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महापौर निलंबन के बाद फीडबैक के बहाने जमीन टटोल रही भाजपा, अरुण चतुर्वेदी बोले- ये संगठन से जुड़ा मामला

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Published : Jun 9, 2021, 10:09 PM IST

जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर (Jaipur Municipal Corporation Greater Mayor) और पार्षदों के निलंबन के बाद भाजपा अपने पार्षदों की फीडबैक ले रही है. इसको लेकर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी (Arun Chaturvedi) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि इस फीडबैक में निलंबित महापौर के कामकाज या नया महापौर बनाए जाने से जुड़ा कोई फीडबैक नहीं लिया गया बल्कि यह संगठन से जुड़ा फीडबैक था.

Arun Chaturvedi,   Jaipur Greater Mayor suspension
अरुण चतुर्वेदी

जयपुर. जयपुर नगर निगम ग्रेटर (Jaipur Municipal Corporation Greater) महापौर और तीन पार्षदों के निलंबन के बाद भाजपा ने अपने पार्षदों को एकजुट करने के लिए फीडबैक को जरिया बनाया है. 2 दिन के फीडबैक कार्यक्रम में निलंबित महापौर के कामकाज और बदली हुई परिस्थितियों को लेकर पार्षदों का मन भी टटोला गया, लेकिन इस काम में जुटे नेता पार्षदों में टूट-फूट की आशंका से इनकार करते हैं. भाजपा का पुराना अनुभव तो यही कहता है कि डरना जरूरी है.

अरुण चतुर्वेदी से खास बातचीत-1

पढ़ें- महापौर सौम्या गुर्जर के समर्थन में प्रदेश के इन जिलों में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन

ये पुराना अनुभव डराता है...

दरअसल, जयपुर नगर निगम में भाजपा का अनुभव कुछ ऐसा ही रहा है. पिछले बोर्ड में भी भाजपा पार्षदों की फूट के चलते ही बीजेपी को बहुमत होने के बाद जयपुर नगर निगम में भाजपा के ही बागी विष्णु लाटा महापौर बन चुके हैं. जयपुर नगर निगम (Jaipur Municipal Corporation) के इतिहास में पहली बार किसी महापौर को बीच कार्यकाल में बदलकर अन्य को महापौर बनाने का कारनामा पिछली वसुंधरा राजे सरकार (vasundhara raje government) के कार्यकाल में भी हुआ.

तत्कालीन महापौर निर्मल नाहटा को हटाकर डॉ. अशोक लाहोटी (Ashok Lahoti) को जयपुर महापौर बनाया गया था. इसलिए पुराने अनुभवों को भाजपा का हर पार्षद और नेता अपने जहन में संजोय के रखा हुआ है, जिस प्रकार की गतिविधि भाजपा मुख्यालय में महापौर सौम्या गुर्जर (Mayor Soumya Gurjar) और तीन पार्षदों के निलंबन के बाद शुरू हुई उसके बाद अटकलें इसी बात की है कि दूध से जली भाजपा अब छाछ भी फूंक-फूंक कर पी रही है.

यही कारण है कि बीते 2 दिनों में भाजपा ने जयपुर नगर निगम ग्रेटर से जुड़े अपने सभी भाजपा पार्षदों से निलंबित महापौर और उनके कामकाज का पूरा फीडबैक ले लिया है. फीडबैक लेने वाले भाजपा नेताओं में शामिल पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी (Arun Chaturvedi) से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

अरुण चतुर्वेदी से खास बातचीत-2

फीडबैक सामान्य प्रक्रिया, हेरिटेज निगम का भी लेंगे

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी (Arun Chaturvedi) को नगर निगम ग्रेटर में हुए मौजूदा घटनाक्रम को लेकर पार्टी ने कई बड़ी जिम्मेदारियां दे रखी है. इन्हीं जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए पार्षदों से फीडबैक भी लिया गया. हालांकि, ईटीवी भारत ने जब इस सिलसिले में चतुर्वेदी से बात की तो उन्होंने पार्टी की ओर से इस प्रकार का फीडबैक लेना एक सामान्य घटना बताया और कहा कि ग्रेटर के बाद नगर निगम हेरिटेज और उसके बाद अन्य निकायों में भी इस प्रकार का फीडबैक पार्षदों से लिया जाएगा. चतुर्वेदी ने कहा कि इस फीडबैक में निलंबित महापौर के कामकाज या नया महापौर बनाए जाने से जुड़ा कोई फीडबैक नहीं लिया गया बल्कि यह संगठन से जुड़ा फीडबैक था.

पढ़ें- महापौर निलंबन मामला: भाजपा का कांग्रेस पर कटाक्ष- अब तो डोटासरा ने भी मान लिया, जल्दबाजी में की कार्रवाई

महापौर के निलंबन के बाद ही फीडबैक का समय क्यों चुना

अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि यह केवल एक संयोग मात्र है कि जब सरकार ने हमारी महापौर को निलंबित किया, उस दौरान ही पार्टी संगठन नगर निगम ग्रेटर से जुड़े पार्षदों से फीडबैक ले रहा है. चतुर्वेदी ने कहा कि यह केवल एक संगठनात्मक संवाद है जो संगठन की मजबूती के लिए है.

डर भाजपा को नहीं गहलोत सरकार को है

शील धाबाई (sheel dhabhai) को कार्यवाहक महापौर बनाए जाने के बाद भाजपा में उठ रहे सियासी डर को लेकर चतुर्वेदी ने कहा कि डर तो सरकार में है क्योंकि सरकार ने अलोकतांत्रिक कदम उठाया है. इस विषय को लेकर भाजपा जनता के बीच में गई है, जिससे कांग्रेस का पुराना चेहरा उजागर हुआ है.

चतुर्वेदी ने कहा कि जयपुर नगर निगम (Jaipur Municipal Corporation) में 150 वार्ड हैं, जिसमें 88 में भाजपा के पार्षद हैं जबकि 2 पार्षदों को भाजपा के समर्थन से जीत मिली और 6 निर्दलीय भाजपा को अपना समर्थन दे चुके हैं. इस तरह भाजपा के खाते में 96 पार्षद है, जबकि कांग्रेस के पास 37 पार्षद ही है इसलिए अंतर बहुत है. उन्होंने कहा कि हमारा एक-एक कार्यकर्ता भाजपा की मजबूत ईंट के नाते खड़ा है, बस हम विचारधारा की सीमेंट से उन्हें जोड़ रहे हैं. चतुर्वेदी ने कहा कि पार्टी संगठन के प्रति निष्ठा और विचारधारा मजबूत रहें और उसी दिशा में हम काम करते हैं.

कांग्रेस के मंसूबे नहीं होंगे पूरे

जयपुर नगर निगम (Jaipur Nagar Niigam) से जुड़े भाजपा के पुराने कड़वे अनुभव को लेकर जब चतुर्वेदी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमें अपने कार्यकर्ता पर पूरा विश्वास है क्योंकि वो निष्ठावान हैं. नगर निगम में जो पुराने घटनाक्रम हुए थे, उसे चतुर्वेदी ने केवल अनहोनी बताया. उन्होंने कहा कि आज इस प्रकार की स्थिति नहीं है और ना कोई ऐसा घटनाक्रम होगा, जिससे कांग्रेस के मंसूबे पूरे हो क्योंकि सभी कार्यकर्ता और पार्षद पार्टी के साथ हैं.

भाजपा संगठन आधारित दल है

अरुण चतुर्वेदी (Arun Chaturvedi) से पिछली वसुंधरा राजे (vasundhara raje) सरकार के कार्यकाल में जयपुर नगर निगम (Jaipur Municipal Corporation) में तत्कालिक महापौर निर्मल नाहटा को बदलकर अशोक लाहोटी (Ashok Lahoti) को बनाए जाने के घटनाक्रम का हवाला देकर सवाल पूछा गया कि क्या मौजूदा फीडबैक का यह भी एक आधार हो सकता है, तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि फीडबैक संगठन की मजबूती के लिए लेते ही रहते हैं.

चतुर्वेदी के अनुसार भाजपा संगठन आधारित दल है, जिसमें दायित्व परिवर्तन एक सतत प्रक्रिया है. इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से लेकर मोदी सरकार तक में इसी तरह के हुए परिवर्तनों का उदाहरण भी दिया.

प्रताप सिंह अपने घर को संभाले

वहीं, जब अरुण चतुर्वेदी (Arun Chaturvedi) से सवाल पूछा गया कि यदि हाईकोर्ट (High court) से निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर (Mayor Soumya Gurjar) को राहत मिल जाती है तो फिर क्या वरिष्ठ पार्षद शील धाबाई (sheel dhabhai) को बदलकर सौम्या गुर्जर (Mayor Soumya Gurjar) को बैठाया जाएगा क्योंकि कांग्रेस के नेता तो खासतौर पर भाजपा पार्षद और पार्टी में ही आपस में फूट होने की बात कहते हैं. इस पर चतुर्वेदी ने कहा कि परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास पहले अपने घर को संभाले क्योंकि इस घटनाक्रम को लेकर खुद उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ही सहमत नहीं है.

चतुर्वेदी ने कहा कि महापौर और पार्षदों के निलंबन की पूरी स्क्रिप्ट की ड्राफ्टिंग मंत्री शांति धारीवाल के नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के निवास पर हुई है. चतुर्वेदी ने कहा कि शील धाबाई हमारी वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं और सौम्या गुर्जर भी. इसलिए हम अपने परिवार में बैठकर चर्चा कर संभाल लेंगे.

जयपुर. जयपुर नगर निगम ग्रेटर (Jaipur Municipal Corporation Greater) महापौर और तीन पार्षदों के निलंबन के बाद भाजपा ने अपने पार्षदों को एकजुट करने के लिए फीडबैक को जरिया बनाया है. 2 दिन के फीडबैक कार्यक्रम में निलंबित महापौर के कामकाज और बदली हुई परिस्थितियों को लेकर पार्षदों का मन भी टटोला गया, लेकिन इस काम में जुटे नेता पार्षदों में टूट-फूट की आशंका से इनकार करते हैं. भाजपा का पुराना अनुभव तो यही कहता है कि डरना जरूरी है.

अरुण चतुर्वेदी से खास बातचीत-1

पढ़ें- महापौर सौम्या गुर्जर के समर्थन में प्रदेश के इन जिलों में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन

ये पुराना अनुभव डराता है...

दरअसल, जयपुर नगर निगम में भाजपा का अनुभव कुछ ऐसा ही रहा है. पिछले बोर्ड में भी भाजपा पार्षदों की फूट के चलते ही बीजेपी को बहुमत होने के बाद जयपुर नगर निगम में भाजपा के ही बागी विष्णु लाटा महापौर बन चुके हैं. जयपुर नगर निगम (Jaipur Municipal Corporation) के इतिहास में पहली बार किसी महापौर को बीच कार्यकाल में बदलकर अन्य को महापौर बनाने का कारनामा पिछली वसुंधरा राजे सरकार (vasundhara raje government) के कार्यकाल में भी हुआ.

तत्कालीन महापौर निर्मल नाहटा को हटाकर डॉ. अशोक लाहोटी (Ashok Lahoti) को जयपुर महापौर बनाया गया था. इसलिए पुराने अनुभवों को भाजपा का हर पार्षद और नेता अपने जहन में संजोय के रखा हुआ है, जिस प्रकार की गतिविधि भाजपा मुख्यालय में महापौर सौम्या गुर्जर (Mayor Soumya Gurjar) और तीन पार्षदों के निलंबन के बाद शुरू हुई उसके बाद अटकलें इसी बात की है कि दूध से जली भाजपा अब छाछ भी फूंक-फूंक कर पी रही है.

यही कारण है कि बीते 2 दिनों में भाजपा ने जयपुर नगर निगम ग्रेटर से जुड़े अपने सभी भाजपा पार्षदों से निलंबित महापौर और उनके कामकाज का पूरा फीडबैक ले लिया है. फीडबैक लेने वाले भाजपा नेताओं में शामिल पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी (Arun Chaturvedi) से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

अरुण चतुर्वेदी से खास बातचीत-2

फीडबैक सामान्य प्रक्रिया, हेरिटेज निगम का भी लेंगे

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी (Arun Chaturvedi) को नगर निगम ग्रेटर में हुए मौजूदा घटनाक्रम को लेकर पार्टी ने कई बड़ी जिम्मेदारियां दे रखी है. इन्हीं जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए पार्षदों से फीडबैक भी लिया गया. हालांकि, ईटीवी भारत ने जब इस सिलसिले में चतुर्वेदी से बात की तो उन्होंने पार्टी की ओर से इस प्रकार का फीडबैक लेना एक सामान्य घटना बताया और कहा कि ग्रेटर के बाद नगर निगम हेरिटेज और उसके बाद अन्य निकायों में भी इस प्रकार का फीडबैक पार्षदों से लिया जाएगा. चतुर्वेदी ने कहा कि इस फीडबैक में निलंबित महापौर के कामकाज या नया महापौर बनाए जाने से जुड़ा कोई फीडबैक नहीं लिया गया बल्कि यह संगठन से जुड़ा फीडबैक था.

पढ़ें- महापौर निलंबन मामला: भाजपा का कांग्रेस पर कटाक्ष- अब तो डोटासरा ने भी मान लिया, जल्दबाजी में की कार्रवाई

महापौर के निलंबन के बाद ही फीडबैक का समय क्यों चुना

अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि यह केवल एक संयोग मात्र है कि जब सरकार ने हमारी महापौर को निलंबित किया, उस दौरान ही पार्टी संगठन नगर निगम ग्रेटर से जुड़े पार्षदों से फीडबैक ले रहा है. चतुर्वेदी ने कहा कि यह केवल एक संगठनात्मक संवाद है जो संगठन की मजबूती के लिए है.

डर भाजपा को नहीं गहलोत सरकार को है

शील धाबाई (sheel dhabhai) को कार्यवाहक महापौर बनाए जाने के बाद भाजपा में उठ रहे सियासी डर को लेकर चतुर्वेदी ने कहा कि डर तो सरकार में है क्योंकि सरकार ने अलोकतांत्रिक कदम उठाया है. इस विषय को लेकर भाजपा जनता के बीच में गई है, जिससे कांग्रेस का पुराना चेहरा उजागर हुआ है.

चतुर्वेदी ने कहा कि जयपुर नगर निगम (Jaipur Municipal Corporation) में 150 वार्ड हैं, जिसमें 88 में भाजपा के पार्षद हैं जबकि 2 पार्षदों को भाजपा के समर्थन से जीत मिली और 6 निर्दलीय भाजपा को अपना समर्थन दे चुके हैं. इस तरह भाजपा के खाते में 96 पार्षद है, जबकि कांग्रेस के पास 37 पार्षद ही है इसलिए अंतर बहुत है. उन्होंने कहा कि हमारा एक-एक कार्यकर्ता भाजपा की मजबूत ईंट के नाते खड़ा है, बस हम विचारधारा की सीमेंट से उन्हें जोड़ रहे हैं. चतुर्वेदी ने कहा कि पार्टी संगठन के प्रति निष्ठा और विचारधारा मजबूत रहें और उसी दिशा में हम काम करते हैं.

कांग्रेस के मंसूबे नहीं होंगे पूरे

जयपुर नगर निगम (Jaipur Nagar Niigam) से जुड़े भाजपा के पुराने कड़वे अनुभव को लेकर जब चतुर्वेदी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमें अपने कार्यकर्ता पर पूरा विश्वास है क्योंकि वो निष्ठावान हैं. नगर निगम में जो पुराने घटनाक्रम हुए थे, उसे चतुर्वेदी ने केवल अनहोनी बताया. उन्होंने कहा कि आज इस प्रकार की स्थिति नहीं है और ना कोई ऐसा घटनाक्रम होगा, जिससे कांग्रेस के मंसूबे पूरे हो क्योंकि सभी कार्यकर्ता और पार्षद पार्टी के साथ हैं.

भाजपा संगठन आधारित दल है

अरुण चतुर्वेदी (Arun Chaturvedi) से पिछली वसुंधरा राजे (vasundhara raje) सरकार के कार्यकाल में जयपुर नगर निगम (Jaipur Municipal Corporation) में तत्कालिक महापौर निर्मल नाहटा को बदलकर अशोक लाहोटी (Ashok Lahoti) को बनाए जाने के घटनाक्रम का हवाला देकर सवाल पूछा गया कि क्या मौजूदा फीडबैक का यह भी एक आधार हो सकता है, तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि फीडबैक संगठन की मजबूती के लिए लेते ही रहते हैं.

चतुर्वेदी के अनुसार भाजपा संगठन आधारित दल है, जिसमें दायित्व परिवर्तन एक सतत प्रक्रिया है. इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से लेकर मोदी सरकार तक में इसी तरह के हुए परिवर्तनों का उदाहरण भी दिया.

प्रताप सिंह अपने घर को संभाले

वहीं, जब अरुण चतुर्वेदी (Arun Chaturvedi) से सवाल पूछा गया कि यदि हाईकोर्ट (High court) से निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर (Mayor Soumya Gurjar) को राहत मिल जाती है तो फिर क्या वरिष्ठ पार्षद शील धाबाई (sheel dhabhai) को बदलकर सौम्या गुर्जर (Mayor Soumya Gurjar) को बैठाया जाएगा क्योंकि कांग्रेस के नेता तो खासतौर पर भाजपा पार्षद और पार्टी में ही आपस में फूट होने की बात कहते हैं. इस पर चतुर्वेदी ने कहा कि परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास पहले अपने घर को संभाले क्योंकि इस घटनाक्रम को लेकर खुद उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ही सहमत नहीं है.

चतुर्वेदी ने कहा कि महापौर और पार्षदों के निलंबन की पूरी स्क्रिप्ट की ड्राफ्टिंग मंत्री शांति धारीवाल के नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के निवास पर हुई है. चतुर्वेदी ने कहा कि शील धाबाई हमारी वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं और सौम्या गुर्जर भी. इसलिए हम अपने परिवार में बैठकर चर्चा कर संभाल लेंगे.

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