जयपुर. देशभर में कोरोना के संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है. लेकिन राजस्थान में 22 मार्च से ही लॉकडाउन की स्थिति है. इस मामले पर बोलते हुए राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि राजस्थान सरकार ने यह पहले ही भांप लिया था कि अगर लॉकडाउन नहीं किया गया, तो यह बीमारी फैल सकती है.
ऐसे में लॉकडाउन के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने हमारे विभाग को 700 करोड़ रुपए देते हुए निर्देश दिए कि किसी की भी पेंशन ना रुके. जिसके बाद विभाग ने निर्णय लिया है कि प्रदेश के 78 लाख पेंशनधारियों को, 31 मार्च तक उनकी मार्च की पेंशन दे दी गई. अब अप्रैल महीने की पेंशन 10 अप्रैल तक उनके खातों में पहुंचा दी जाएगी.
इन पेंशन धारियों में वृद्ध, असहाय, परित्यक्ता, एकल नारी, विकलांग और सिलिकोसिस के पेंशन धारी शामिल है. ऐसे में प्रदेश सरकार को जो पेंशन महीने के अंत में मिलती है, वह शुरुआत में देने का निर्णय लिया है गया है. जिससे लोगों के पास पैसे की कोई कमी ना आए.
30 लाख रजिस्टर्ड श्रमिकों को दिए गए 1 हजार रुपये
मंत्री मास्टर भंवरलाल ने कहा कि प्रदेश में 30 लाख ऐसे लेबर डिपार्टमेंट के पास रजिस्टर्ड है, जो थड़ी ठेले लगाने वाले या श्रमिक थे. जिनका काम एकदम से बंद हो गया है. जिनके खातों में एक हजार रुपये डाल दिए गए हैं. इसके साथ ही जिनके खाते नहीं है, उन्हें पंचायत समिति, नगर पालिका के अधिकारियों के माध्यम से यह पैसे नगद दिए जाने की भी व्यवस्था की है.
बीपीएल धारकों को 10 किलो गेहूं
मंत्री मास्टर भंवरलाल ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से जो 5 किलो गेहूं गरीबों को दिया जाता है, वह 31 मार्च तक दिया जा चुका है. वहीं, जो भारत सरकार की ओर से 5 किलो दिया जाता है वह 10 अप्रैल तक हर व्यक्ति को दे दिया जाएगा. ऐसे में किसी भी व्यक्ति को खाने की कमी राजस्थान सरकार नहीं होने देगी. यह 10 किलो गेहूं प्रत्येक सदस्य के हिसाब से दिया जाएगा.
28 लाख पालनहारों के अकाउंट में 1 हजार रुपये
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से चलाई जा रही पालनहार योजना जिसमें वह बच्चे लाभान्वित होते हैं, जिनके सिर पर मां बाप का साया नहीं है. ऐसे बच्चे जो प्रदेश में 28 लाख की संख्या में है उनके पालनहारों के अकाउंट में 10 अप्रैल तक विभाग 1 हजार रुपये प्रत्येक बच्चे के हिसाब से डाल देगा.
'राजस्थान भामाशाहों का प्रदेश'
कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण की रोकथाम के लिए लगे लॉकडाउन के बाद हमने देखा कि सहायता के लिए सभी के हाथ बढ़े हैं. क्योंकि राजस्थान भामाशाहों का प्रदेश है, जो ना केवल राजस्थान बल्कि जिन प्रदेशों में रहते हैं वहां भी काम करते हैं. ऐसे में राज्य मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि प्रदेश में भामाशाहों ने हर शहरी क्षेत्र में काम किया है.
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सहायता के लिए प्रदेश के विधायक भी तैयार
साथ ही उन्होंने गांव की बात करते हुए कहा कि सरकार ने प्रत्येक पंचायत में 50 हजार, पंचायत समिति में एक लाख और जिला परिषद को डेढ़ लाख रुपए दिए गए हैं. जिससे गांव में इस वायरस से बचने के लिए संसाधनों का इंतजाम किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि अगर कुछ और कमी पड़ती है, तो प्रदेश के विधायक भी इसके लिए तैयार हैं. उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि मैंने 11 लाख रुपए दे दिए हैं और आवश्यकता पड़ने पर वह और सहायता भी दे देंगे. इसी तरीके के प्रदेश के सभी विधायक अपनी-अपनी विधानसभा में विधायक कोष से भी पैसे दे रहे हैं और अपनी सैलरी से भी.