिस दौर में देश भर की खबरों में अस्पताल में बिस्तर की कमी ऑक्सीजन की कमी इलाज के संसाधनों का अभाव जैसी खबरें तैयार हो रही है, उस दौर में राजस्थान के थार मरुस्थल के इस हिस्से में सब लोगों ने मिलकर प्रयास किया और बेहतर इलाज तत्काल व्यवस्था की सोच को मूर्त रूप देकर लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया. ईटीवी भारत राजस्थान बाड़मेर के इन लोगों के जज्बे को सलाम करता है.
ईटीवी भारत के साथ चर्चा के दौरान राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने प्रदेश के वैक्सीनेशन कार्यक्रम को लेकर भी केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि जब ऑक्सीजन और रेमडेसिविर जैसी दवाओं के वितरण का जिम्मा केंद्र ने खुद के कंधों पर ले रखा है, तो फिर वैक्सीनेशन राज्यों के भरोसे छोड़कर केंद्र क्यों अपनी जवाबदेही से पीछे हटना चाहता है.
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इतिहास गवाह है कि आजादी के बाद से लेकर अब तक जितने भी टीकाकरण के कार्यक्रम हुए हैं उनमें केंद्र ने ही भूमिका निभाई है. ऐसे में जाहिर है कि इस बार टीकाकरण के कार्यक्रमों को राज्य के ऊपर छोड़ केंद्र अपनी जवाबदेही से पीछे हट रहा है. हालांकि राजस्थान सरकार ने प्रदेश के स्तर पर टीकाकरण का फैसला होने के साथ ही 18 से लेकर 44 साल के युवा वर्ग के लिए फ्री वैक्सीनेशन का ऐलान कर दिया था. अब केंद्र को टीको की मात्रा राज्यों को पर्याप्त मिले इस बात को सुनिश्चित करना होगा. उन्होंने लॉकडाउन को लेकर भी केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए.