जयपुर. प्रदेश में पिछले 10 दिनों में पुलिसकर्मी की ओर से सुसाइड करने के 3 मामले सामने आए हैं, जिससे ना केवल पूरा पुलिस महकमा सदमे में है बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी अनेक तरह के सवालिया निशान खड़े हुए हैं. एक पुलिसकर्मी अनेक तरह की विषम परिस्थितियों में काम करता है और खुद पर काफी दबाव भी महसूस करता है, जिसके चलते जब कोई पुलिसकर्मी पूरी तरह से हताश और निराश हो जाता है तो फिर वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है. प्रदेश में बीते दिनों में 1 इंस्पेक्टर, 1 हेड कांस्टेबल और 1 कांस्टेबल की ओर से आत्महत्या का कदम उठाया जा चुका है.
प्रदेश में 23 मई को चूरू के राजगढ़ थानाधिकारी विष्णुदत्त विश्नोई ने आत्महत्या कर ली. वहीं 29 मई को दौसा जिले के सैंथल थाने में तैनात हेड कांस्टेबल गिर्राज प्रसाद ने आत्महत्या की. इसी तरह से जैसलमेर जिले के पोकरण थाने में तैनात कांस्टेबल मायाराम मीणा ने 31 मई को आत्महत्या का कदम उठाया. पुलिसकर्मी की ओर से आत्महत्या का कदम उठाने के इन प्रकरणों पर पूर्व आरपीएस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
घरेलू, डिपार्टमेंटल और राजनीतिक प्रेशर बना देता है पुलिसकर्मियों को कमजोर
पूर्व आरपीएस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि प्रदेश में पुलिसकर्मी अनेक विषम परिस्थितियों में काम करते हैं और उन पर काम का काफी प्रेशर भी रहता है. प्रदेश में कई ऐसे थाने हैं जहां पर ना तो बिजली-पानी की पूर्ण व्यवस्था है और ना ही अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया होती है. ऐसी परिस्थिति में काम का लोड होने के चलते पुलिसकर्मी तनाव महसूस करते हैं. साथ ही पुलिसकर्मियों की घरेलू परिस्थितियों के चलते भी अनेक तरह के तनाव होते हैं.
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शेखावत ने बताया कि छुट्टियां नहीं मिलने के कारण पुलिसकर्मी अपने परिवार से नहीं मिल पाते हैं और उनके साथ ज्यादा वक्त नहीं बिता पाते हैं. परिवार के प्रति पूरा दायित्व नहीं निभाने के कारण पुलिसकर्मी तनाव में रहते हैं. इसके साथ ही पुलिसकर्मियों पर आला अधिकारियों और काम का प्रेशर भी काफी होता है. उन्होंने बताया कि राजनीतिक प्रेशर के चलते भी पुलिसकर्मी अवसाद में रहते हैं. इन तमाम परिस्थितियों में जो पुलिसकर्मी बेहद भावुक होते हैं वह पूरी तरह से टूट जाते हैं और फिर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं.
राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान पुलिसकर्मियों को इन तमाम परिस्थितियों का सामना करने के गुर सिखाए जाते हैं, लेकिन फिर भी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं कि जब तमाम तनाव झेलने की सीमा से बाहर हो जाते हैं तो फिर पुलिसकर्मी मजबूरन ऐसा कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं.
आला अधिकारियों को लेनी चाहिए पुलिसकर्मियों की सुध
पूर्व आरपीएस अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया, कि पुलिस डिपार्टमेंट में आला अधिकारियों के अपने अलग गुट बने होते हैं और उनके निचले कर्मचारियों से किसी भी तरह से सीधा संपर्क नहीं रहता है. सब इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी, आरपीएस अधिकारी और आईपीएस अधिकारी सब अपने-अपने ग्रुप में रहते हैं और कभी भी एक दूसरे से इंटरेक्शन नहीं करते हैं.
शेखावत का कहना है कि पुलिस के आला अधिकारियों को अपने अधीनस्थ और छोटे कर्मचारियों से बात करनी चाहिए और उनके सुख-दुख की खबर रखनी चाहिए. उनका कहना है कि यह संभव है कि जब परेशानियों से घिरा हुआ कोई पुलिसकर्मी अपने आला अधिकारी से अपनी परेशानी साझा करे तो उसका हल निकाला जा सकता है और ऐसी परिस्थितियां आने से टाली जा सकती है. शेखावत का कहना है कि प्रदेश में अब और कोई पुलिसकर्मी की ओर से सुसाइड का कदम ना उठाया जाए इसके लिए सिस्टम में बदलाव करने की बेहद आवश्यकता है.